हींग की खेती: हर किसान के लिए एक सुनहरा मौका!
हींग, जिसे अंग्रेजी में Asafoetida कहा जाता है, भारतीय रसोई का अहम मसाला है। 2020 में भारत में इसकी खेती की शुरुआत हुई।
हींग की खेती मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले में की जाती है। ठंडी और शुष्क जलवायु इसके लिए सबसे उपयुक्त है।
अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी हींग की खेती के लिए सबसे सही है। मिट्टी का pH स्तर 6.5 से 7.5 होना चाहिए।
अगस्त से सितंबर का महीना हींग के बीजों की बुवाई के लिए उपयुक्त है। बीजों को 1-2 सेंटीमीटर गहराई पर बोया जाता है।
हींग के पौधों को अधिक पानी की जरूरत नहीं होती। फसल की सिंचाई आवश्यकता अनुसार करें, जिससे जड़ें सड़ने से बच सकें।
हींग की फसल को तैयार होने में 3-4 साल का समय लगता है। पौधों को फूल आने से पहले काटा जाता है।
हींग की खेती में प्रति हेक्टेयर 3 लाख रुपये की लागत आती है। पांचवें साल में 10 लाख रुपये तक का मुनाफा हो सकता है।