किसान को धान की खेती करने के लिए खेत की तैयारी बिज का चैन, बिज की मात्रा, कीट एवं रोग, मिटटी, समय की जानकारी होना अति आवश्यक होता है
धान एक खरीफ की विशेष फसल मानी जाती है खरीफ के समय जून जुलाई माह में एवं रबी के समय दिसंबर जनवरी माह में धान की खेती की जाती है
खेत की तैयारी:
नर्सरी के लिए खेत की दो बार जुताई करने के बाद रोटावेटर चलाकर मिटटी को बारीक एवं भुरभुरी कर समतल कर लेना चाहिए जुताई के पहले गोबर की खाद डाल देना चाहिए
बीज एवं बीज उपचार :
धान के बीज की मात्रा देशी धान 40 से 45 किलोग्राम, रिसर्च बीज 25 से 30 किलोग्राम एवं हाइब्रिड बीज 6 से 8 किलोग्राम प्रति एकड़ पर्याप्त माना जाता है
नर्सरी में खाद की मात्रा:
एक एकड़ खेत के लिए धान की नर्सरी में 2 से 3 किलोग्राम यूरिया 4 से 5 किलोग्राम एस. एस. पी. एवं 1 से 2 किलोग्राम पोटाश खाद डालना चाहिए यदि एस. एस. पी. की जगह डी. ए. पी. डालते है तो जिंक का भी प्रयोग करना चाहिए
नर्सरी में दवा का उपयोग:
धान की रोपाई हेतु नर्सरी से पौध निकालने के 6 से 8 दिन पहले हमें मेन्कोजेब जैसे फफुन्दनासक एवं क्लोरोपयरिफास सायपरमेथ्रिन जैसे कीटनाशक का स्प्रे कर देना चाहिए
रोपाई की विधि:
देशी विधि से रोपाई करने में पौधों की दुरी में असमानता देखने को मिलती है जिससे प्रत्यक पौधे को खाद बराबर मात्र में नहीं मिलता जिसका प्रभाव उत्पादन पर पड़ता है यदि रोपाई कतार विधि से करते है
बीमारी एवं रोकथाम:
धान में बीमारी कई प्रकार की होती है सुरुआती समय से ही तना छेदक, ब्लास्ट का प्रकोप देखने को मिलता है वर्त्तमान समय में तना छेदक बीमारी फैलते जा रही है
तना छेदक की रोकथाम -
रोपाई से 20 से 25 दिन के भीतर हमें दानेदार कीटनासक-क्लोरेंटानिलीप्रोल 0.4% 4 किलोग्राम प्रति एकड़ या क्लोरेंटानिलिप्रोल0.5%+थीओमेथाक्सम1% 2.5 किलोग्राम प्रति एकड़ डालना चाहिए
जिस प्रकार हम फसल चक्र अपनाते है उसी प्रकार एक ही प्रकार की दवाओ का फसल में लगातार प्रयोग नहीं करना चाहिए प्रत्यक फसल में दवा बदल के ही डालना चाहिए ताकि कीटो पर दवाओ का अच्छा प्रभाव पड़े
फंगस एवं रोकथाम के अलावा अन्य जानकारी के लिए आप हमारे आर्टिकल को पूरा ध्यान से पड़ सकते है और समझ सकते है