किसान साथियों आज हम जानेगे मसूर की टॉप 5 वैरायटी के बारे में और इससे कितना हो सकता है लाभ और प्रति एकड़ कितना उत्पादन ले सकते है तो आये जानते है विस्तार से
मसूर कि दाल शरीर के लिए पौष्टिक मानी जाती है वहीँ बाज़ार में इसके भाव अच्छे मिल जाते है यदि किसान मसूर कि मिश्रित खेती करें तो काफी अच्छा लाभ कमा सकता है मसूर को आप सरसों या जौ कि फसल के साथ बुवाई कर सकते है इस तरह किसान पानी खाद व उर्वरक कि बचत करके कम लागत में मसूर कि खेती कर सकता है क्योकि अगर आप इसे सरसों के साथ उगाते है सरसों में दिए गए पानी खाद व उर्वरक का लाभ मसूर कि फसल को भी अपने आप मिल जायेगा
मसूर की टॉप 5 वैरायटी
बुवाई के लिए मसूर कि उन्नत किस्म का चुनाव करना बहुत जरुरी है वैसे तो मसूर कि बहुत सी किस्मे है लेकिन हम यहाँ आपको उनमे से चुन्निदा टॉप 5 किस्मो कि जानकारी देने वाले है जो अधिक पैदावार देती है टॉप किस्मो के बारे में जानने से पहले मसूर कि बुवाई का उचित समय क्या है यह जानना जरुरी है
मसूर की बुवाई का समय
मसूर कि बुवाई अक्टूबर से लेकर नवम्बर तक की जा सकती है लेकिन इसकी बुवाई का उचित समय 20 अक्टूबर से लेकर 15 नवम्बर तक माना जाता है
1. पंत एल -639 किस्म
मसूर कि यह किस्म 130 से 140 के बिच में पककर तैयार हो जाती है इस किस्म से आप 18 से लेकर 30 क्विंटल तक उत्पादन ले सकते है यह किस्म उकठा रोग प्रतिरोधक किस्म है जिसमे कि दाने कम झड़ते है
2. मलिका (K-75) किस्म
यह किस्म 125 से 130 दिन के भीतर पककर तैयार हो जाती है इस किस्म के बिज गुलाबी रंग और आकार में बड़े होते है इस किस्म में औसतन पैदावार लगभग 5 क्विंटल से लेकर 6 क्विंटल प्रति एकड़ प्राप्त कि जा सकती है मसूर कि यह किस्म उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान और बिहार के लिए उपयुक्त पायी गयी है
3. पूसा शिवालिंग (एल 4076) किस्म
यह किस्म भी 120 से लेकर 130 दिनों में पककर तैयार होती है इसकी औसतन पैदावार प्रति एकड़ 6 क्विंटल तक प्राप्त हो जाती है और इसकी खेती बारानी क्षेत्र में भी सफलतापूर्वक की जा सकती है इसकी किस्म राजस्थान, पंजाब, हरयाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उतराखंड और हिमाचल प्रदेश के लिए उपयुक्त है
4. पंत एल- 406 किस्म
यह किस्म 150 दिन में पककर तैयार हो जाती है इस किस्म से औसतन पैदावार 12 से लेकर 13 क्विंटल प्रति एकड़ प्राप्त कि जा सकती है खास बात यह है की मसूर की यह किस्म रस्ट रोग के प्रति प्रतिरोधी होती है इस किस्म कि खेती देश के उत्तर ,पूर्व , पश्चिम मैदानी छेत्रो में की जाती है
5. पूसा वैभव (एल – 4147) किस्म
मसूर कि इस किस्म में आयरन की मात्रा अन्य किस्मो से अधिक होती है इसका दाना आकार में छोटा होता है इस किस्म की खेती सिंचित व प्रामि दोनों छेत्रो में की जाती है इस किस्म से प्रति एकड़ औसतन पैदावार 7 से 8 क्विंटल तक प्राप्त की जा सकती है
बुवाई का सबसे अच्छा तरीका
मसूर की खेती के लिए 30 से 35 kg प्रति हेक्टेयर बीज की आवश्यकता होती है अगर देर से बुवाई करते है तो 40 से लेकर 60 kg प्रति हेक्टेयर की दर से बीज लिया जा सकता है और बुवाई से पहले बीजो को 3 ग्राम थायरम या बाविस्टिन के प्रति किलो ग्राम बीज की दर से इसको उपचारित करना बहुत जरुरी है इसके अलावा बीजो को 5 ग्राम rigiberium culture से उपचारित करना चाहिए इसके बाद बीजो किसी छाया वाली जगह पर सुखाना चाहिए और अगले दिन seed drill मशीन की सहायता से उपचारित किये गए बीजो की बुवाई करना चाहिए
किसान भाई यह थी मसूर की टॉप 5 किस्मे और हमने आपको बुवाई का तरीका साथ ही किस समय इसकी बुवाई करना चाहिए हमने आपको सम्पूर्ण जानकारी दे दी है
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