आज हम आपके लिए एक नई जानकारी लेकर आए हैं, जिसमें हम धान की एक बेहतरीन वैरायटी के बारे में विस्तार से बताएंगे। यह वैरायटी खास तौर पर उन क्षेत्रों के लिए बनाई गई है जहां पर अक्सर बारिश के कारण या नदियों और नहरों के किनारे बाढ़ आ जाती है। ऐसे किसान भाइयों के लिए, जो लंबे समय से पूछ रहे थे कि कौन-सी वैरायटी बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में अच्छी उपज देती है, यह लेख बेहद उपयोगी साबित होगा।
किसानों की सामान्य शंका और सलाह
कई किसान भाई पूछते हैं कि किस राज्य में कौन-सी वैरायटी लगाई जाए — जैसे बिहार, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ या राजस्थान में। लेकिन ध्यान रखें, हर राज्य के अंदर भी अलग-अलग क्षेत्रों में जलवायु, मिट्टी और वर्षा की स्थिति अलग-अलग होती है। इसलिए यह तय करना कि आपके क्षेत्र में कौन-सी वैरायटी सबसे बेहतर रहेगी, आपके अपने अनुभव और स्थानीय परिस्थितियों पर निर्भर करता है।
सबसे पहले, अपनी मिट्टी की जांच कराएं। देखिए, आपकी मिट्टी रेतीली है, काली मिट्टी है, लाल मिट्टी है या चिकनी दोमट मिट्टी है। साथ ही, जानिए कि आपके क्षेत्र में वर्षा का पीक सीजन कब आता है और कौन-से कीट एवं रोग अधिक फैलते हैं। मिट्टी जांच केंद्र में जाकर अपनी मिट्टी में पोषक तत्वों की स्थिति का पता लगाएं, ताकि सही खाद और उर्वरक का इस्तेमाल किया जा सके।
धान की जलत 2.0 वैरायटी की विशेषताएं
किसान भाइयों, आज हम जिस वैरायटी की बात कर रहे हैं, उसका नाम है माइको कंपनी की जलत 2.0, जिसे MRP 5319 के नाम से भी जाना जाता है। यह खास तौर पर बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के लिए विकसित की गई एक बेहतरीन धान की किस्म है। चाहे नदी के किनारे हों, नहरों के आसपास के खेत हों या निचले इलाकों के खेत, जहां वर्षा के समय पानी भर जाता है, यह वैरायटी वहां बेहतरीन प्रदर्शन करती है।
इस वैरायटी की सबसे बड़ी खासियत है इसकी हाई वाटर लेवल और सबमर्जेंस टॉलरेंस क्षमता। यानी कि अगर खेत में पानी भर भी जाए, तो यह वैरायटी उसे सहन कर सकती है और अच्छी पैदावार देती है।
पकने का समय और उपज क्षमता
जलत 2.0 एक लेट मैच्योरिटी यानी देर से पकने वाली वैरायटी है, जो लगभग 140 से 145 दिन में तैयार हो जाती है। इस किस्म में कल्लों की संख्या अधिक होती है, जिससे उत्पादन बढ़ जाता है। प्रति पौधा लगभग 25 से 30 कल्ले मिलते हैं, जो अच्छी उपज का संकेत हैं।
इस वैरायटी की बालियां लंबी और मजबूत होती हैं और उनमें 250 से 300 तक दाने पाए जाते हैं। दाने मीडियम साइज़ और बोल्ड टाइप के होते हैं, यानी हल्के मोटे और चमकदार।
रोग प्रतिरोधक क्षमता
जलत 2.0 में विभिन्न प्रकार की बीमारियों और रोगों के प्रति काफी अच्छी सहनशीलता और प्रतिरोधक क्षमता होती है, जिससे किसान भाइयों को कम नुकसान झेलना पड़ता है। यह किस्म उत्तर भारत के अधिकांश राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा और पश्चिम बंगाल में उगाई जा सकती है।
ध्यान रखें, यह वैरायटी सिर्फ उन क्षेत्रों में उपयुक्त है, जहां पानी भराव की समस्या रहती है। अगर इसे सूखे इलाकों में लगाया जाए, तो उत्पादन में कमी आ सकती है। इसलिए इसे सोच-समझकर, अपने क्षेत्र की जरूरतों के अनुसार ही लगाएं।
निष्कर्ष
किसान भाइयों, जब भी कोई नई वैरायटी चुनें, तो पहले अपनी मिट्टी, पानी की उपलब्धता, वर्षा का समय और रोगों की स्थिति का पूरा आकलन करें। उसके बाद वैरायटी का चुनाव करें। हमारी तरफ से हम केवल वैरायटी की जानकारी दे सकते हैं, लेकिन यह तय करना कि आपके क्षेत्र में कौन-सी वैरायटी सबसे उपयुक्त रहेगी, आपका निर्णय होगा।

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