सिर्फ 5 फसलें लगाइए और इस बारिश में कमाइए ₹5 लाख तक, जानिए सबसे फायदेमंद खेती और इंटरक्रॉपिंग का तरीका

जुलाई का महीना किसानों के लिए किसी नए साल या त्यौहार से कम नहीं होता। गर्मी के सीजन में जहां खेत खाली पड़े रहते हैं, वहीं बारिश के मौसम में यही खेत हरियाली से भर जाते हैं। इस महीने में किसान भाई 40 से भी ज्यादा फसलों की बुवाई कर सकते हैं, लेकिन हम आपको यहां सिर्फ 5 ऐसी फसलों के बारे में बताएंगे जिनकी खेती करके आप लाखों रुपये कमा सकते हैं।

अगर आप चाहते हैं कि ₹1 लाख की लागत से भी ₹2 लाख या उससे ज्यादा की कमाई हो, तो आपको सिर्फ फसलें ही नहीं बल्कि उनकी इंटरक्रॉपिंग तकनीक को भी समझना होगा। आइए जानते हैं इन 5 फसलों और उनके साथ होने वाली स्मार्ट इंटरक्रॉपिंग के बारे में।

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पहली फसल – टमाटर और धनिया की इंटरक्रॉपिंग

सिर्फ 5 फसलें लगाइए और इस बारिश में कमाइए ₹5 लाख तक, जानिए सबसे फायदेमंद खेती और इंटरक्रॉपिंग का तरीका

बारिश के सीजन में टमाटर की नर्सरी जुलाई-अगस्त के महीने में लगाई जाती है। अगस्त में पौधों का खेत में ट्रांसप्लांट किया जाता है और सितंबर से ही टमाटर की तुड़ाई शुरू हो जाती है। सितंबर से दिसंबर तक टमाटर की अच्छी पैदावार और बेहतर मंडी भाव मिलते हैं।

अब अगर किसी कारणवश टमाटर का बाजार भाव कम हो जाए, तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। इसके लिए आप टमाटर के साथ धनिया की इंटरक्रॉपिंग करें। धनिया का भाव बारिश के सीजन में ₹100 से ₹200 प्रति किलो तक रहता है।

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सिर्फ 5 फसलें लगाइए और इस बारिश में कमाइए ₹5 लाख तक, जानिए सबसे फायदेमंद खेती और इंटरक्रॉपिंग का तरीका

टमाटर की नर्सरी लगाने से पहले धनिया के बीजों की बुवाई करें और फिर टमाटर की पौध रोपण करें। इस तकनीक से अगर टमाटर का भाव गिर भी जाए, तो धनिया की फसल उसका घाटा पूरा कर देगी।

दूसरी फसल – फूलगोभी और गेंदे का स्मार्ट संयोजन

जुलाई के महीने में फूलगोभी की नर्सरी तैयार की जाती है और अगस्त में ट्रांसप्लांट किया जाता है। फूलगोभी की फसल सितंबर के अंतिम सप्ताह से तैयार होने लगती है, जब अधिकतर किसान अभी नर्सरी ही तैयार कर रहे होते हैं।

सिर्फ 5 फसलें लगाइए और इस बारिश में कमाइए ₹5 लाख तक, जानिए सबसे फायदेमंद खेती और इंटरक्रॉपिंग का तरीका

इस समय मंडियों में फूलगोभी की मांग ज्यादा और आपूर्ति कम होती है, जिससे दाम ₹40 प्रति किलो तक भी पहुंच जाते हैं।

अब इसमें आप गेंदे की फसल भी जोड़ सकते हैं। गेंदे की नर्सरी जुलाई में लगाकर अगस्त में ट्रांसप्लांट करें और 45–50 दिनों में फूल मिलने लगते हैं। गेंदे के फूलों का दाम सामान्य दिनों में ₹40 किलो और त्योहारों में ₹60 से ₹70 प्रति किलो तक हो जाता है।

इंटरक्रॉपिंग के लिए फूलगोभी की दो लाइनों के बीच 1.5 से 2 फीट की दूरी रखें और उसी में गेंदे की एक लाइन लगा दें। इस तरह दोनों फसलें एक-दूसरे को नुकसान नहीं पहुंचातीं, बल्कि घाटे की स्थिति में एक-दूसरे को संभाल लेती हैं।

तीसरी फसल – प्याज और मिर्च की दमदार जोड़ी

अगर आपने जून में प्याज की नर्सरी नहीं लगाई है तो जुलाई का महीना आखिरी मौका है। इस समय प्याज की खेती करना बेहद लाभदायक साबित हो सकता है क्योंकि पिछले सीजन में बारिश के चलते प्याज की फसल खराब हो गई थी, जिससे बाजार में प्याज की कीमतों में तेजी आ सकती है।

अब बात करते हैं मिर्च की, जो सालभर मांग में बनी रहती है। मिर्च का बाजार भाव स्थिर रहता है और इसके दाम अधिकतर अच्छे ही होते हैं।

इंटरक्रॉपिंग के लिए आप मिर्च की दो लाइनों के बीच 3 फीट की दूरी छोड़ें और बीच की खाली जगह में प्याज की दो लाइनें लगाएं। प्याज की दो पंक्तियों के बीच 20 इंच की दूरी रखें। यह संयोजन न केवल उत्पादन बढ़ाता है बल्कि रिसर्च से यह भी साबित हुआ है कि ये फसलें एक-दूसरे के विकास में बाधक नहीं बनतीं।

सिर्फ फसल नहीं, तकनीक भी अपनाएं

इन पांचों फसलों की सबसे खास बात यह है कि इन्हें आप इंटरक्रॉपिंग के साथ इस तरह उगा सकते हैं कि चाहे किसी एक फसल का भाव कम भी हो जाए, तो दूसरी फसल उसका नुकसान पूरा कर देगी।

टमाटर-धनिया, फूलगोभी-गेंदा और प्याज-मिर्च की इंटरक्रॉपिंग न सिर्फ उत्पादन बढ़ाती है, बल्कि आपके खेत का हर इंच उपयोगी बनाती है।

अगर आपकी कुल लागत ₹1 लाख आती है, तो इस सिस्टम से आप ₹2 लाख तो कम से कम ही कमाएंगे। और अगर मंडी भाव अच्छा मिला, तो ₹4–5 लाख की कमाई भी कोई बड़ी बात नहीं होगी।

FAQ – किसान भाइयों के मन में उठने वाले सवालों के जवाब

प्रश्न 1: क्या सभी किसान इन फसलों को एक साथ लगा सकते हैं?
उत्तर: हां, इन फसलों की इंटरक्रॉपिंग तकनीक इतनी सरल है कि छोटे और मझोले किसान भी इसे अपना सकते हैं।

प्रश्न 2: क्या इंटरक्रॉपिंग से पैदावार कम नहीं होगी?
उत्तर: नहीं, बल्कि वैज्ञानिक रिसर्च कहती है कि सही तरीके से की गई इंटरक्रॉपिंग उत्पादन को बढ़ा सकती है।

प्रश्न 3: अगर बारिश कम हो गई तो क्या नुकसान होगा?
उत्तर: सभी फसलें मॉनसून पर निर्भर हैं, लेकिन आप ड्रिप सिंचाई और मल्चिंग जैसी तकनीकों से नुकसान कम कर सकते हैं।

निष्कर्ष

बारिश का मौसम फसलों के लिए सबसे उपयुक्त समय होता है। अगर आप परंपरागत खेती से हटकर कुछ समझदारी दिखाएं और इंटरक्रॉपिंग जैसी तकनीकों को अपनाएं, तो कम लागत में अधिक मुनाफा कमाना बिल्कुल संभव है।

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