किसान साथियो, कैसे हैं आप सब? आज हम आपको एक ऐसे प्रेरणादायक किसान की कहानी सुनाने जा रहे हैं, जिसने अपनी मेहनत और आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल से खेती को एक नया आयाम दिया है। यह कहानी है गुजरात के भरूच जिले के पनेठा गांव के धीरेंद्रकुमार भानुभाई देसाई की, जिन्होंने केले की हाई-टेक खेती से 50-60 लाख रुपये सालाना कमाई कर दिखाया है। किसान भाईयो, उनकी इस सफलता ने न केवल उन्हें एक उदाहरण बना दिया, बल्कि पूरे देश के किसानों को प्रेरित भी किया है।
परंपरागत खेती से आधुनिक खेती की ओर सफर
किसान भाईयो, धीरेंद्रकुमार ने खेती की शुरुआत पारंपरिक तरीकों से की थी। उनकी मुख्य फसलें गन्ना और केला थीं, लेकिन पारंपरिक खेती से होने वाली कम आय और चुनौतियों ने उन्हें आधुनिक तकनीकों को अपनाने की प्रेरणा दी। एक कृषि दौरे के दौरान उन्होंने ड्रिप सिंचाई, टिशू कल्चर तकनीक और जैव पोषक तत्व प्रबंधन (IBNM) के बारे में जाना। इसके बाद, उन्होंने ‘एक बूंद से अधिक फसल’ के मंत्र को अपनाते हुए अपनी खेती में क्रांति ला दी।
हाई-टेक केले की खेती में सफलता
किसान साथियो, धीरेंद्रकुमार ने केले की जी-9 किस्म की खेती शुरू की, जिसे टिशू कल्चर और ड्रिप सिंचाई जैसी आधुनिक तकनीकों के साथ जोड़ा। इसके अलावा, उन्होंने हरी खाद, जैव खाद और ड्रोन तकनीक का उपयोग करके अपनी फसलों को बीमारियों से बचाया। उनके इन नवाचारों ने उनकी पैदावार को 15 टन प्रति एकड़ से बढ़ाकर 35 टन प्रति एकड़ तक कर दिया।
उनकी इस तकनीक ने 27 महीनों में तीन बार फसल लेने की सुविधा दी। धीरेंद्रकुमार के खेत को देश का पहला खेत माना गया है, जहां केले की खेती में ड्रोन का इस्तेमाल किया गया। किसान भाईयो, यह न केवल उनकी फसलों की गुणवत्ता बढ़ाता है, बल्कि समय और लागत की भी बचत करता है।
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किसानों के लिए सहकारी समिति की स्थापना
धीरेंद्रकुमार ने अपनी सफलता को अन्य किसानों तक भी पहुंचाया। उन्होंने केले के उत्पादकों के लिए एक सहकारी समिति बनाई, जिससे किसानों को सामूहिक विपणन और बेहतर मूल्य मिलने में मदद मिली। उनके इस प्रयास ने गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के 1,000 से अधिक किसानों को हाई-टेक खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया।
कृषि व्यवसाय का विस्तार और विविधता
किसान साथियो, धीरेंद्रकुमार ने सिर्फ केले की खेती तक सीमित नहीं रहे। उन्होंने ब्राज़ीलियन किस्म के मीठे संतरे ‘नटाल’ के 1200 पौधे लगाए। इसके साथ ही, उन्होंने अपने गांव में केले के चिप्स बनाने की एक इकाई शुरू की, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिला और उनका कृषि व्यवसाय और मजबूत हुआ।
50-60 लाख की सालाना कमाई और राष्ट्रीय पहचान
किसान भाईयो, धीरेंद्रकुमार की मेहनत और नवाचार ने उन्हें लगभग 50-60 लाख रुपये की वार्षिक आय दिलाई है। उनके कार्यों के लिए उन्हें 30 से अधिक प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले हैं। इनमें से कुछ प्रमुख पुरस्कार हैं:
1. IARI इनोवेटिव फार्मर फेलो अवार्ड (2021)
2. जगजीवन राम अभिनव किसान पुरस्कार (2020)
3. सरदार पटेल कृषि अनुसंधान पुरस्कार (2017)
4. एमएफओआई 2024 नेशनल अवार्ड
उनकी सफलता को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने भी सराहा है। उनकी कहानी पर दूरदर्शन किसान और बीबीसी न्यूज गुजराती ने डॉक्यूमेंट्री भी बनाई है।
भविष्य की योजनाएं और प्रेरणा
धीरेंद्रकुमार का सपना है कि भारतीय किसान नई तकनीकों को अपनाएं और खेती को लाभदायक और टिकाऊ बनाएं। वह पर्यावरण को संरक्षित करने और आधुनिक खेती के तरीकों को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत हैं।
किसान साथियो, धीरेंद्रकुमार भानुभाई देसाई की कहानी हमें सिखाती है कि अगर हम मेहनत और नए प्रयोगों के साथ खेती करें, तो न केवल अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं, बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन सकते हैं। क्या आप भी खेती में नए प्रयोग करने के लिए तैयार हैं?
किसान भाई इस ब्लॉग के माध्यम से हम सभी किसान भाइयो को खेती से जुडी अपडेट देते है साथ ही खेती से जुडी योजना एवं कृषि बिजनेस आइडियाज के बारे में भी बताते है