किसान भाइयो के लिए एक और नई जानकारी लेकर आये है. ईसबगोल में माहू कीट का जिस तरह से प्रकोप बड रहा है उसकी रोक थाम को लेकर एक स्प्रे के बारे में बताने वाले है जिसे छिड़कने के बाद आप कीटो की रोकथाम कर सकते है | इस माहू कीट को मोयला या एफिट कीट भी कहा जाता है ये दो कलर में देखने को मिलते है हरे और काले रंग के होते है जो ईसबगोल की बाली , डंठल पर अटैक करते है |
ईसबगोल में माहू कीट का जबरदस्त अटैक को एक ही स्प्रे से करे 100 % नियंत्रण
जिस तरह मच्छर खून चूसता है उस ही तरह ये भी बाली और डंठल से रस चुसने का काम करता है जिससे बाली में से बीज नही बन पाते है जिससे बाली सुख जाती है माहू कीट रस चुसने के साथ साथ लार भी छोड़ता है जिससे की फूल , पत्तिया ,डंठल काले होकर सूखने लगते है | यही वजह होती है की पौधे के तने सुखने लगते है और इसके उत्पादन में भी कमी देखने को मिलती है |
ईसबगोल में माहू कीट का प्रकोप कब होता है
ईसबगोल में माहू कीट का प्रकोप जनवरी के अंत में बादल छटने और हलकी वर्षा होने के बाद से होता है पिछले कुछ समय से बादल भी छा रहे है वही कुछ स्थानों में वर्षा भी हुई है अब इससे क्या होंगा की माहू कीट का प्रकोप बढेगा | जिससे ये होंगा की अब ईसबगोल में माहू कीट के होने से 50 % की कमी देखने को मिल सकती है |
माहू कीट के बचाव की दवा
माहू कीट के रासायनिक नियंत्रण के लिए imidacloprid 17.8 % SL ( इमिडाक्लोप्रिड 17.8 ) ये दवा काम में लेनी है इमिडाक्लोप्रिड ये दवा सफ़ेद मक्खी , दीमक पत्तियों में सुरंग बनाने वाले सभी प्रकार से फसल को बचाता है |
दवा की मात्रा
महू कीट के खात्मे के लिए 1 एकड़ फसल के लिए 80 से 100 ml दवा 200 लीटर पानी में मिलाके इसका स्प्रे करे |
सिंचाई
इस दवा का छिडकाव करने के बाद सिंचाई बिल्कुल न करे कम से कम 15 दिनों तक आपको सिंचाई नही करनी होती है |
सुझाव
इमिडाक्लोप्रिड अत्यधिक सक्तिशाली दवा है अतः इसका उपयोग बताई गयी मात्रा से ज्यादा नहीं करना है इस दवा के एक बार छिडकाव करने के बाद सिचाई ना करने या वर्षा ना होने तक पौधे पर इसका असर बना रहना रहता जिससे सभी प्रकार के कीट पौधे से दूर रहते है यह दवा फसलो को कोई नुकशान नहीं पहुचाती है अतः इमिडाक्लोप्रिड को माहु कीट के भयंकर रोग से बचाने के लिए समय रहते उपयोग करें
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