Ageti Nursery Kheti: अगेती नर्सरी खेती, दिसंबर–जनवरी में 8 फसलों से बढ़िया कमाई

Ageti Nursery Kheti: अगेती नर्सरी खेती, दिसंबर–जनवरी में 8 फसलों से बढ़िया कमाई

Ageti Nursery Kheti: दिसंबर और जनवरी का महीना सिर्फ ठंड का नहीं, बल्कि किसानों के लिए कमाई का सुनहरा मौका भी होता है। सही तकनीक अपनाकर इस समय अगेती नर्सरी खेती के माध्यम से कई फसलों की नर्सरी तैयार की जा सकती है, जिससे आने वाले महीनों में बाजार में जल्दी फसल पहुंचाकर बेहतर दाम मिलते हैं। ठंड के मौसम में यदि सही बीज, सही माध्यम और लो टनल जैसी तकनीक का उपयोग किया जाए, तो किसान अन्य किसानों से 20–30 दिन पहले उत्पादन लेकर अच्छी आमदनी कर सकते हैं। इस लेख में हम ऐसी 8 फसलों की पूरी जानकारी दे रहे हैं, जिनकी नर्सरी दिसंबर–जनवरी में सफलतापूर्वक तैयार की जा सकती है।

दिसंबर में तैयार होने वाली 3 प्रमुख नर्सरी फसलें

दिसंबर और जनवरी के पहले सप्ताह में फूलगोभी, पत्ता गोभी और ब्रोकली की नर्सरी तैयार की जा सकती है। पछेती खेती में इन फसलों का मंडी भाव काफी अच्छा मिलता है। पत्ता गोभी के लिए सेमिनिस ग्रीन वॉयेज, फूलगोभी के लिए क्लॉज माधुरी और ब्रोकली के लिए सकाटा ग्रीन मैजिक किस्म का चयन करना लाभदायक रहता है। इन फसलों की नर्सरी मिट्टी या उपयुक्त माध्यम में 15 दिसंबर से पहले लगाने पर बेहतर परिणाम मिलते हैं। अगेती नर्सरी खेती में यह चरण सबसे अहम माना जाता है।

Ageti Nursery Kheti अगेती नर्सरी खेती, दिसंबर–जनवरी में 8 फसलों से बढ़िया कमाई

टमाटर और मिर्च की नर्सरी: ठंड में सही तकनीक जरूरी

टमाटर और मिर्च की नर्सरी दिसंबर के अंतिम सप्ताह से जनवरी तक लगाई जा सकती है। ठंड में बीज जमाव और पाले का खतरा रहता है, इसलिए लो टनल का उपयोग अनिवार्य हो जाता है। टमाटर के लिए सेमिनिस अभिलाष और मिर्च के लिए मिक्को नवतेज या वीएनआर उन्नति किस्म उपयुक्त रहती है। इनकी नर्सरी कोकोपीट आधारित प्रो-ट्रे में तैयार करनी चाहिए। सही मिश्रण और तापमान मिलने पर जनवरी में लगाई गई नर्सरी से मार्च–अप्रैल में अच्छा उत्पादन मिलता है, जब बाजार भाव ऊंचे होते हैं। यही अगेती नर्सरी खेती का सबसे बड़ा लाभ है।

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तरबूज, खरबूज और खीरा

तरबूज, खरबूज और खीरा सामान्यतः फरवरी में सीधे खेत में बोए जाते हैं, लेकिन यदि 15 जनवरी के आसपास इनकी नर्सरी डिस्पोजेबल ग्लास में तैयार की जाए तो 15–20 दिन पहले उत्पादन लिया जा सकता है। इन फसलों की नर्सरी भी उसी कोकोपीट मिश्रण में तैयार की जाती है और लो टनल से ढककर रखी जाती है। फरवरी में पौध रोपाई के बाद किसान अन्य किसानों से पहले बाजार में फसल बेच सकता है और अधिक दाम प्राप्त कर सकता है। यह अगेती नर्सरी खेती का अत्यंत लाभकारी प्रयोग है।

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लो टनल तकनीक:

लो टनल बनाने के लिए फाइबर स्टिक, क्रॉप कवर और धागे की जरूरत होती है। स्टिक को बेड के दोनों ओर लगाकर ऊपर से क्रॉप कवर डाल दिया जाता है, जिससे अंदर का तापमान बढ़ जाता है। इससे बीज अंकुरण बेहतर होता है और पौधों की बढ़वार तेज होती है। लो टनल का उपयोग टमाटर, मिर्च, तरबूज, खरबूज और खीरा जैसी फसलों की अगेती नर्सरी खेती में अत्यंत उपयोगी सिद्ध होता है।

FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

प्रश्न 1: दिसंबर–जनवरी में कौन-कौन सी फसलें अगेती नर्सरी के लिए सही हैं?

उत्तर: फूलगोभी, पत्ता गोभी, ब्रोकली, टमाटर, मिर्च, तरबूज, खरबूज और खीरा।

प्रश्न 2: लो टनल क्यों जरूरी है?

उत्तर: ठंड और पाले से नर्सरी को बचाने तथा बीज जमाव बेहतर करने के लिए लो टनल जरूरी है।

प्रश्न 3: अगेती नर्सरी खेती से कितना लाभ मिल सकता है?

उत्तर: बाजार में 20–30 दिन पहले फसल पहुंचने से दाम अधिक मिलते हैं और मुनाफा बढ़ता है।

प्रश्न 4: टमाटर की नर्सरी कब लगानी चाहिए?

उत्तर: दिसंबर के अंतिम सप्ताह से जनवरी के पहले पखवाड़े तक।

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