आज आपके लिए एक बहुत ही प्रेरणादायक खबर लेकर आए हैं जो न केवल आपके दिल को छू जाएगी बल्कि आपकी खेती की सोच में भी नया जोश भर देगी। क़िसान भाइयो, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 121वें एपिसोड में ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान की सराहना करते हुए पूरे देश के नागरिकों से इसमें भाग लेने का आग्रह किया है। आइये जानते हैं क्या खास बातें कही पीएम मोदी ने।
‘एक पेड़ मां के नाम’ से बदल रही है देश की तस्वीर
किसान साथियो, पीएम मोदी ने बताया कि हमारी सबसे बड़ी ताकत हमारे 140 करोड़ नागरिक हैं, जिनकी इच्छाशक्ति और संकल्प हर बदलाव को संभव बनाते हैं। ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान इसी भावना का एक अद्भुत उदाहरण है। इस पहल के तहत बीते एक साल में देशभर में 140 करोड़ से अधिक पेड़ लगाए गए हैं।
किसान भाइयो, पीएम मोदी ने अपील की कि आने वाले 5 जून, विश्व पर्यावरण दिवस पर इस अभियान की पहली वर्षगांठ पर हम सब मिलकर और अधिक पेड़ लगाएं, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हरा-भरा भारत छोड़ सकें।
अहमदाबाद में हरियाली ने दिखाया जलवायु परिवर्तन से लड़ने का रास्ता
किसान साथियो, पीएम मोदी ने अहमदाबाद शहर का उदाहरण दिया जहां बीते कुछ सालों में 70 लाख से अधिक पेड़ लगाए गए हैं। इसके साथ ही साबरमती रिवर फ्रंट और कांकरिया झील जैसी जल परियोजनाओं ने भी हरियाली बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
किसान भाइयो, इसका नतीजा ये हुआ कि अहमदाबाद अब देश के उन प्रमुख शहरों में शामिल हो गया है जो ग्लोबल वार्मिंग से मजबूती से लड़ रहे हैं। पेड़ों की छांव ने गर्मी को कम किया है और खुशहाली के नये रंग बिखेरे हैं।
कर्नाटक के किसान ने गर्म इलाके में उगाए सेब
क़िसान साथियो, कहते हैं ना अगर चाह हो तो रास्ते खुद बनते हैं। कर्नाटक के बागलकोट जिले के शैल तेली जी ने इसी कहावत को सच कर दिखाया। क़िसान भाई ने अपने गांव कुलाली में 35 डिग्री तापमान में भी सेब की खेती कर दिखायी है।
किसान भाइयो, उनकी मेहनत का नतीजा यह है कि आज उनके सेब के पेड़ों पर खूब फल आ रहे हैं और उनकी आमदनी में भी जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। यह दिखाता है कि नयी तकनीक और लगन से कुछ भी असंभव नहीं।
हिमाचल के किन्नौर और केरल में भी उग रहा केसर
क़िसान साथियो, पीएम मोदी ने बताया कि अब हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के सुंदर सांगला घाटी में भी केसर की खेती शुरू हो चुकी है। पहले केसर सिर्फ जम्मू-कश्मीर तक सीमित था लेकिन अब नये इलाके भी इस महंगे फूल की खुशबू से महक रहे हैं।
किसान भाइयो, और तो और केरल के वायनाड जिले में ‘एरोपोनिक्स तकनीक’ की मदद से बिना मिट्टी के हवा में केसर उगाया जा रहा है। यह खेती में नयी क्रांति का संकेत है।
लिची की मिठास अब दक्षिण भारत और राजस्थान तक
किसान साथियो, पहले लिची की खेती केवल बिहार, झारखंड और बंगाल तक ही सीमित थी। मगर अब तमिलनाडु के कोडईकनाल में थिरु वीरा अरासु जी ने कॉफी की खेती छोड़कर लिची की खेती में सफलता हासिल की है।
क़िसान भाई राजस्थान के जितेन्द्र सिंह रनावत जी ने भी रेगिस्तानी जमीन पर लिची के फलदार बाग खड़े कर दिए हैं। सच में दोस्तो, यह सब बताता है कि अगर जज्बा हो तो कोई भी सपना हकीकत बन सकता है।
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किसान भाई इस ब्लॉग के माध्यम से हम सभी किसान भाइयो को खेती से जुडी अपडेट देते है साथ ही खेती से जुडी योजना एवं कृषि बिजनेस आइडियाज के बारे में भी बताते है