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2025 में मक्का की खेती कैसे करें? जानिए बेसल खाद, दूरी, फॉल आर्मीवर्म नियंत्रण और बेहतरीन बीज वैरायटीज़

नमस्कार किसान भाइयों, आज हम आपको मक्का की खेती से जुड़ी संपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं। इसमें हम जमीन की तैयारी, बेसल खाद डालने की विधि, पौधों की उचित दूरी, खरपतवार नियंत्रण, कीट नियंत्रण और अंत में मक्के की सर्वश्रेष्ठ टॉप वैरायटी के बारे में विस्तार से बताएंगे। यह जानकारी विशेष रूप से उन किसानों के लिए लाभकारी है जो मक्के की उपज बढ़ाना चाहते हैं और उन्नत तकनीक को अपनाकर बेहतर उत्पादन लेना चाहते हैं।

जमीन की तैयारी और बेसल खाद का महत्व

मक्का की अच्छी पैदावार के लिए सबसे पहले गहरी जुताई आवश्यक होती है। इससे मिट्टी का अच्छा भुरभुरापन बनता है और जड़ों को गहराई तक बढ़ने में सहायता मिलती है। जुताई के बाद बेसल खाद डालना जरूरी होता है। इसके अंतर्गत प्रति एकड़ कम से कम एक बैग डीएपी, 5 किलोग्राम सल्फर और 25 किलोग्राम पोटाश डालना चाहिए। ये सभी खादें आप या तो सीधे खेत में बिखेर सकते हैं या फिर बीज ड्रिल मशीन में खाद टैंक में भरकर साथ में बुवाई के समय डाल सकते हैं।

इसके अलावा, गोबर की खाद डालना भी अत्यंत लाभकारी होता है, जो मिट्टी की उर्वरता और जीवांश मात्रा को बढ़ाता है। यदि आप बेड विधि से बुवाई करते हैं तो खाद बेड पर डालें और फिर बीज बोयें। आजकल हैंड सीडल भी आ चुकी हैं, जिनमें खाद और बीज दोनों अलग-अलग डब्बों में डालकर एक साथ बोये जा सकते हैं।

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2025 में मक्का की खेती कैसे करें? जानिए बेसल खाद, दूरी, फॉल आर्मीवर्म नियंत्रण और बेहतरीन बीज वैरायटीज़

पौधों और लाइनों के बीच उचित दूरी

मक्का की बुवाई दो विधियों से की जाती है – फ्लैट विधि और बेड विधि। वर्तमान में बेड विधि अधिक लोकप्रिय हो रही है, क्योंकि इससे जल निकासी में आसानी होती है। मक्का की बुवाई करते समय बेड से बेड की दूरी 3 से 4 फीट और पौधे से पौधे की दूरी 9 इंच से 1 फीट रखनी चाहिए। भारी जमीन में 1 फीट और हल्की जमीन में 9 इंच की दूरी उपयुक्त होती है।

अंकुरण के बाद खरपतवार नियंत्रण

बुवाई के 4–5 दिन बाद अंकुरण शुरू हो जाता है। इस समय मक्का के साथ-साथ खरपतवार भी उगने लगते हैं, जो यदि समय पर नियंत्रित न किए जाएं, तो उपज में 50% तक की गिरावट ला सकते हैं। अंकुरण के 15 से 20 दिनों के भीतर खरपतवार नाशी जैसे लॉडिस, टिंजर आदि का छिड़काव करें। इससे पौधा स्वस्थ रहेगा और अच्छी वृद्धि करेगा।

पहली यूरिया खुराक और पोषक तत्वों का मिश्रण

अंकुरण के 21 दिन बाद यूरिया की पहली खुराक देना चाहिए। इसमें एक बैग यूरिया के साथ 1 किलोग्राम एनपीके (19:19:19) मिलाकर डालें। इससे पौधे को नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश तीनों प्रमुख पोषक तत्व मिलते हैं, जिससे उसकी बढ़वार तेज होती है। इसके साथ आप माइकोराइजा का भी प्रयोग कर सकते हैं, जो जड़ों की ग्रोथ में सहायक होता है।

कीट नियंत्रण: फॉल आर्मी वर्म और रस चूसक कीटों से बचाव

मक्का की फसल में प्रारंभिक अवस्था में फॉल आर्मी वर्म का खतरा सबसे ज्यादा होता है। साथ ही थ्रिप्स, व्हाइट फ्लाई और एफिड जैसे रस चूसक कीट भी नुकसान पहुंचाते हैं। इन कीटों को नियंत्रित करने के लिए सल्फर और फफूंदनाशक (जैसे स्वाधीन) का उपयोग करें। स्वाधीन में सल्फर और टेबुकोनाजोल होता है, जो फफूंद और कीट दोनों से सुरक्षा प्रदान करता है।

कीटनाशकों में प्रोफेनोफॉस युक्त दवा (जैसे प्रोफेक्स सुपर) का प्रयोग 30 एमएल प्रति 20 लीटर पानी के हिसाब से करें। यदि फॉल आर्मी वर्म अधिक मात्रा में दिखाई दें, तो इमामेक्टिन बेंजोएट या कोरोजन का छिड़काव करें। कोरोजन का प्रयोग 90 एमएल और थायोमेथोक्साम या एसिटामिप्रिड का प्रयोग 100 ग्राम प्रति एकड़ की दर से करें।

दूसरी यूरिया खुराक और फसल को मजबूती देने वाले पोषक तत्व

अंकुरण के 45 दिन बाद दूसरी यूरिया खुराक दी जाती है। इस समय यूरिया के साथ 25 से 50 किलोग्राम पोटाश (एमओपी) मिलाकर डालें। इससे दानों का आकार और रंग अच्छा आता है और पौधे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। साथ ही यदि पौधा कमर से ऊपर बढ़ गया हो तो 5234 स्प्रे का प्रयोग करें जिससे पौधे की बढ़वार और मजबूत होती है।

जल निकासी और खरपतवार नियंत्रण: सफल फसल के दो स्तंभ

मक्का की सफल खेती के लिए जल निकासी व्यवस्था अत्यंत जरूरी है। जलभराव से फसल में रोग और कीट लगने की संभावना बढ़ जाती है। इसके साथ ही खेत में समय-समय पर निराई करके खरपतवार को हटाते रहें ताकि पोषक तत्वों का सही उपयोग मक्का के पौधों द्वारा हो सके। यदि आपने खरपतवार और जल प्रबंधन सही तरीके से कर लिया तो आपकी फसल में नुकसान की संभावना न के बराबर रहेगी।

टॉप मक्का हाईब्रिड वैरायटीज की जानकारी

अब बात करते हैं मक्का की प्रमुख हाईब्रिड वैरायटीज की जो भारी और हल्की दोनों तरह की जमीनों के लिए उपयुक्त हैं:

भारी जमीन के लिए उपयुक्त वैरायटीज:

  • एडवंटा 741 – भारी मिट्टी के लिए उत्तम
  • एडवंटा 759 – मध्यम भारी जमीन के लिए
  • सिंजेंटा 6802 – उन्नत उत्पादन के लिए
  • बायर 9247 – रोग प्रतिरोधक और भारी जमीन के अनुकूल
  • डेकाल्ब 9126 – मजबूत पौध विकास
  • पायोनियर 3524 – विश्वसनीय प्रदर्शन
  • टाटा 9375 – भरोसेमंद किस्म

हल्की जमीन के लिए उपयुक्त वैरायटीज:

  • सिंजेंटा NK30 – हल्की मिट्टी में बेहतर प्रदर्शन
  • एडवंटा 9293 – तेजी से बढ़ने वाली किस्म
  • पायोनियर 3302 व 3502 – अच्छी गुणवत्ता के दाने और संतुलित वृद्धि

निष्कर्ष

मक्का की फसल यदि वैज्ञानिक विधियों से और उचित समय पर प्रबंधन के साथ की जाए, तो यह न केवल अच्छा उत्पादन देती है बल्कि किसान की आय भी दोगुनी कर सकती है। जमीन की तैयारी, खाद प्रबंधन, कीट और रोग नियंत्रण, खरपतवार प्रबंधन और उपयुक्त वैरायटी का चयन – इन सभी बातों का ध्यान रखकर आप मक्का की खेती को सफल बना सकते हैं।

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Purushottam Bisen

किसान भाई इस ब्लॉग के माध्यम से हम सभी किसान भाइयो को खेती से जुडी अपडेट देते है साथ ही खेती से जुडी योजना एवं कृषि बिजनेस आइडियाज के बारे में भी बताते है

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