मक्का की उन्नत खेती के लिए पोषक तत्व प्रबंधन (Nutrition Management) एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। अच्छी पैदावार के लिए संतुलित उर्वरक प्रबंधन आवश्यक है। इस लेख में हम मक्का की खेती में पोषक तत्वों के सही उपयोग, समय और विधियों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
बेसल डोज (आधारभूत खाद प्रबंधन)
मक्का की बुवाई के समय बेसल डोज (मूल खुराक) देना अत्यंत आवश्यक है। कई किसानों को लगता है कि पहले बीज बो दें, फिर बारिश होने पर खाद डालेंगे, लेकिन यह गलत है। बीज के साथ ही खाद देना जरूरी है क्योंकि:
बीज अंकुरित होकर जड़ें फैलाता है और यदि खाद नीचे मौजूद होगी, तो पौधे को पोषण मिलेगा।
यदि खाद बाद में डाली जाए, तो वह ऊपरी परत में ही रह जाती है और जड़ों तक नहीं पहुँच पाती।
बेसल डोज में कौन-सी खादें दें?
25 किलो यूरिया
50 किलो डीएपी
4 किलो भूमिका (रूट ग्रोथ प्रमोटर)
10 किलो संचार (जैविक खाद)
जैविक खाद (संचार) का उपयोग करने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और सूक्ष्म पोषक तत्वों की उपलब्धता सुनिश्चित होती है।
दूसरी खुराक (30 दिन बाद)
बुवाई के लगभग 25-30 दिन बाद दूसरी खुराक देनी चाहिए। इस समय निम्नलिखित खादें डालें:
50 किलो यूरिया
5 किलो जिंक सल्फेट
जिंक मक्का के लिए एक आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व है, जो पौधे की वृद्धि और दानों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
तीसरी खुराक (60 दिन बाद – फूल आने के समय)
जब मक्का में फूल (टसल) आने लगें, तो निम्नलिखित खाद दें:
25 किलो यूरिया
25 किलो पोटाश
1 किलो बोरॉन
बोरॉन परागण (Pollination) में मदद करता है और दानों की गुणवत्ता बढ़ाता है। बोरॉन की कमी से कणस के ऊपरी हिस्से में दाने नहीं भरते।
पोषक तत्वों की कमी के लक्षण और समाधान
1. जिंक की कमी
लक्षण: पत्तियाँ पीली पड़ना, वृद्धि रुकना।
समाधान: जिंक सल्फेट (5 किलो/एकड़) या एग्रोस्टार जिंक (1 मिली/लीटर पानी) का छिड़काव करें।
2. फॉस्फोरस की कमी
लक्षण: पत्तियों का जामुनी रंग दिखाई देना।
समाधान: डीएपी या सिंगल सुपर फॉस्फेट (SSP) का उपयोग करें।
3. पोटैशियम की कमी
लक्षण: पुरानी पत्तियों के किनारे जलने जैसे दिखना।
समाधान: म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP) या पोटाश युक्त उर्वरक डालें।
4. बोरॉन की कमी
लक्षण: कणस के ऊपरी हिस्से में दाने न भरना।
समाधान: बोरॉन (1 किलो/एकड़) या न्यूट्रिप्रो बोरॉन का छिड़काव करें।
नाइट्रोजन प्रबंधन: संतुलन जरूरी
अधिक यूरिया देने से पौधे की ऊँचाई और हरियाली तो बढ़ती है, लेकिन इसके दुष्परिणाम भी हैं:
पौधे की वानस्पतिक वृद्धि अधिक होने से परागण प्रभावित होता है।
कणस के बाल (सिल्क) हरे रह जाते हैं, जिससे दाने ठीक से नहीं बनते।
अतः यूरिया का उपयोग संतुलित मात्रा में ही करें।
निष्कर्ष
मक्का की अच्छी पैदावार के लिए पोषक तत्व प्रबंधन अत्यंत महत्वपूर्ण है। बेसल डोज, दूसरी और तीसरी खुराक का सही समय पर उपयोग करें। सूक्ष्म पोषक तत्वों (जिंक, बोरॉन आदि) की कमी को पहचानकर उचित समाधान करें। संतुलित खाद प्रबंधन से ही उच्च उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

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