मूंग और उड़द की फसल में इल्लियों से छुटकारा और अधिक पैदावार पाने के लिए चौथा पावरफुल स्प्रे कॉम्बो – गर्मी में भी 100% असरदार उपाय

By Purushottam Bisen

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फसल की बेहतर दाना भरने और चमक लाने के लिए, चौथे स्प्रे के 2-3 दिन बाद एक और स्प्रे करें जिसमें दो उत्पाद शामिल हों – एनपीके 05:52:34 और मिक्स माइक्रोन्यूट्रिएंट सुपर।

गर्मी के मौसम में मूंग और उड़द की फसल में चाहे आप पहला, दूसरा या तीसरा स्प्रे कर लें, फिर भी कीटों का प्रकोप खत्म नहीं हो रहा और फसल पर सकारात्मक परिणाम नहीं दिख रहे। न ही फलियों का विकास हो रहा है और न ही फफूंदजनित रोगों पर नियंत्रण मिल रहा है। किसान साथी परेशान हैं कि अब और क्या करें? कौन-सी दवा का छिड़काव करें जिससे इल्लियां पूरी तरह खत्म हों, रोग नियंत्रित हो जाएं और साथ ही साथ पैदावार में भी बढ़ोतरी हो?

गर्मी के मौसम में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जाने के कारण वाष्पोत्सर्जन की क्रिया बहुत तेज हो जाती है। इससे पौधे की पत्तियों में नमी नहीं टिक पाती और जब भी कोई दवा छिड़की जाती है, वह लंबे समय तक असर नहीं कर पाती। नतीजतन कीटनाशक हो या कोई पोषक तत्व – उनका असर 8-10 दिन से अधिक नहीं रह पाता।

चौथा पावरफुल स्प्रे कॉम्बो:

इन समस्याओं को देखते हुए कात्यायनी ऑर्गेनिक्स ने मूंग और उड़द की फसल के लिए एक विशेष चौथा स्प्रे कॉम्बो तैयार किया है। यह दो उत्पादों का सम्मिलन है – फ्लूवेन और प्रो ग्रो, जो गर्मी के मौसम में भी प्रभावी ढंग से कार्य करते हैं।

फ्लूवेन: इल्लियों का दुश्मन

फ्लूवेन में फ्लूवेंडामाइड 39.5% SC होता है। यह एक अत्याधुनिक पेट्रोलियम बेस्ड सॉल्युबल कंसंट्रेट (SC) फॉर्म में आता है जो गर्मी के मौसम में भी अपना असर बनाए रखता है। यह दवा पौधे की पत्तियों में ऊपर से नीचे तक समरूप रूप से फैल जाती है और डायएमाइड ग्रुप का सिस्टमिक कीटनाशक होने के कारण इल्लियों में इसके खिलाफ रेसिस्टेंस विकसित नहीं हो पाया है।

फ्लूवेन का छिड़काव करने से तंबाकू इल्ली, पत्ती लपेटक, चबाने वाली इल्ली, फल्ली छेदक जैसे कीटों पर लंबी अवधि तक नियंत्रण मिलता है। जब मूंग और उड़द की फसल में फलियों का निर्माण शुरू हो जाए, तब इसका छिड़काव करना सर्वोत्तम होता है। इसे 40 मि.ली. प्रति एकड़ की मात्रा में 150-200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

मूंग और उड़द की फसल में इल्लियों से छुटकारा और अधिक पैदावार पाने के लिए चौथा पावरफुल स्प्रे कॉम्बो – गर्मी में भी 100% असरदार उपाय

प्रो ग्रो: फसल की वृद्धि और दाने की गुणवत्ता के लिए आवश्यक

प्रो ग्रो एक प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर है, जिसमें जिबरेलिक एसिड 0.001% के साथ-साथ सूक्ष्म पोषक तत्व (माइक्रोन्यूट्रिएंट्स) भी शामिल होते हैं। यह फसल की वानस्पतिक और जननात्मक वृद्धि को संतुलित करता है।

फसल के शुरुआती चरण में यह शाखाएं और पत्तियां बढ़ाने का कार्य करता है, जबकि फूल और फलियों की अवस्था में यह फूलों की संख्या और दानों की गुणवत्ता को बढ़ाने में सहायक होता है। इससे न केवल दानों की मोटाई और चमक बढ़ती है, बल्कि पैदावार में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिलती है।

प्रो ग्रो का छिड़काव 250 मि.ली. प्रति एकड़ की मात्रा में करें और सुनिश्चित करें कि आप 200 लीटर पानी प्रति एकड़ उपयोग करें ताकि पौधों की पूरी कैनोपी को अच्छी तरह कवर किया जा सके। छिड़काव से पहले खेत में हल्की सिंचाई करना जरूरी है ताकि पौधों में नमी बनी रहे और दवा का प्रभाव फसल पर सकारात्मक रूप से पड़े।

अतिरिक्त स्प्रे: पैदावार और दाने की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए

फसल की बेहतर दाना भरने और चमक लाने के लिए, चौथे स्प्रे के 2-3 दिन बाद एक और स्प्रे करें जिसमें दो उत्पाद शामिल हों – एनपीके 05:52:34 और मिक्स माइक्रोन्यूट्रिएंट सुपर।

एनपीके 05234 में 52% फास्फोरस और 34% पोटाश होता है, जो फसल के दानों की मोटाई, चमक और संपूर्ण गुणवत्ता बढ़ाता है। वहीं मिक्स माइक्रोन्यूट्रिएंट सुपर में कुल 6 प्रकार के सूक्ष्म पोषक तत्व होते हैं जो चिलेटेड फॉर्म में होते हैं। इस फॉर्म का लाभ यह है कि इनके परिणाम बहुत जल्दी दिखाई देते हैं – मात्र 2-3 दिन में।

इस स्प्रे में एनपीके 05234 को 750 ग्राम प्रति एकड़ और मिक्स माइक्रोन्यूट्रिएंट सुपर को 100 ग्राम प्रति एकड़ की मात्रा में मिलाकर 200 लीटर पानी में छिड़काव करें।

गर्मी में भी मूंग और उड़द की फसल को बनाएं सफल

मौजूदा गर्मी के मौसम में पारंपरिक कीटनाशकों और स्प्रे का असर सीमित रह जाता है। लेकिन यदि आप फ्लूवेन और प्रो ग्रो जैसे उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों को वैज्ञानिक विधि से प्रयोग में लाते हैं, तो न केवल इल्लियों और रोगों पर नियंत्रण पाया जा सकता है, बल्कि पैदावार और दानों की गुणवत्ता में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी संभव है। इसके अतिरिक्त एनपीके 05234 और मिक्स माइक्रोन्यूट्रिएंट सुपर का उपयोग करने से फसल को पोषण संतुलन मिलता है और वह रोगों के प्रति अधिक प्रतिरोधक बनती है।

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