Second Urea Paddy Crop: आज हम धान की फसल से जुड़ी एक बहुत ही जरूरी जानकारी लेकर आए हैं। दोस्तो, आप सब जानते हैं कि धान की खेती में सबसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व नाइट्रोजन होता है और नाइट्रोजन की सबसे सस्ती और असरदार आपूर्ति यूरिया खाद से होती है। यही वजह है कि किसान भाई इसे अपनी धान की फसल में सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। लेकिन बड़ी गलती तब होती है जब किसान दूसरी बार यूरिया खाद डालने का समय गलत चुन लेते हैं।
धान की फसल में नाइट्रोजन का महत्व
दोस्तो जब भी धान की फसल में नाइट्रोजन यानी यूरिया डाला जाता है तो पौधे मात्र एक-दो दिन में हरियाले दिखने लगते हैं। नाइट्रोजन न सिर्फ पत्तियों को हरा करता है बल्कि धान के पौधों की बढ़वार को भी सबसे तेजी से बढ़ाता है। यही कारण है कि किसान भाई बार-बार यूरिया डालते हैं। लेकिन ध्यान रखिए कि गलत समय पर यूरिया डालने से पौधों को तो कोई नुकसान नहीं होता, लेकिन मिट्टी की उर्वरक क्षमता जरूर कम हो जाती है।

पहली और दूसरी यूरिया खाद का फर्क
धान की रोपाई के समय कई किसान भाई गलती से यूरिया डाल देते हैं। लेकिन दोस्तो, उस समय पौधे की जड़ें अभी मिट्टी को पकड़ नहीं पाती हैं। इसलिए शुरुआती दिनों में यूरिया डालना बेकार साबित होता है। सही समय होता है जब पौधा रोपाई के बाद 30 से 35 दिन का हो जाता है। तभी धान की फसल में दूसरी बार यूरिया डालना चाहिए।
दूसरी यूरिया खाद कितनी मात्रा में डालें
अब सवाल यह आता है कि दूसरी बार यूरिया खाद कितनी मात्रा में डालें। अगर किसान भाइयों ने पहली बार यूरिया खाद 45 किलो यानी एक बैग प्रति एकड़ डाला है तो दूसरी बार 30 से 35 किलो यूरिया डालना पर्याप्त होगा। लेकिन अगर खेत में नाइट्रोजन की कमी है तो एक बार फिर पूरा 45 किलो प्रति एकड़ डालना पड़ेगा। वहीं अगर पहली बार की मात्रा ठीक रही और पौधे हरे-भरे दिख रहे हैं तो दूसरी बार ज्यादा यूरिया डालने की जरूरत नहीं होती।
पोटाश का महत्व दूसरी यूरिया खाद के साथ
दोस्तो अब सबसे अहम बात आती है कि दूसरी यूरिया खाद के साथ कौन सा पोषक तत्व डालना जरूरी है। इसका जवाब है पोटाश। जी हां, पोटाश धान की फसल के लिए उतना ही जरूरी है जितना नाइट्रोजन। पोटाश डालने का सही समय भी यही होता है क्योंकि इसके बाद धान की फसल गोंठ अवस्था में पहुंचती है और दाने बनने लगते हैं। पोटाश की वजह से धान के दाने ज्यादा, मोटे और चमकदार बनते हैं और पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। प्रति एकड़ 25 से 30 किलो पोटाश डालना सबसे उचित रहता है।
सल्फर भी है जरूरी
किसान भाइयो, दूसरी बार यूरिया और पोटाश डालते समय सल्फर मिलाना भी बहुत फायदेमंद होता है। सल्फर एक द्वितीय पोषक तत्व है और धान की फसल को हरा-भरा बनाए रखने में मदद करता है। साथ ही यह फंगस जैसी बीमारियों से भी सुरक्षा देता है। आप इसे प्रति एकड़ 6 किलो की मात्रा में डाल सकते हैं।
पोटाश डालते समय किन बातों का ध्यान रखें
दोस्तो, पोटाश डालने के समय कुछ जरूरी सावधानियां रखनी चाहिए। सबसे पहली बात यह कि इसे सुबह के समय न डालें क्योंकि उस समय पत्तियों पर ओस रहती है और पोटाश पत्तियों से चिपककर उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है। दूसरी बात, खेत में पानी ज्यादा भरा न हो क्योंकि ज्यादा पानी रहने पर पोटाश का असर आधा हो जाता है। और तीसरी बात, 25 किलो से कम मात्रा डालने पर आपको उसका पूरा परिणाम नहीं मिलेगा।
नतीजा क्या निकला
तो किसान साथियो, साफ है कि धान की फसल में दूसरी बार यूरिया खाद डालने का सही समय रोपाई के 30 से 35 दिन बाद है। मात्रा का चयन पहली खाद और फसल की स्थिति पर निर्भर करता है। इसके साथ अगर पोटाश और सल्फर सही मात्रा में डाला जाए तो धान की फसल न सिर्फ हरी-भरी होगी बल्कि दाने भी मोटे, चमकदार और ज्यादा मिलेंगे।
FAQ (प्रश्न-उत्तर)
प्रश्न 1: धान में दूसरी बार यूरिया खाद कब डालनी चाहिए?
उत्तर: रोपाई के 30 से 35 दिन बाद।
प्रश्न 2: दूसरी बार यूरिया की मात्रा कितनी होनी चाहिए?
उत्तर: 30 से 35 किलो प्रति एकड़, लेकिन जरूरत पड़ने पर 45 किलो तक।
प्रश्न 3: यूरिया के साथ कौन सा पोषक तत्व डालना जरूरी है?
उत्तर: पोटाश, जिसकी मात्रा 25 से 30 किलो प्रति एकड़ होनी चाहिए।
प्रश्न 4: सल्फर डालने से क्या फायदा होता है?
उत्तर: फसल हरी-भरी रहती है और फंगल बीमारियों से सुरक्षा मिलती है।
प्रश्न 5: पोटाश डालते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर: सुबह न डालें, खेत में पानी कम हो और 25 किलो से कम मात्रा न डालें।
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