Paddy Crop Management: धान की खेती में एक ऐसा समय आता है जब आपकी फसल की किस्मत तय होती है। यह समय है 45 से 70 दिनों के बीच का, जिसे किसान भाइयों को कभी नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। इसी दौर में पौधे की वृद्धि तेज़ होती है, पत्तियां फैलती हैं और बाली बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। अगर इस समय सही खाद प्रबंधन, रोग नियंत्रण और कीट प्रबंधन किया जाए तो धान की फसल दोगुना उत्पादन देती है और किसान की मेहनत सच में सोने में बदल जाती है।
धान की वृद्धि का सबसे महत्वपूर्ण दौर
जब पौधा रोपाई के 45 से 55 दिन पूरे कर लेता है, तब उसका विकास सबसे तेज़ होता है। इस समय धान की फसल में टिलरिंग यानी फुटान भरपूर होती है और एक पौधे से कई नए पौधे निकलते हैं। यह दौर बारिश का भी होता है और इसी समय तना छेदक, भूरे फूतका, सफेद फूतका, शीथ ब्लाइट और ब्लास्ट जैसी बीमारियां हमला करने लगती हैं।
छिपे दुश्मनों पर समय रहते वार
इस अवस्था में दो बड़ी समस्याएं चुपचाप शुरू होती हैं—तनाछेदक कीट और हल्दिया रोग। इनका लक्षण शुरुआत में नहीं दिखता, लेकिन 65-70 दिन पर यह फसल को बुरी तरह नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए 50 दिनों के आसपास ही इनके नियंत्रण की रणनीति बनाना जरूरी है। अगर किसान भाई इस समय पर दवा छिड़क दें तो बाद में फसल सुरक्षित रहती है और बाली स्वस्थ होकर निकलती है।

खाद और उर्वरक प्रबंधन
इस समय पौधों को ताकत देने के लिए 50 किलो अमोनियम सल्फेट, 25 किलो पोटाश और 3 से 10 किलो जिंक प्रति एकड़ डालना अति आवश्यक है। अगर पहले जिंक नहीं डाली गई है तो कम से कम 8 से 10 किलो प्रति एकड़ जरूर डालें। जिंक फूल यानी बाली बनने की प्रक्रिया के लिए सबसे अहम पोषक तत्व है। इसके अलावा भूमिका जैसे ऑर्गेनिक खाद डालने से जड़ें ज्यादा सक्रिय रहती हैं और पौधे तेजी से पोषक तत्व खींचकर हरापन और मजबूती बनाए रखते हैं।
रोग और कीटों से फसल की सुरक्षा
धान की इस अवस्था में शीथ ब्लाइट, ब्लास्ट और बैक्टीरियल झुलसा सबसे खतरनाक रोग होते हैं। दोस्तों, बैक्टीरियल झुलसा की पहचान पत्ते की टिप से सूखने और किनारों पर भूरेपन से होती है। अगर यह रोग दिखे तो कॉपर का छिड़काव करना बेहद फायदेमंद है। कॉपर वन का 400 ग्राम प्रति एकड़ छिड़काव करने से फंगस और बैक्टीरिया दोनों पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
45-70 दिनों में सही कदम क्यों जरूरी हैं
दोस्तों, अगर किसान भाई इस समय पर सही खाद, कीटनाशक और रोग नियंत्रण की रणनीति अपनाते हैं तो उनकी फसल तंदुरुस्त रहती है। बाली मजबूत बनती है, पत्ते हरियाले और स्वस्थ रहते हैं और सबसे अहम बात, भविष्य में आने वाले रोग भी समय रहते रुक जाते हैं। यही कारण है कि इस अवधि को धान की खेती का सुनहरा दौर कहा जाता है।
Crop residue management of paddy 🌾 pic.twitter.com/CccL6pQSsk
— Abhijeet Singh Maan (@abhijeetmaann) October 23, 2024
FAQs: Paddy Crop Management
प्रश्न 1: धान की फसल में सबसे तेज़ वृद्धि कब होती है?
उत्तर: रोपाई के 45 से 70 दिनों के बीच धान की फसल सबसे तेज़ी से बढ़ती है और इसी समय बाली बनने की प्रक्रिया होती है।
प्रश्न 2: इस समय कौन-कौन से रोग और कीट सबसे ज्यादा नुकसान करते हैं?
उत्तर: तनाछेदक, हल्दिया रोग, शीथ ब्लाइट, ब्लास्ट और बैक्टीरियल झुलसा सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं।
प्रश्न 3: इस अवस्था में खाद प्रबंधन कैसे करें?
उत्तर: प्रति एकड़ 50 किलो अमोनियम सल्फेट, 25 किलो पोटाश और 3 से 10 किलो जिंक डालना चाहिए।
प्रश्न 4: बैक्टीरियल झुलसा का नियंत्रण कैसे किया जाए?
उत्तर: इसके लिए कॉपर वन का 400 ग्राम प्रति एकड़ छिड़काव करना सबसे प्रभावी है।
प्रश्न 5: क्या इस समय ऑर्गेनिक खाद डालना जरूरी है?
उत्तर: हां, भूमिका जैसे ऑर्गेनिक खाद डालने से जड़ें ज्यादा सक्रिय रहती हैं और पौधे बेहतर पोषण लेते हैं।
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