आज हम धनिया की फसल में लगने वाले एक महत्वपूर्ण रोग के बारे में बात करेंगे, जिसे आम भाषा में लौंग या लोक रोग कहा जाता है। यह रोग धनिया के फलों को प्रभावित करता है, जिससे उनके आकार में बदलाव आकर वे लौंग जैसे लंबे हो जाते हैं। यह समस्या मुख्य रूप से तब देखने को मिलती है जब बे-मौसम बारिश, ज्यादा कोहरा या अत्यधिक ठंड पड़ती है। यदि इस रोग का समय पर नियंत्रण न किया जाए, तो इससे उत्पादन में भारी कमी हो सकती है। इस लेख में हम जानेंगे कि इस रोग के कारण क्या होते हैं, इससे फसल को कैसे बचाया जा सकता है और कौन-सी दवाओं का उपयोग करना चाहिए।
लौंग या लोक रोग का कारण
लौंग या लोक रोग का मुख्य कारण फफूंद (फंगस) का प्रकोप होता है। यह फफूंद मुख्यतः फूल और फल बनने की अवस्था में पौधों पर हमला करती है। जब मौसम में नमी ज्यादा हो, जैसे बारिश, कोहरा या अत्यधिक ठंड, तब यह रोग तेजी से फैलता है। इसका असर सीधा फलों पर होता है, जिससे उनका आकार बिगड़ जाता है और उनकी गुणवत्ता घट जाती है।
रोग से बचाव के उपाय
किसान भाइयों, इस रोग से बचने के लिए सबसे जरूरी है समय पर फफूंदनाशक दवाओं (फंगी साइड्स) का छिड़काव करना। जैसे ही फसल फूल अवस्था में पहुंचने वाली हो, उससे पहले ही कार्बेंडाजिम 50% दवा का छिड़काव कर देना चाहिए। कार्बेंडाजिम का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। अगर मौसम में बारिश या कोहरे की संभावना हो, तब भी इस दवा का छिड़काव जरूर करें। इससे बीमारी लगने की संभावना बहुत कम हो जाती है।
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रोग लगने पर क्या करें
यदि आपकी फसल में पहले से ही लौंग या लोक रोग लग चुका है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। इसके नियंत्रण के लिए हेक्साकोनाजॉल 5% दवा का प्रयोग करें। इसका छिड़काव 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से करना चाहिए। लगभग आठ दिन के अंतराल पर दो बार छिड़काव करने से रोग पर काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है।
फल बनने के बाद का उपचार
जब फसल फूल अवस्था से निकलकर फल बनने की अवस्था में पहुंच जाए, तब आप प्रोपिकोनाजॉल (जो कि सेन्ट्टा कंपनी की टिल्ट फफूंदनाशक दवा में आता है) का छिड़काव कर सकते हैं। इसका उपयोग 200 मिलीलीटर प्रति एकड़ या 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से करना चाहिए। ध्यान रखें, टिल्ट का छिड़काव केवल फसल की अंतिम अवस्था में ही करें, क्योंकि यह दवा पौधे की वृद्धि को रोक देती है और पत्तियां लॉक हो जाती हैं। यदि इसे पहले प्रयोग किया जाए, तो फूल और फल बनने की प्रक्रिया रुक सकती है, जिससे उत्पादन में गिरावट आएगी।
उत्पादन बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण सलाह
किसान भाइयों, लौंग या लोक रोग से बचाव के लिए केवल दवाओं का ही सहारा न लें, बल्कि खेत की साफ-सफाई, उचित जल निकासी और मौसम के अनुसार निगरानी पर भी ध्यान दें। समय पर निराई-गुड़ाई, संतुलित उर्वरक प्रबंधन और रोग प्रतिरोधक किस्मों का चयन करने से भी इस बीमारी के प्रकोप को काफी हद तक रोका जा सकता है। साथ ही, खेत में नमी का नियंत्रण रखें और अनावश्यक सिंचाई से बचें।
धनिया की खेती में लौंग या लोक रोग एक बड़ी समस्या बन सकता है, लेकिन यदि किसान भाई सही समय पर उपाय करें, तो इस रोग को आसानी से रोका जा सकता है। समय पर कार्बेंडाजिम, हेक्साकोनाजॉल और प्रोपिकोनाजॉल जैसी फफूंदनाशक दवाओं का सही मात्रा में छिड़काव करने से फसल को सुरक्षित रखा जा सकता है और उत्पादन में वृद्धि पाई जा सकती है। ध्यान रखें कि रोग नियंत्रण के साथ-साथ खेत की सफाई और उचित देखभाल भी जरूरी है, ताकि आपको भरपूर और गुणवत्ता युक्त उत्पादन मिल सके।
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