जहां-जहां मूंग या उड़द की फसल लगाई जाती है, वहां एक बहुत ही खतरनाक बीमारी देखने को मिलती है — पीला मोजेक वायरस, जिसे कुछ किसान “पीलिया रोग” भी कहते हैं। यह एक वायरल बीमारी है, जो अगर एक बार फसल में लग जाए, तो पूरा खेत बर्बाद कर सकती है। इसका प्रभाव इतना तेज़ होता है कि 24 घंटे के भीतर ही फसल को गंभीर नुकसान हो सकता है। पौधे पीले पड़ने लगते हैं, पत्तियां सिकुड़ जाती हैं और उत्पादन आधा से भी कम हो जाता है।
दुर्भाग्य की बात यह है कि कई किसान भाई इस बीमारी को गंभीरता से नहीं लेते और यही लापरवाही बाद में भारी नुकसान का कारण बन जाती है। लेकिन अच्छी बात यह है कि इस खतरनाक बीमारी से निपटने के लिए अब 100% कारगर उपाय मौजूद हैं।
येलो मोजेक वायरस की पहचान कैसे करें?
जब मूंग या उड़द की फसल 25 से 30 दिन की हो जाती है, तो कुछ पौधों की पत्तियां हल्की पीली दिखाई देने लगती हैं। ध्यान से देखने पर ये पत्तियां पूरी तरह पीली नहीं होतीं, बल्कि आधी हरी और आधी पीली दिखाई देती हैं। यही इस वायरस की शुरुआत का संकेत होता है। धीरे-धीरे इन पत्तियों पर पीले और हरे रंग के धब्बे दिखने लगते हैं और पूरा पौधा पीला पड़ने लगता है। जैसे ही यह स्थिति आती है, समझ लीजिए कि वायरस तेजी से फैलने लगा है।
येलो मोजेक वायरस कैसे फैलता है?
यह वायरस अपने आप नहीं फैलता। इसके पीछे होता है एक बेहद छोटा, लेकिन खतरनाक कीट — सफेद मक्खी। यह रस चूसक कीट पहले किसी संक्रमित पौधे का रस चूसती है और फिर उसी वायरस को अपने साथ लेकर खेत के अन्य पौधों तक पहुंचा देती है। इस तरह यह बीमारी पूरे खेत में आग की तरह फैल जाती है।
खासतौर पर मूंग और उड़द की फसल में सफेद मक्खी की निम्फ अवस्था (18 से 28 दिन की) सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती है। यह पौधे की कोमल पत्तियों पर हमला करती है और उनका रस चूस लेती है, जिससे पत्तियां पीली पड़ जाती हैं और पौधा कमजोर हो जाता है।
येलो मोजेक वायरस से बचाव के जरूरी कदम
अगर आपको खेत में किसी भी पौधे पर वायरस के लक्षण दिखें, तो सबसे पहले उस पौधे को तुरंत उखाड़कर खेत से बाहर फेंक दें। यह कदम वायरस के फैलाव को रोकने में मदद करता है।
जैविक खेती करने वाले किसानों के लिए एक बेहद असरदार उपाय है — एक्टिवेटेड नीम ऑयल। इसे 400 से 600 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। यह सफेद मक्खी और अन्य रस चूसक कीटों को तुरंत प्रभाव से खत्म करता है और फसल को सुरक्षित बनाता है।
सफेद मक्खी और वायरस दोनों का रामबाण इलाज: नो वायरस कॉम्बो
कात्यायनी ऑर्गेनिक्स द्वारा तैयार किया गया “नो वायरस कॉम्बो” एक ऐसा समाधान है जो सफेद मक्खी और पीला मोज़ाइक वायरस दोनों को जड़ से खत्म करता है। इस कॉम्बो में दो शक्तिशाली उत्पाद होते हैं — पायरोन और एंटीवायरस।
पायरोन में मौजूद पाइरीफ्रॉक्सिफिन 5% और डाईफेंथरोन 25% का डबल एक्शन फॉर्मूला सफेद मक्खी, थ्रिप्स, माइट्स और हरे तेलों जैसे कीटों को तुरंत खत्म करता है। यह न केवल वयस्क कीटों को मारता है, बल्कि उनके अंडों को भी नष्ट कर देता है और उनकी ग्रोथ को रोकता है। इसकी डोज़ 400 मिलीलीटर प्रति एकड़ रखनी चाहिए।
एंटीवायरस एक प्लांट-बेस्ड जैविक उत्पाद है, जो मूंग, उड़द, मिर्च और भिंडी जैसी फसलों में फैलने वाले सभी प्रकार के वायरस को नष्ट करता है। इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह किसी रासायनिक तत्व से नहीं, बल्कि शुद्ध पौधों के अर्क से बना होता है, जो मिट्टी, पौधे और किसान की सेहत — तीनों के लिए सुरक्षित है। यह फसल के अंदर जाकर वायरस को पनपने से रोकता है और पौधे की प्रतिरोधक क्षमता को चार गुना तक बढ़ा देता है। एंटीवायरस की डोज़ 500 मिलीलीटर प्रति एकड़ होती है।
सावधानी ही सुरक्षा है
किसान भाइयों, पीला मोज़ाइक वायरस एक ऐसी बीमारी है, जो अगर समय रहते न रोकी जाए, तो मूंग और उड़द की पूरी फसल को नष्ट कर सकती है। इस वायरस से लड़ने के लिए सबसे जरूरी है सफेद मक्खी पर नियंत्रण। जैविक तरीकों से लेकर पावरफुल कॉम्बो तक, अब समाधान उपलब्ध हैं।
अगर आप सही समय पर नो वायरस कॉम्बो का इस्तेमाल करते हैं, तो आपकी फसल 100% सुरक्षित रह सकती है। इस बार की फसल को बचाने का मौका हाथ से न जाने दें। समय पर कार्रवाई करें, अपनी मेहनत को बचाएं और उत्पादन बढ़ाएं।

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