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Wheat Fertilizer Guide: गेहूं की बुवाई में इन खादों से बढ़ाएं पैदावार 30 क्विंटल तक

Wheat Fertilizer Guide: गेहूं की बुवाई में इन खादों से बढ़ाएं पैदावार 30 क्विंटल तक

Wheat Fertilizer Guide: गेहूं की खेती में सिर्फ बीज ही नहीं, सही खाद का चुनाव भी फसल की किस्मत तय करता है। अगर आप चाहते हैं कि आपका खेत हरियाली से लहलहा उठे, दाने मोटे और चमकदार बनें और पैदावार 30 क्विंटल तक पहुँचे — तो यह गाइड आपके लिए है। इस लेख में हम बताएंगे कि कौन-कौन सी खाद कब और कितनी मात्रा में डालनी चाहिए ताकि हर पौधा ताकतवर और रोग-प्रतिरोधक बने। साथ ही जानेंगे बीज उपचार, कीट नियंत्रण और खरपतवार प्रबंधन के सही तरीके। चाहे आप उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान या मध्य भारत से हों — यह गेहूं खाद गाइड आपकी फसल को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगी।

गेहूं की फसल के लिए मुख्य पोषक तत्व

गेहूं की अच्छी ग्रोथ और पैदावार के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, सल्फर, जिंक और आयरन सबसे आवश्यक हैं। नाइट्रोजन पौधे को हरी-भरी बनाए रखता है और वनस्पतिक विकास में मदद करता है। फास्फोरस जड़ों और तनों को मजबूत बनाता है और पैदावार में सीधे योगदान देता है। पोटाश दानों के भराव के समय महत्वपूर्ण होता है और दानों की गुणवत्ता बढ़ाता है। सल्फर रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है, प्रकाश संश्लेषण को तेज करता है और गहरी हरियाली देता है। जिंक फुटिंग और टेलरिंग की संख्या बढ़ाने में मदद करता है जबकि आयरन पौधे की संपूर्ण सेहत के लिए आवश्यक है।

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Wheat Fertilizer Guide: गेहूं की बुवाई में इन खादों से बढ़ाएं पैदावार 30 क्विंटल तक

बुवाई के समय कौन-सी खादें डालें

गेहूं की बुवाई के समय बेसल डोज में डीएपी 50 किग्रा, यूरिया 20 किग्रा, पोटाश 30 किग्रा और वेंटनाइट सल्फर 6-8 किग्रा का इस्तेमाल करें। इन खादों को मिट्टी में अच्छी तरह मिला कर बुवाई करें। डीएपी में नाइट्रोजन और फास्फोरस की पर्याप्त मात्रा होती है, जो शुरुआती विकास और जड़ों की मजबूती के लिए आवश्यक है। पोटाश दानों में भराव और गुणवत्ता के लिए महत्वपूर्ण है। सल्फर पौधे को हरीभरी बनाए रखने और रोगों से लड़ने में मदद करता है।

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समय-समय पर पोषक तत्वों की पूर्ति

गेहूं की फसल 15-20 दिन की अवस्था में कमजोर ग्रोथ या पीलापन दिखा सकती है। इस समय समय पर पोषक तत्वों की पूर्ति करना जरूरी है। यूरिया की अतिरिक्त मात्रा हाइट बढ़ा सकती है, इसलिए लंबी अवधि वाली वैरायटी (जैसे DBW 303) पर 60-75 दिन के बाद पीजीआर स्प्रे करना चाहिए। यह फसल को गिरने से बचाता है और उत्पादन को संतुलित रखता है।

बीज उपचार और कीट नियंत्रण

बुवाई से पहले बीजों का उपचार जरूरी है। दानेदार कीटनाशक जैसे विकोटा, फ्यूरी, वर्टाको या क्लोर साइपर का 500 मिली लीटर डोज बीजों के साथ मिलाकर प्रयोग करें। यह दीमक, वाइट ग्रब और जड़ में लगने वाले कीटों से फसल को बचाता है और अंकुरण में सुधार करता है।

खरपतवार नियंत्रण

गेहूं की फसल में खरपतवार भी उत्पादन घटाने का प्रमुख कारण बन सकते हैं। टाइम टू टाइम सही दवाई का छिड़काव फसल को झटका न पहुंचाते हुए खरपतवार को नियंत्रित करने में मदद करता है।

संतुलित आहार से बढ़िया पैदावार

यदि खेत की मिट्टी कमजोर है तो रासायनिक खादों के साथ गोबर, वर्मी कंपोस्ट या मुर्गी की खाद का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। संतुलित बेसल डोज से एक एकड़ में 30-32 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है।

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FAQs

गेहूं बुवाई के समय कौन-कौन सी खादें जरूरी हैं?

डीएपी, यूरिया, पोटाश और सल्फर मुख्य रूप से जरूरी हैं।

पोटाश का उपयोग कब और क्यों करें?

दानों के भराव के समय पोटाश डालने से दानों की गुणवत्ता और पैदावार बढ़ती है।

सल्फर की आवश्यकता क्यों होती है?

सल्फर फसल को हरी-भरी बनाए रखता है, रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ाता है और प्रकाश संश्लेषण को तेज करता है।

बीज उपचार क्यों जरूरी है?

बीज उपचार से अंकुरण बढ़ता है, फसल रोगों और कीटों से बचती है और उत्पादन बढ़ता है।

संतुलित पोषक तत्व डालने से पैदावार कितनी बढ़ सकती है?

संतुलित पोषक तत्वों से एक एकड़ में 30-32 क्विंटल तक पैदावार संभव है।

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