अमरूद के फल: अक्सर बागवानी करने वाले लोगों को यह शिकायत रहती है कि अमरूद के पौधों पर फल तो आते हैं, लेकिन या तो वे छोटे अवस्था में ही गिर जाते हैं या फिर थोड़ा बड़ा होने के बाद टूटकर गिरने लगते हैं। यह समस्या सिर्फ किसी एक बागवानी प्रेमी की नहीं है, बल्कि यह लगभग हर गार्डनर की आम परेशानी है। आज हम इस लेख में जानेंगे कि अमरूद के फल गिरने के पीछे क्या कारण होते हैं और उन्हें किस तरह से रोका जा सकता है, वह भी वैज्ञानिक और प्राकृतिक तरीकों के माध्यम से।
पौधों में जल तनाव (Water Stress) का प्रभाव
अमरूद के फलों के गिरने का सबसे प्रमुख कारण है जल तनाव यानी वाटर स्ट्रेस। जब पौधों को पर्याप्त मात्रा में और समय पर पानी नहीं मिलता, तो पौधे तनाव में आ जाते हैं। ऐसे में वे अपनी ऊर्जा जीवन रक्षा पर केंद्रित करते हैं और फूल, फल तथा नई पत्तियों को गिराना शुरू कर देते हैं। गर्मियों में यह समस्या और भी अधिक देखने को मिलती है क्योंकि या तो अत्यधिक पानी दे दिया जाता है या फिर बिल्कुल नजरअंदाज कर दिया जाता है।
इसका समाधान यह है कि आप मिट्टी की ऊपरी सतह को हर दो से तीन दिन में चेक करें। मिट्टी में हल्की नमी होनी चाहिए, लेकिन अत्यधिक गीलापन नहीं होना चाहिए। नमी बनाए रखने के लिए मलचिंग एक बेहतरीन तरीका है। बड़े बागों में ड्रिप सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है जिससे पौधे को लगातार नियंत्रित मात्रा में पानी मिलता रहता है।
पोषक तत्वों की कमी और उसका समाधान
पौधों में पोषक तत्वों की कमी भी फलों के गिरने का एक बड़ा कारण है। जैसे हमारी हड्डियों के लिए कैल्शियम आवश्यक होता है, वैसे ही पौधों के लिए भी कैल्शियम, बोरोन और पोटेशियम आवश्यक पोषक तत्व हैं। इनकी कमी से फलों का समुचित विकास नहीं हो पाता और वे असमय गिर जाते हैं।
इस समस्या से बचने के लिए आप फ्रूट रिटेंशन स्प्रे तैयार कर सकते हैं। इसके लिए 1 लीटर पानी में 1 ग्राम बोरैक्स, 1 ग्राम कैल्शियम नाइट्रेट और 1 ग्राम पोटेशियम सल्फेट मिलाएं। इस घोल को उस समय छिड़कें जब फल मटर के दाने जितने बड़े हो जाएं। यह स्प्रे हर 10 से 12 दिन में दोहराया जाना चाहिए। इससे पौधे में न्यूट्रिएंट्स का संतुलन बना रहता है और फलों का बेहतर विकास होता है।
परागण की विफलता (Pollination Failure)
कई बार फूल तो ठीक से खिलते हैं, लेकिन सही परागण न होने की वजह से फल नहीं टिक पाते और जल्दी गिर जाते हैं। जब फूलों में परागण की प्रक्रिया अधूरी रह जाती है, तो बीज का सही विकास नहीं हो पाता और फल गिरने लगते हैं।
इसका समाधान यह है कि आप अपने बगीचे में ऐसे फूलों के पौधे लगाएं जो मधुमक्खियों जैसे परागण करने वाले जीवों को आकर्षित करें। जैसे कि मैरीगोल्ड, जीनिया और सूरजमुखी। यह फूल कीटों को आकर्षित करके परागण की प्रक्रिया को पूर्ण बनाते हैं, जिससे फल अच्छे से विकसित होते हैं।
कीट और रोग का हमला
अमरूद के फलों पर फल मक्खी और फंगल रोग जैसे एंथ्रेक्नोज तथा विल्ट का हमला भी उन्हें गिरा सकता है। फल मक्खियां फलों में अंडे देती हैं जिससे लार्वा निकलकर फल को खा जाते हैं और फल सड़ने लगते हैं। एंथ्रेक्नोज एक फंगल रोग है जो फलों पर काले धब्बे बना देता है, जबकि विल्ट की वजह से पौधे में जल प्रवाह बाधित होता है जिससे फल मुरझाकर गिरने लगते हैं।
इनसे बचाव के लिए सप्ताह में एक बार 5 मिली नीम ऑयल को 1 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। नीम ऑयल जैविक होता है और कीटों को दूर रखता है। साथ ही पौधे के नीचे की सफाई पर ध्यान दें। आप ऑनलाइन उपलब्ध फ्लाई ट्रैप का उपयोग भी कर सकते हैं, जिससे फल मक्खियों की संख्या को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

हार्मोनल असंतुलन का प्रभाव
पौधों में ऑक्सिन और जिब्रेलिन जैसे हार्मोन का संतुलन भी फलों की स्थिति को प्रभावित करता है। ऑक्सिन फल को पौधे से जुड़े रखने में मदद करता है, जबकि जिब्रेलिन अधिक होने पर पौधे की ग्रोथ तो तेज होती है लेकिन फल गिरने लगते हैं। इन हार्मोन का संतुलन बिगड़ने पर पौधे फल को टिकाकर नहीं रख पाते।
इसे संतुलित रखने के लिए आप ‘केले के छिलके का टॉनिक’ उपयोग कर सकते हैं। केले के छिलकों को तीन दिन तक पानी में भिगोकर रखें और फिर उस पानी को छानकर पौधों में डालें। यह एक प्राकृतिक ऑक्सिन स्रोत है, जो फल गिरने की समस्या को नियंत्रित करता है।
बोनस टिप: जैविक बूस्टर का इस्तेमाल
आप एक सरल जैविक समाधान भी अपना सकते हैं जो पौधे की जड़ों को मजबूत बनाएगा। इसके लिए 1 लीटर पानी में दो चम्मच गुड़ और दो चम्मच एलोवेरा जेल मिलाएं और इसे पौधे की जड़ों में डालें। यह एक माइक्रोबियल बूस्टर की तरह कार्य करता है, जिससे मिट्टी में लाभदायक बैक्टीरिया की संख्या बढ़ती है। इससे पौधे की जड़ें मजबूत होती हैं और तनाव कम होता है, जिससे फल गिरने की संभावना घटती है।
सही देखभाल से ही मिलेगा भरपूर फल
यदि आप चाहते हैं कि आपके अमरूद के पौधों पर भरपूर और टिकाऊ फल आएं, तो इन सभी बिंदुओं पर ध्यान देना आवश्यक है। पानी की मात्रा, पोषण, परागण, रोग नियंत्रण और हार्मोन का संतुलन – ये सभी एक साथ मिलकर आपके पौधे को स्वस्थ बनाते हैं। यदि आपने भी कभी फल गिरने की समस्या का सामना किया है, तो अब आप इन वैज्ञानिक और घरेलू उपायों को अपनाकर इसे रोक सकते हैं।
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