पछेती फूलगोभी की खेती में सही समय और सही तकनीक अपनाई जाए, तो किसान कम समय में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। मंडी अनुभव बताता है कि सितंबर–अक्टूबर और मार्च–अप्रैल ऐसे महीने हैं, जब फूलगोभी का थोक भाव ₹20 से ₹80 प्रति किलो तक देखने को मिलता है। यही वजह है कि pacheti phool gobhi ki kheti किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होती है। मै आपको इस लेख में पछेती खेती की पूरी प्रक्रिया को सरल भाषा में समझाने की कोशिश करता हु, ताकि आप किसान सही समय पर सही निर्णय ले सकें।
पछेती फूलगोभी की खेती का सही समय
पछेती फसल के लिए नर्सरी तैयार करने का सबसे उपयुक्त समय 15 दिसंबर से 15 जनवरी तक माना जाता है। इस 30 दिन की अवधि में तैयार की गई नर्सरी सबसे बेहतर परिणाम देती है। दिसंबर में नर्सरी लगाने पर क्रॉस माधुरी जैसी किस्में अच्छी रहती हैं, जबकि जनवरी में सिजेंटा की स्नो क्विक और नोबल सीड्स की हैप्पी एक्सोटिक जैसी किस्में अधिक उपयुक्त मानी जाती हैं। ये किस्में मौसम के उतार–चढ़ाव और मार्च–अप्रैल की गर्मी को सहन करने में सक्षम होती हैं। यही कारण है कि पछेती फूलगोभी की खेती में किस्म का चुनाव सबसे अहम भूमिका निभाता है।

रोपाई का समय और सही दूरी
फूलगोभी की नर्सरी लगभग 30 दिन में खेत में रोपाई के लिए तैयार हो जाती है। यदि नर्सरी 1 जनवरी को तैयार की गई है, तो फरवरी के पहले सप्ताह में रोपाई की जा सकती है। पछेती खेती में पौधों की बढ़वार अपेक्षाकृत कम होती है, इसलिए लाइन से लाइन और पौधे से पौधे की दूरी लगभग 1 फीट रखना उचित रहता है। इस दूरी पर एक एकड़ में करीब 20,000 पौधे लगाए जा सकते हैं, जो उत्पादन के लिहाज से संतुलित माने जाते हैं।
कीट और रोग प्रबंधन की सही रणनीति
फरवरी महीने में सफेद और काले मच्छर का प्रकोप सबसे अधिक देखने को मिलता है। यही कीट पछेती फूलगोभी की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। इससे बचाव के लिए रासायनिक स्प्रे एक विकल्प है, जबकि दूसरा प्रभावी तरीका लो टनल तकनीक है। लो टनल केवल ठंड या गर्मी से ही नहीं, बल्कि शुरुआती एक महीने तक कीटों से भी फसल को सुरक्षित रखती है। इसके अलावा इल्ली नियंत्रण के लिए उचित दवा का समय पर छिड़काव जरूरी होता है। अनुभव बताता है कि जिन किसानों को जैविक खेती का अच्छा ज्ञान है, वही पछेती मौसम में पूरी तरह जैविक तरीके से सफल हो पाते हैं।

निराई–गुड़ाई और लागत प्रबंधन
फूलगोभी की फसल में दो बार निराई–गुड़ाई आवश्यक होती है। यदि दोनों बार मजदूरों से काम कराया जाए, तो लागत लगभग ₹10,000 तक पहुंच जाती है। पहली निराई–गुड़ाई कल्टीवेटर जैसे औजार से करके लागत को काफी हद तक कम किया जा सकता है। दूसरी निराई–गुड़ाई पौधों की बढ़वार अधिक होने के कारण मजदूरों से ही करानी पड़ती है। इस तरह संतुलित खर्च प्रबंधन से pacheti phool gobhi ki kheti और ज्यादा लाभकारी बन जाती है।
उत्पादन और संभावित कमाई
पछेती मौसम में फूल का औसत वजन करीब 400 से 500 ग्राम तक रहता है। यदि एक एकड़ में 20,000 पौधों से औसतन 500 ग्राम का फूल प्राप्त होता है, तो कुल उत्पादन 100 क्विंटल तक पहुंच सकता है। मंडी भाव के अनुसार ₹20 प्रति किलो मिलने पर ₹2 लाख और ₹40 प्रति किलो मिलने पर ₹4 लाख तक की कमाई संभव है। भाव रोज एक समान नहीं रहता, लेकिन औसत निकालें तो मुनाफा काफी आकर्षक रहता है।
FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
प्रश्न: पछेती फूलगोभी की नर्सरी कब लगाएं?
उत्तर: 15 दिसंबर से 15 जनवरी के बीच नर्सरी लगाना सबसे उपयुक्त रहता है।
प्रश्न: पछेती खेती में रोपाई की दूरी कितनी रखें?
उत्तर: लाइन से लाइन और पौधे से पौधे की दूरी लगभग 1 फीट रखें।
प्रश्न: कीट नियंत्रण का सबसे सुरक्षित तरीका कौन सा है?
उत्तर: शुरुआती एक महीने तक लो टनल तकनीक सबसे प्रभावी मानी जाती है।
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