Urea Fertilizer Alternative: किसान साथियो, कैसे हैं आप लोग। आज हम एक बहुत ही जरूरी मुद्दे पर बात करने जा रहे हैं। दोस्तो, आप सब जानते हैं कि जब भी यूरिया खाद की कमी होती है तो किसान सबसे ज्यादा परेशान हो जाते हैं। क्योंकि फसल की बढ़वार और हरियाली के लिए सबसे ज्यादा जरूरी नाइट्रोजन ही होती है और यही यूरिया में भरपूर मात्रा में मिलती है। लेकिन जब यूरिया नहीं मिलता तो क्या करें? कौन से खाद का विकल्प हमारे पास बचता है और उससे हमारी लागत कितनी बढ़ जाती है? यही सब मैं आपको इस रिपोर्ट में विस्तार से बताने जा रहा हूं।
यूरिया क्यों है किसानों की पहली पसंद
दोस्तो पौधों को तीन मुख्य पोषक तत्वों की जरूरत होती है – नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश। इनमें नाइट्रोजन पौधे की बढ़वार और पत्तियों की हरियाली के लिए सबसे अहम है। यही कारण है कि जब हम यूरिया डालते हैं तो फसल कम खर्च में हरी-भरी दिखने लगती है। यूरिया में 46% नाइट्रोजन होता है और यही इसकी सबसे बड़ी ताकत है।

अब बात करें कीमत की तो सरकार यूरिया पर भारी सब्सिडी देती है। असल में सरकार को एक बैग करीब ₹3000 में पड़ता है लेकिन किसान भाइयों को वही बैग सिर्फ ₹263 में मिलता है। इसलिए किसानों के लिए यह सबसे सस्ता और असरदार खाद माना जाता है।
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क्या नैनो यूरिया सच में विकल्प है?
दोस्तो अक्सर कई जगह कहा जाता है कि अगर यूरिया खाद नहीं मिल रहा है तो नैनो यूरिया का उपयोग कर लो। लेकिन पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की रिसर्च कहती है कि गेहूं और धान जैसी फसलों में नैनो यूरिया डालने से प्रोटीन की मात्रा कम हो जाती है और उपज भी घट जाती है। ऐसे में इसे यूरिया का सीधा विकल्प मानना गलत साबित होता है।
यूरिया की जगह अमोनियम सल्फेट
किसान भाइयो, यूरिया की कमी में सबसे पहला विकल्प अमोनियम सल्फेट हो सकता है। इसमें 20.5% नाइट्रोजन और 23% सल्फर होता है। खास बात यह है कि धान जैसी फसलें आसानी से अमोनियम से नाइट्रोजन ले लेती हैं। इससे रिजल्ट भी जल्दी मिलते हैं और सल्फर का फायदा भी मिलता है।

लेकिन दोस्तो, इसकी लागत यूरिया की तुलना में ज्यादा है। 25 किलो का बैग करीब ₹1400 का आता है। अगर आप प्रति एकड़ 18 से 20 किलो डालते हैं तो आपका खर्च करीब ₹1000 तक बढ़ जाता है। हालांकि नतीजे जरूर बेहतर मिलते हैं लेकिन जेब पर असर पड़ता है।
यूरिया की जगह NPK 24:24:0
अब बात करें दूसरे विकल्प की, तो किसान भाई NPK 24:24:0 का उपयोग भी कर सकते हैं। इसमें 24% नाइट्रोजन और 24% फास्फोरस होता है। नाइट्रोजन से पौधे की बढ़वार होती है और फास्फोरस से जड़ों का विकास और फल का आकार बढ़ता है।
लेकिन इसकी कीमत भी यूरिया से कहीं ज्यादा है। एक बैग करीब ₹1700 में मिलता है और प्रति एकड़ इस्तेमाल करने पर आपकी लागत करीब ₹1700 तक और बढ़ जाती है। यानी नतीजे अच्छे हैं लेकिन खर्च भी ज्यादा है।
नतीजा क्या निकला?
तो किसान साथियो, साफ है कि यूरिया सस्ता और असरदार खाद है, लेकिन इसकी कमी पड़ने पर हमें अमोनियम सल्फेट और NPK जैसे विकल्पों पर निर्भर रहना पड़ता है। नतीजे अच्छे मिलते हैं लेकिन जेब ढीली करनी पड़ती है। यही वजह है कि जब भी यूरिया की कमी होती है तो किसानों की सबसे बड़ी चिंता सिर्फ फसल की हरियाली नहीं बल्कि अपनी बढ़ती लागत भी होती है।
FAQ (प्रश्न-उत्तर)
प्रश्न 1: यूरिया में नाइट्रोजन कितनी मात्रा में होता है?
उत्तर: यूरिया में 46% नाइट्रोजन होता है।
प्रश्न 2: क्या नैनो यूरिया यूरिया का विकल्प हो सकता है?
उत्तर: नहीं, रिसर्च बताती है कि गेहूं और धान में इससे उपज और प्रोटीन दोनों कम हो जाते हैं।
प्रश्न 3: अमोनियम सल्फेट की कीमत कितनी है?
उत्तर: 25 किलो का बैग करीब ₹1400 का आता है और प्रति एकड़ उपयोग से ₹800-1000 खर्च बढ़ जाता है।
प्रश्न 4: NPK 24:24:0 खाद क्यों उपयोगी है?
उत्तर: इसमें नाइट्रोजन और फास्फोरस दोनों होते हैं जो बढ़वार, जड़ों और फलों के आकार में मदद करते हैं।
प्रश्न 5: किसानों की लागत क्यों बढ़ जाती है?
उत्तर: क्योंकि यूरिया सरकार की सब्सिडी पर सिर्फ ₹263 में मिलता है, जबकि विकल्प खाद की कीमत बहुत ज्यादा है।
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