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रोपण कृषि किसे कहते है, कहां की जाती है, परिभाषा, विशेषताएं और महत्व (Ropan Krishi Kise Kahate Hain)

रोपण कृषि किसे कहते है, कहां की जाती है, परिभाषा, विशेषताएं और महत्व (Ropan Krishi Kise Kahate Hain)

Ropan Krishi Kise Kahate Hain: इस लेख में बताया गया है कि रोपण कृषि क्या होती है, इसकी मुख्य विशेषताएं क्या हैं और यह भारत की अर्थव्यवस्था में क्यों महत्वपूर्ण है। साथ ही इसमें चाय, कॉफी, रबर और काजू जैसी प्रमुख रोपण फसलों के उदाहरण और उनका महत्व भी समझाया गया है।

रोपण कृषि किसे कहते है

रोपण कृषि कृषि का एक विशेष प्रकार है जिसमें बड़े पैमाने पर एक ही फसल की खेती की जाती है। यह मुख्य रूप से वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए की जाती है, जहाँ चाय, कॉफी, रबर, कपास या अन्य नकदी फसलों को विस्तृत भू-भाग में उगाया जाता है। इस प्रकार की कृषि में उत्पादन को सीधे बाजार में बेचने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।

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रोपण कृषि किसे कहते है, परिभाषा, विशेषताएं और महत्व (Ropan Krishi Kise Kahate Hain)

रोपण कृषि की मुख्य विशेषताएं

रोपण कृषि की कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

एकल फसल प्रणाली: इसमें केवल एक ही प्रकार की फसल को बड़े क्षेत्र में उगाया जाता है, जैसे चाय के बागान या रबड़ के बागान।

विशाल क्षेत्रफल: रोपण कृषि के लिए बहुत बड़े भू-भाग की आवश्यकता होती है, जिसमें सैकड़ों एकड़ जमीन शामिल हो सकती है

पूंजी गहन: इसमें भारी मात्रा में पूंजी निवेश की आवश्यकता होती है, साथ ही उन्नत तकनीक और वैज्ञानिक तरीकों का प्रयोग किया जाता है

बाजार से जुड़ाव: रोपण कृषि के उत्पादों को बाजार तक पहुँचाने के लिए विकसित परिवहन व्यवस्था का होना आवश्यक है।

श्रम गहन: इस प्रकार की कृषि में बड़ी संख्या में कुशल श्रमिकों की आवश्यकता होती है, क्योंकि अधिकांश कार्य हाथ से ही किए जाते हैं।

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रोपण कृषि किसे कहते है, परिभाषा, विशेषताएं और महत्व (Ropan Krishi Kise Kahate Hain)

रोपण कृषि का महत्व

रोपण कृषि देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह न केवल बड़ी मात्रा में रोजगार प्रदान करती है, बल्कि विदेशी मुद्रा अर्जित करने में भी सहायक होती है। चाय, कॉफी और रबड़ जैसे उत्पादों का निर्यात देश के लिए आय का एक प्रमुख स्रोत है। इसके अलावा, यह कृषि पद्धति क्षेत्रीय विकास को भी गति प्रदान करती है।

रोपण फसल के उदाहरण

  1. चाय (Tea) – असम, दार्जिलिंग और नीलगिरी में चाय के विशाल बागान पाए जाते हैं।
  2. कॉफी (Coffee) – कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में कॉफी की खेती होती है।
  3. रबर (Rubber) – मुख्य रूप से केरल और कर्नाटक में रबर के बागान स्थित हैं।
  4. काजू (Cashew) – कोंकण, केरल और आंध्र प्रदेश में काजू के बागान प्रसिद्ध हैं।
  5. कपास (Cotton) – महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश में बड़े पैमाने पर कपास उगाई जाती है।
  6. नारियल (Coconut) – केरल और तमिलनाडु में नारियल के बागान आम हैं।
  7. केला (Banana) – तमिलनाडु, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में केले के बड़े खेत मिलते हैं।

निष्कर्ष

रोपण कृषि एक विशेष प्रकार की वाणिज्यिक कृषि है जो बड़े पैमाने पर एकल फसल उत्पादन पर केंद्रित होती है। इसकी सफलता के लिए पर्याप्त पूंजी, कुशल श्रम और विकसित परिवहन व्यवस्था आवश्यक है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश में रोपण कृषि का विशेष महत्व है, क्योंकि यह न केवल आर्थिक लाभ प्रदान करती है बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में भी योगदान देती है।

FAQ: Ropan Krishi Kise Kahate Hain

प्रश्न 1: रोपण कृषि किसे कहते हैं?

उत्तर: दोस्तों, रोपण कृषि वह पद्धति है जिसमें बड़े पैमाने पर केवल एक ही फसल उगाई जाती है, जैसे चाय या रबर।

प्रश्न 2: रोपण कृषि की मुख्य फसलें कौन-सी हैं?

उत्तर: चाय, कॉफी, रबर, काजू और कपास प्रमुख फसलें हैं

प्रश्न 3: रोपण कृषि के लिए किन संसाधनों की आवश्यकता होती है?

उत्तर: विशाल भूमि, पूंजी निवेश, तकनीकी ज्ञान, श्रमिक और परिवहन साधन आवश्यक हैं।

प्रश्न 4: भारत में रोपण कृषि कहां पाई जाती है?

उत्तर: असम, दार्जिलिंग, केरल और कर्नाटक में चाय, कॉफी और रबर की रोपण कृषि प्रमुख रूप से होती है।

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