मिश्रित कृषि किसे कहते हैं | Mishrit Krishi Kya Hai

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भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहा आज भी एक बड़ा तबका खेती करता है और खेती पर ही आश्रित है। एक बड़ा  गांव का इलाका खेती में ही लगा हुआ है। खेती के कई प्रकार होते है, इन्ही में से एक तरीका है मिश्रित कृषि। मिश्रित कृषि एक काफी अच्छा उपाय है खेती से अधिक मुनाफा कमाने का। यह आपके आय को भी काफी अधिक बढ़ा देता है। हमारे किसान भाई या ऐसे लोग जो खेती से अधिक कमाना चाहते है, उनके लिए यह एक अच्छा विकल्प है। आज के इस आर्टिकल में हम इसी के बारे में विस्तार से जानेंगे। तो आईए इसकी करते है शुरुआत और जानते है की आखिर क्या है मिश्रित कृषि।

मिश्रित कृषि किसे कहते हैं

मिश्रित कृषि को फसल के दृष्टि से देखे तो इसका अर्थ अलग होगा और अगर इसे व्यवसाय के रूप में देखे तो इसका अर्थ अलग होगा। आईए आपको पहले मिश्रित फसल के बारे में बता देते हैं, इसके बाद मिश्रित कृषि के व्यवसाय के रूप में देखेंगे। इसके बाद ही आप दोनो के बारे में विस्तार से जान पाएंगे। तो आईए जानते है की मिश्रित फसल क्या है? 

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मिश्रित कृषि किसे कहते हैं | Mishrit Krishi Kya Hai

मिश्रित फसल क्या है? 

आपने एक ही खेत में एक से अधिक तरह के फसलों को उगते देखा होगा। इसे ही मिश्रित फसल कहा जाता है। इसमें किसान मुख्य फसल के साथ साथ किसी अन्य फसल का भी खेती करता है। इसमें मुख्यत दो या दो अधिक फसल को मुख्य फसल के साथ उगाया जाता है। यह सहायक फसल होती है। इससे किसान को अच्छा लाभ होता है और वह एक समय में दो चीजों की खेती कर पाता है। इसके कुछ उदाहरण देखे: ज्वार + मूंग , अरहर + मूंगफली , बाजरा + उड़द , गेहूँ + सरसों, , गेहूँ + चना तथा मक्का + उड़द आदि। इसके कई फायदे है आईए इसपर एक नजर डालते है।

मिश्रित फसल के फायदे

 कम जगह में अधिक फसलों का पैदावार इस विधि से हो जाता जाता है। जहा एकल फसल उतने ही जगह में होती, मिश्रित फसल की वजह से फसल बढ़ जाता है।

मिट्टी का सही उपयोग हो पाता है। इस विधि की वजह से मिट्टी का 100 प्रतिसत लाभ लिया जा सकता है।

अलग अलग फसल एक साथ बोने से मिट्टी के जरूरी तत्व भी बैलेंस बने रहते है। 

किसान की आय में वृद्धि हो जाती है। क्युकी किसान लगभग उतने ही संसाधन में इस विधि से अधिक फसल को उपज कर पता है। 

मिश्रित फसल के हानि 

इसके लिए किसान को बारीकी से खाद , पानी इत्यादि देना होता है।

एक साथ एक से अधिक फसल होने की वजह से इसका देखरेख मुस्किल हो जाता है। 

किसी एक किस्म के फसल में समस्या आने पर अन्य फसलों में इसके फैलने का खतरा होता है।

खरपतवार को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है। चुकी आपको weedicide इत्यादि भी बड़े सावधानी से डालना होता है। 

मिश्रित कृषि व्यवसाय के रूप में 

किसान सिर्फ खेती नहीं करते वह पशुपालन भी करते है। खेती और पशुपालन एक साथ करना ही मिश्रित कृषि कहा जाता है। आज और समय में अधिकतर किसान मिश्रित कृषि करते हैं, क्योंकि इससे मुनाफा बढ़ जाता है और किसान को दूध, दही इत्यादि की भी कमी नही होती। 

देखा जाए तो दोनो एक दूसरे के पूरक के समान काम करते है। पशुओं से मिलने वाले गोबर से खाद बनाकर किसानों अपने खेतों में यूज कर सकता है। वही खेतो से निकलने वाले पौधो के पते और फसलों के कटने के बाद बचने वाले पौधो के हिस्से को किसान पशुओ को चारा के तौर पर यूज कर सकता है। यह दोनो ही एक दूसरे के पूरक है।

मिश्रित कृषि के लाभ 

मिश्रित कृषि कई मायनों में लाभदायक है। जहा सामान्य खेती में किसान सिर्फ खेती पर आश्रित रहते है तो वही मिश्रित कृषि में किसान खेती के साथ साथ पशु पालन पर भी ध्यान देते है। इससे होता यह है की किसान आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता है। कभी फसल अच्छी न हुई तो वह पशुओं की मदद से अपने खाने-पीने का इंतजाम कर सकता है। वह इसके दूध को बेच कर जीवन यापन कर सकता है। कई बार खराब मौसम की वजह से खेती अच्छी नहीं हो पाती इस समय किसान को पशु की वजह से ही सहारा मिलता है। 

मिश्रित कृषि के हानि 

मिश्रित खेती करना अपने आप में चुनौती का काम है। इसमें आपको खेती के साथ साथ पशुओं का भी ध्यान रखना रहता है। इससे किसान एक काम पर अच्छे से ध्यान नही बना पता है। और किसी एक को अपना मुख्य पेशा बनाने में काफी समस्या आती है। हालाकि यह नुकसान नहीं है लेकिन एक दिक्कत है जो किसानों को अक्सर आती है। इसके इतर देखा जाए तो मिश्रित कृषि का कोई हानि नहीं है बल्कि लाभ ही लाभ है।

मिश्रित कृषि की प्रमुख विशेषताएं

एक ही खेत में एक या एक से अधिक फसलो की खेती करना और लाभ प्राप्त करना

फसलो के साथ साथ पशुओ का भी पालन पोषण करना

मिश्रित कृषि में किसान अपने आय के श्रोत को बढाता है और नुकशान से बचता है

मिश्रित कृषि में अलग अलग सिचाई की जरुरत नहीं होती है

FAQ : मिश्रित कृषि से जुड़े सवाल :

Q : मिश्रित कृषि क्या है? 

Ans : खेती बारी के साथ में जीविका के लिया अथवा कमाई के लिए पशु पालन करना ही मिश्रित कृषि कहा जाता है। 

Q : मिश्रित फसल क्या होता है? 

Ans : एक मुख्य फसल के साथ दो या दो से अधिक सहायक फसल को एक साथ उगाने को ही मिश्रित फसल कहा जाता है। 

Q : मिश्रित फसल के कुछ उदाहरण क्या है? 

Ans : मिश्रित फसल के कुछ उदाहरण देखिए:  मक्का + उड़द, गेहूँ + सरसों और गेहूं+ चना

Q : क्या खेती के साथ पशुपालन किया जा सकता है?

Ans : हां, ऐसा किया जा सकता है और बहुत लोग ऐसा करते भी हैं। और इसे मिश्रित कृषि कहा जाता है।।

Q : मिश्रित कृषि की क्या विशेषता है?

Ans : इसमें खेती बारी के साथ साथ पशुपालन भी किया जाता है। अमूमन इसमें दुधारू पशु को पाला जाता है।

निष्कर्ष :

आज के इस आर्टिकल में हमने मिश्रित कृषि किसे कहते हैं यह जाना। हमने मिश्रित कृषि, फसल आदि के अंतर को भी जान। इससे जुड़ी हर जानकारी को हमने इस आर्टिकल के मदद से जाना। यह आर्टिकल आपको कैसा लगा हमे बताना न भूले। आप अपने सवाल या शिकायत कॉमेंट में बता सकते है, हम आपको सहायता जरूर करेंगे। मिलते है फिर एक नए आर्टिकल के साथ तब तक आप हमारे अन्य आर्टिकल को पढ़ कर अपना ज्ञान बढ़ा सकते है। तब तक रखिए अपना ख्याल बाय बाय। 

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