Government Scheme for Farmer: सरकार की 10 योजनाएं, जो किसानों को हर सीजन में देंगी बेहिसाब फायदा, जानिए इनके बारे में:
kisano ke liye yojna: भारत कृषी प्रधान देश है। यहां की बड़ी आबादी अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। हर मौसम में अलग-अलग पौधे उगाए जाते हैं। किसान पौधों से बेहतर उत्पादन के लिए भी कड़ी मेहनत करते हैं। इस बीच, सरकार किसानों के लिए इस काम को आसान बनाने के लिए कृषि योजनाओं का लाभ भी देती है। इन योजनाओं की मदद से बुवाई से लेकर उपज बेचने तक का काम आसान हो जाता है।
महत्वपूर्ण अधिकारियों के माध्यम से चलाई जाने वाली कृषि योजनाएं लोन से लेकर सब्सिडी, प्रोत्साहन, निजी जरूरतों के लिए फसल बीमा तक का लाभ प्रदान करती हैं। उन योजनाओं में किसानों का योगदान लगभग सामान्य होते है। सरकार की 10 कृषि योजनाओं से किसानों के लिए राजस्व के नए स्रोत विकसित कर रोजगार के अवसर भी खुले हैं। ये योजनाएं किसानों को वित्तीय और सामाजिक सुरक्षा भी सुनिश्चित करती हैं।आइए इनके बारे में जानते हैं।
सरकार की ये 10 कृषि योजनाओं से किसानों को होगा जबरदस्त लाभ
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना
‘हर खेत को पानी’ के सपने को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना चलाई जा रही है। धरती के भीतर लगातार पानी की कमी कृषि के लिए एक बड़े मिशन में तब्दील हो रही है। उन चुनौतियों को देखते हुए, किसानों को केंद्र सरकार की कृषि सिंचाई योजना के तहत बड़ी खेती करने, पानी की बर्बादी कम करने और सिंचाई के लिए जल हरित रणनीति अपनाने के लिए प्रेरित किया जाता है।
इन दिनों पानी की बढ़ती कमी को देखते हुए सरकार बूंद-बूंद सिंचाई मॉडल पर काम कर रही है। इसके लिए ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति पर किसानों को सब्सिडी भी दी जाती है। पीएम कृषि सिंचाई योजना के तहत किसी भी मौसम में सिंचाई यंत्र का उपयोग कर सब्सिडी प्राप्त की जा सकती है।
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किसान क्रेडिट कार्ड योजना
खेती में बोआई से लेकर फसल बेचने तक में काफी पैसा खर्च होता है। किसानों के पास अब इतनी जमा पूंजी नहीं है कि वे बिना किसी परेशानी के एक सीजन तक खेती कर सकें।अक्सर बहुत से किसानों को आर्थिक तंगी के कारण आधे रास्ते में ही खेती छोड़ देनी पड़ती है। पैसों से जुड़ी ऐसी ही समस्याओं को दूर करने के लिए सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड योजना की शुरुआत की है।
इस योजना के तहत किसानों को कम लागत वाली ब्याज दरों पर गिरवी रखने की सुविधा दी जाती है। किसान क्रेडिट कार्ड पर किसानों को अल्पावधि ऋण दिया जाता है। साथ ही समय पर कर्ज चुकाने पर सब्सिडी भी दी जाती है। इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान अपने नजदीकी आर्थिक समूह या बैंक से भी संपर्क कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
मौसम परिवर्तन की तकनीक में कृषि और किसानों की चिंता बढ़ रही है। कभी जड़ी-बूटियों के प्रकोप से और कभी-कभी कीट-रोगों के प्रकोप से पौधों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है, जिसे किसानों को खुद वहन करना चाहिए। ऐसे में किसानों और पौधों को कई समस्याओं से निजात दिलाने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत किसानों के पौधों का बीमा किया जाता है।
रबी के पौधों के बीमा के लिए 1.5% हॉबी, खरीफ के पौधों के बीमा के लिए 2% हॉबी और बागवानी पौधों के लिए 5% की दर से अंशदान देना होगा। केंद्र और राज्य सरकारें भी इस योजना में संयुक्त रूप से अंशदान करती हैं। यदि प्राकृतिक आपदा से पौधे क्षतिग्रस्त होते हैं तो बहत्तर घंटे के अंदर नीति आयोग को सूचित करना होगा।
इसके बाद नीति संस्था फील्ड का दौरा कर फसल नुकसान का जायजा लेगी और किसान के पास नीति बीमा का पैसा लाएगी।
इस तरह किसान बड़े आर्थिक संकट से बचे रहते हैं। इस योजना के लिए साइन अप करने के लिए आधिकारिक पोर्टल पर जाकर जानकारी प्राप्त कर सकते है ।
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मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना
यह वह मिट्टी है जिससे पौधों का उत्पादन होता है, इसलिए किसानों को मिट्टी की सेहत का अतिरिक्त ध्यान रखना चाहिए।
मिट्टी की उपयुक्तता को पहचानने के लिए केंद्र सरकार ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना शुरू की है। इस योजना के तहत किसानों को अपने खेत की मिट्टी के नमूने लेकर उसे मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में भिजवाना होगा। जिसके बाद लैब के माध्यम से मृदा फिटनेस कार्ड जारी किया जाता है। इस कार्ड में मिट्टी की कमी, मिट्टी की आवश्यकता, खाद और उर्वरक की उचित मात्रा, कौन सी फसल से कौन सी फसल लगानी है जैसे सभी तथ्य मौजूद होते हैं।
प्रधानमंत्री कुसुम योजना
भारत में अब सूर्य बिजली के उपयोग पर जोर दिया जा रहा है। यह न केवल ऊर्जा को स्टोर करता है, बल्कि आप सूर्य की ऊर्जा से ऊर्जा पैदा करके अच्छा खासा पैसा भी कमा सकते हैं। कृषि और किसानों को भी सूर्य बिजली से कई वरदान मिलते हैं। इससे खेतों की सिंचाई स्वच्छ हो जाती है। इस पेंटिंग को स्वच्छ और किफायती बनाने के लिए पीएम कुसुम योजना चलाई जा रही है।
इस योजना के तहत किसानों को खेत के अंदर ही सन पैनल लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, ताकि सूर्य ऊर्जा पंपों से सिंचाई का काम आसानी से हो सके और किसान शक्ति उत्पादन के माध्यम से अधिक आय अर्जित कर सकें। केंद्र और देश की सरकारें पीएम कुसुम योजना के तहत सन पंप खरीदने पर 30-30 प्रतिशत सब्सिडी देती हैं। कृषकों को अन्तिम 30 प्रतिशत भुगतान पर ऋण सुविधा दी जाती है। इस प्रकार किसान लागत के सर्वोत्तम 10 प्रतिशत में सन पैनल लगवा सकते हैं।
पीएम किसान मानधन योजना
एक किसान का अस्तित्व पूरी तरह से पूरी तरह से कृषि पर आधारित है। किसान खेत खलिहान देखकर बड़े होते हैं। इसमें वे मुश्किल काम करते हैं या अपनी जान भी कुर्बान कर देते हैं। कई बार, पूरे अस्तित्व के लिए कड़ी मेहनत करने के बाद भी, किसान अपने दैनिक खर्चों को पूरा करने के तरीके के रूप में अपनी पुरानी उम्र के लिए वित्तीय बचत हासिल करने में सक्षम नहीं होते हैं।
महत्वपूर्ण अधिकारियों ने किसानों की इस परेशानी को समझा और प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना की शुरुआत की है। इसे किसान पेंशन योजना के नाम से भी जाना जाता है, जिसके अंतर्गत 18 से 40 वर्ष की आयु के किसानों को शामिल किया गया था। लिमिटेड आवेदन कर सकते हैं और फिर हर महीने 55 से 200 रुपए का योगदान देना होगा। इसके बाद किसान की उम्र 60 साल होने पर सरकार को 100 रुपये पेंशन दी जाती है। 3,000 प्रति माह यानी रु। 36,000 सालाना पेंशन दी जाती है।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना
आज भी भारत में एक बहुत बड़ी आबादी छोटे और सीमांत किसानों की है। इन किसानों के पास 2 एकड़ से भी कम कृषि योग्य भूमि है, जिससे वे अपनी आजीविका चलाते हैं और कृषि क्षेत्र में अपना योगदान देते हैं। मुख्य सरकार ने इन छोटे किसानों को आर्थिक सहायता के रूप में हर साल 6 हजार रुपये देने का फैसला किया है।
इसके लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि यानी पीएम किसान योजना भी शुरू की गई है।
इस योजना के तहत छोटे और सीमांत किसानों को हर साल 2,000 रुपये की 3 किस्तों में 6,000 रुपये दिए जाते हैं, ताकि किसान अपनी छोटी-छोटी निजी जरूरतों को पूरा कर सकें। नए आंकड़ों के मुताबिक गिफ्ट में अमेरिका के आठ करोड़ से ज्यादा किसान इस योजना का लाभ उठा रहे हैं।
राष्ट्रीय कृषि बाजार या ई-एनएएम
किसानों को बिचौलियों के शोषण से मुक्त होना चाहिए और वे अपने पौधों को सस्ती कीमतों पर बढ़ावा देने में सक्षम हैं। इसके लिए भी प्रमुख प्राधिकरण ने राष्ट्रीय कृषि बाजार यानी ई-नाम योजना शुरू की है। इस योजना के तहत किसान घर बैठे फसल की बोली लगाकर अपने पसंदीदा शुल्क पर देश के किसी भी कोने में अपनी उपज का प्रचार कर सकते हैं।
दरअसल, ई-नाम एक वेब क्रय-विक्रय पोर्टल है, जिस पर किसान को अपना रजिस्ट्रेशन और फसल की जानकारी देनी होती है। इसके बाद पोर्टल पर उपहार देने वाले ग्रामीण खरीददार स्वयं किसान की उपज की बोली लगाते हैं। इसके बाद किसान की हद तक है कि वह अपनी उपज को जिस कीमत पर चाहे, जहां चाहे, बेच सकता है। ऑनलाइन उपज बेचने के बाद डीलर खुद किसान के पास आता है और उपज लेता है। इस तरह किसान के गैराज और ट्रांसपोर्टेशन का खर्च भी बच जाता है। यहां शोषण का कोई अवसर नहीं है, क्योंकि बाजार के खरीदारों, विक्रेताओं और शुल्क एजेंटों के लिए भी लाइसेंस बनाए जाते हैं।
राष्ट्रीय बागवानी मिशन
मौसम की मार के कारण पारंपरिक वनस्पति में नुकसान बढ़ रहा है।
धान से लेकर गेहूं तक की नकदी फसलें मौसम की मार झेल रही हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। यही कारण है कि अब संबंधित अधिकारियों ने किसानों को फलों, फूलों, सब्जियों, जड़ी-बूटियों के साथ बागवानी वनस्पति की खेती की ओर परिवहन करने का सुझाव दिया है। इस कार्य में राष्ट्रीय बागवानी मिशन किसानों के लिए लाभकारी सिद्ध हो रहा है।
इस योजना के तहत किसानों को बागवानी वनस्पति की खेती के लिए आर्थिक सहायता, सब्सिडी, गिरवी और शिक्षा दी जाती है।
इन पौधों की खेती करने से किसानों को कम समय में उपज मिल जाती है। साथ ही, बागवानी में समकालीन-दिन की रणनीतियों और नैदानिक तकनीकों को अपनाने से जोखिम कम हो जाता है। कोई भी किसान जो इस योजना का लाभ लेना चाहता है वह अपने जिले की नजदीकी कृषि शाखा से संपर्क कर सकता है।
प्रधानमंत्री किसान उत्पादक संगठन योजना
किसानों की समरसता ही उनकी सफलता का कारण हो सकती है, इसलिए विवेचक अधिकारियों ने पूरे देश में 10,000 किसान निर्माता कंपनियों की स्थापना का लक्ष्य रखा है। किसान चाहें तो मिलकर एक किसान संस्था भी बना सकते हैं, जिसके लिए सरकार 15 लाख रुपए देती है। किसान उत्पादक संगठन योजना यानी पीएम किसान एफपीओ योजना के तहत कम से कम ग्यारह किसानों को एक संस्थान बनाना होगा।
मैदानी इलाकों में किसान संस्थान के भीतर तीन सौ लोग और पहाड़ी इलाकों में किसान संस्थान के भीतर सौ व्यक्ति हो सकते हैं।
एक बार किसान निर्माता नियोक्ता पंजीकृत हो जाने के बाद, वे अधिकारियों की सहायता के लिए अनुसरण करने में सक्षम होते हैं।
इस योजना के तहत, सरकार किसानों को कृषि-वाणिज्यिक उद्यम चलाने और कृषि प्रयोजनों के लिए उर्वरक, उर्वरक, कीटनाशक और कृषि उपकरण खरीदने के लिए केंद्र देती है।
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किसान भाई इस ब्लॉग के माध्यम से हम सभी किसान भाइयो को खेती से जुडी अपडेट देते है साथ ही खेती से जुडी योजना एवं कृषि बिजनेस आइडियाज के बारे में भी बताते है