रोपण कृषि कृषि का एक विशेष प्रकार है जिसमें बड़े पैमाने पर एक ही फसल की खेती की जाती है। यह मुख्य रूप से वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए की जाती है, जहाँ चाय, कॉफी, रबर, कपास या अन्य नकदी फसलों को विस्तृत भू-भाग में उगाया जाता है। इस प्रकार की कृषि में उत्पादन को सीधे बाजार में बेचने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
रोपण कृषि की मुख्य विशेषताएं
रोपण कृषि की कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
एकल फसल प्रणाली: इसमें केवल एक ही प्रकार की फसल को बड़े क्षेत्र में उगाया जाता है, जैसे चाय के बागान या रबड़ के बागान।
विशाल क्षेत्रफल: रोपण कृषि के लिए बहुत बड़े भू-भाग की आवश्यकता होती है, जिसमें सैकड़ों एकड़ जमीन शामिल हो सकती है।
पूंजी गहन: इसमें भारी मात्रा में पूंजी निवेश की आवश्यकता होती है, साथ ही उन्नत तकनीक और वैज्ञानिक तरीकों का प्रयोग किया जाता है।
बाजार से जुड़ाव: रोपण कृषि के उत्पादों को बाजार तक पहुँचाने के लिए विकसित परिवहन व्यवस्था का होना आवश्यक है।
श्रम गहन: इस प्रकार की कृषि में बड़ी संख्या में कुशल श्रमिकों की आवश्यकता होती है, क्योंकि अधिकांश कार्य हाथ से ही किए जाते हैं।
रोपण कृषि का महत्व
रोपण कृषि देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह न केवल बड़ी मात्रा में रोजगार प्रदान करती है, बल्कि विदेशी मुद्रा अर्जित करने में भी सहायक होती है। चाय, कॉफी और रबड़ जैसे उत्पादों का निर्यात देश के लिए आय का एक प्रमुख स्रोत है। इसके अलावा, यह कृषि पद्धति क्षेत्रीय विकास को भी गति प्रदान करती है।
निष्कर्ष
रोपण कृषि एक विशेष प्रकार की वाणिज्यिक कृषि है जो बड़े पैमाने पर एकल फसल उत्पादन पर केंद्रित होती है। इसकी सफलता के लिए पर्याप्त पूंजी, कुशल श्रम और विकसित परिवहन व्यवस्था आवश्यक है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश में रोपण कृषि का विशेष महत्व है, क्योंकि यह न केवल आर्थिक लाभ प्रदान करती है बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में भी योगदान देती है।
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