दोस्तों भारत कृषि प्रधान देश है और भारत देश की लगभग 70% आबादी गाँव से निवास करती है और धान हमारे यहाँ की मुख्य फसल में से एक है इसलिए हमारे किशान मित्र जब धान की खेती करते है तो उनके मन में बहुत सारे सवाल उत्पन्न होते है जैसे धान की खेती कैसे करें उनका मुख्या सवाल होता है तो आईये जानते है धान की खेती कैसे करें और भी धान की खेती से जुड़े अन्य सवालो के जवाब आपको इस लेख में मिलने वाले है –
धान की खेती कब और कैसे करें
किसान को धान की खेती करने के लिए खेत की तैयारी बिज का चैन, बिज की मात्रा, कीट एवं रोग, मिटटी, समय की जानकारी होना अति आवश्यक होता है धान एक खरीफ की विशेष फसल मानी जाती है खरीफ के समय जून जुलाई माह में एवं रबी के समय दिसंबर जनवरी माह में धान की खेती की जाती है धान की नर्सरी वर्ष में दो बार जून एवं दिसंबर माह में तैयार की जाती है धान में सिंचाई का विशेष प्रबंध करना होता है धान की खेती के लिए अम्लीय एवं छारीय दोनों प्रकार की मिटटी उपुक्त मानी जाती है
खेत की तैयारी:
नर्सरी के लिए खेत की दो बार जुताई करने के बाद रोटावेटर चलाकर मिटटी को बारीक एवं भुरभुरी कर समतल कर लेना चाहिए जुताई के पहले गोबर की खाद डाल देना चाहिए
धान की रोपाई के लिए खेत की दो बार जुताई करने के 4 से 5 दिन बाद ही पानी चलाना चाहिए जिससे की खेत में उगे खरपतवार नस्ट हो जायेंगे पानी चलाने के बाद खेत में रोटावेटर चलाकर रोपाई के लिए तैयार करना चाहिए ध्यान रहे जुताई से पहले गोबर की 2 से 3 ट्राली खाद डालना चाहिए ताकि मिटटी की उर्वराशक्ति यथावत बनी रहे
बीज एवं बीज उपचार :
धान के बीज की मात्रा देशी धान 40 से 45 किलोग्राम, रिसर्च बीज 25 से 30 किलोग्राम एवं हाइब्रिड बीज 6 से 8 किलोग्राम प्रति एकड़ पर्याप्त माना जाता है खरीफ के समय बीज रबी के अपेक्छा कुछ कम मात्रा लगती है क्यों के दिसंबर में अंकुरण कम होता है जबकि जून माह में 100 %अंकुरण छमता होती है
धान के बीज को नर्सरी में डालने से पहले यदि बीज देशी हो तो अच्छी तरह से साफ़ कर लेना चाहिए नर्सरी में किसी प्रकार का रोग नहीं लगे इस लिए हमें बीज को कार्बेन्डाजिम मेन्कोजेब एवं क्लोरोपाइरीफास से उपचारित करना चाहिए बीज लेते समय हमें बीज की रोगप्रतिरोधक छमता कैसी है बीज की अवधि क्यों की बहुत सारे धान फल आने की अवस्था पर हल्की हवा से ही धान का पौधा गिर जाता है जिससे की काफी नुकसान होने की संभावना रहती है
इसे भी पड़े :
नर्सरी में खाद की मात्रा:
एक एकड़ खेत के लिए धान की नर्सरी में 2 से 3 किलोग्राम यूरिया 4 से 5 किलोग्राम एस. एस. पी. एवं 1 से 2 किलोग्राम पोटाश खाद डालना चाहिए यदि एस. एस. पी. की जगह डी. ए. पी. डालते है तो जिंक का भी प्रयोग करना चाहिए यदि देशी धान की नर्सरी करते है तो खाद की मात्रा 4 से 5 किलोग्राम यूरिया,8 से 10 किलोग्राम एस. एस. पी. 3 से 4 किलोग्राम पोटाश खाद का प्रयोग करना चाहिए
नर्सरी में दवा का उपयोग:
धान की रोपाई हेतु नर्सरी से पौध निकालने के 6 से 8 दिन पहले हमें मेन्कोजेब जैसे फफुन्दनासक एवं क्लोरोपयरिफास सायपरमेथ्रिन जैसे कीटनाशक का स्प्रे कर देना चाहिए यह दवा डालने से रोप निरोगी एवं स्वस्थ हो जायेगा ताकि पौधा रोपाई के बाद जल्दी खड़ा एवं हरा भरा होगा
रोपाई की विधि:
देशी विधि से रोपाई करने में पौधों की दुरी में असमानता देखने को मिलती है जिससे प्रत्यक पौधे को खाद बराबर मात्र में नहीं मिलता जिसका प्रभाव उत्पादन पर पड़ता है यदि रोपाई कतार विधि से करते है तो यह असमानता देखने को नहीं मिलती है उत्पादन अधिक मिलता है हाइब्रिड धान के लिए कतार से कतार की दुरी 10 से 12 इंच एवं रिसर्च धान 8 से 10 इंच के बीच दुरी होना चाहिए
प्रति एकड़ खाद नियंत्रण :
90 से 120 दिन की अवधि वाले धान में खाद कब और कितनी मात्रा में डालना चाहिए
प्रथम खाद- रोपाई के 4 से 6 दिन के भीतर 40 से 50 किलोग्राम डी.ए.पी. या एन.पी. के. डाल देना चाहिए
द्वितीय खाद – रोपाई के 25 से 30 दिन के भीतर 15 से 20 किलोग्राम यूरिया, 20 किलोग्राम पोटाश एवं 8 से 10 किलोग्राम जिंक डालना चाहिए
तृतीय खाद- रोपाई के 55 से 60 दिन के भीतर 10 से 15 किलोग्राम यूरिया एवं 10 से 15 किलोग्राम पोटाश डालना चाहिए
125 से 140 दिन की अवधि वाली धान में खाद की मात्रा कितनी डालना चाहिए
प्रथम खाद- 50 किलोग्राम डी.ए,पी. या एन.पी.के. रोपाई से 6 से 8 दिन के मध्य डालना चाहिए
द्वितीय खाद- रोपाई से 25 से 30 दिन के भीतर 15 से 20 किलोग्राम यूरिया, 15 से 20 किलोग्राम पोटाश, 10 किलोग्राम जिंक डालना चाहिए
तृतीय खाद- रोपाई से 55 से 60 दिन 20 से 25 किलोग्राम यूरिया, 4 से 5 किलोग्राम सल्फर डालना चाहिए
चौथी खाद- रोपाई से 75 से 80 दिन के भीतर 15 से 20 किलोग्राम यूरिया, 10 से 15 किलोग्राम पोटाश डालना चाहिए
नोट: रबी मौसम की अपेक्छा खरीफ के समय यूरिया का प्रयोग कम करना चाहिए क्यों की बारिश की वजह से नमी रहती है जिससे फंगस आने के आसार अधिक होते है
बीमारी एवं रोकथाम:
धान में बीमारी कई प्रकार की होती है सुरुआती समय से ही तना छेदक, ब्लास्ट का प्रकोप देखने को मिलता है वर्त्तमान समय में तना छेदक बीमारी फैलते जा रही है सफ़ेद एवं भूरे कलर की तितली पत्तियों पर बैठ कर अंडे देती है उस अंडे से इल्ली बनकर तने में प्रवेश करके रस चूसती है जिससे की तना सूखने लगता है इस प्रकोप का उत्पादन पर काफी असर पड़ता है
तना छेदक की रोकथाम –
हमें सर्व प्रथम रोपाई के बाद अच्छा उपचार करना चाहिए नहीं तो कल्ले कम होने से उत्पादन कम होंगा क्यों की सुरुआती समय में ही कल्ले का फुटाव होता है
रोपाई से 20 से 25 दिन के भीतर हमें दानेदार कीटनासक-क्लोरेंटानिलीप्रोल 0.4% 4 किलोग्राम प्रति एकड़ या क्लोरेंटानिलिप्रोल0.5%+थीओमेथाक्सम1% 2.5 किलोग्राम प्रति एकड़ डालना चाहिए इसके प्रयोग से तनाछेदक, पत्ती लपेटक से 25 से 30 दिन तक इसका असर रहता है इसे रेत या दानेदार खाद में मिलकर खेत में डाला जाता है एवं 30 दिन के बाद जरुरत पड़ने पर तरल कीटनाशक का स्प्रे कर सकते है
नोट: जिस प्रकार हम फसल चक्र अपनाते है उसी प्रकार एक ही प्रकार की दवाओ का फसल में लगातार प्रयोग नहीं करना चाहिए प्रत्यक फसल में दवा बदल के ही डालना चाहिए ताकि कीटो पर दवाओ का अच्छा प्रभाव पड़े
फंगस एवं रोकथाम :
यह बिमारी ज्यादा नमी के कारण आती है शीत ब्लास्ट, नेक ब्लास्ट सुरुआती समय में कार्बेन्डाजिम+मेन्कोजेब का इस्तेमाल कर सकते है ज्यादा होने पर हेकसकोनाजोल 5%एस सी, या वेलिडामायसिन 3%एस एल यह एंटीफंगल व एंटीबैक्ट्रिया होता है इसके अलावा टेबुकोनाजोल 18.3%+एजोएक्स्त्रोबिन 11% जैसे दवाओ का प्रयोग कर सकते है
उत्पादन छमता :
यदि इस विधि से बिज का दवाओ का खाद का टेकनीकल अपनाते है तो निश्चित रूप से देशी धान का उत्पादन प्रति एकड़ 22 से 25 क्विंटल एवं हाइब्रिड का उत्पादन प्रति एकड़ 27 से 30 क्विंटल तक हो सकता है यदि गोबर खाद का प्रयोग प्रति एकड़ 2 से 3 ट्राली किये है तो उत्पादन 4 से 5 क्विंटल तक बढ़ जाता है
जैविक दवा क्या है:
धान में हम पूर्ण तरीके तरीके रासायनिक नहीं बल्कि जैविक दवाओ का उपयोग करते है तब जैविक खेती कहलाती है एवं जैविक दवा बनाने के लिए हमें विभिन प्रकार की वानस्पतिक पत्तियों का एवं गौ मुत्र का प्रयोग करना होता है जैविक दवा के प्रयोग से मिट्टी को एवं उस अनाज को खाने से किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता है यह दवा किसान स्वंय बना सकता है इसके प्रयोग से खेती में लागत कम आएगी इस दवा के प्रयोग से कीटनासक एवं अन्य बीमारियों से बचा जा सकता है जविक दवा का प्रयोग करते है तो हमें रासायनिक दवाओ का प्रयोग नहीं करना चाहिए
जैविक दवा बनाने की विधि:
जैविक दवा बनाने के लिए हमें 25 लीटर गौ मुत्र, 1 से 1.5 किलोग्राम गराडी की पत्ती, 1.5 किलोग्राम नीम पत्ती, 1 किलोग्राम बेसरम पत्ती, 1 किलोग्राम सिताफल पत्ती, 1.5 किलोग्राम धतुरा पत्ती 0.5 किलोग्राम हरी मिर्च, 1.5 किलोग्राम आक (रुई) पत्ती एवं 250 ग्राम गुड़ इन सभी को छोटे टुकडो में करने के बाद एक पात्र में डाल कर ऊपर से गौ मुत्र डाल देना चाहिए
उसके बाद 50 से 60 दिन के लिए बंद करके रख देना चाहिए जिससे की पत्तियों का रस गौ मुत्र में मिलकर एवं पत्तिया सड़ जाती है जिससे की जैविक दवा तैयार हो जाती है प्रयोग करने से पहले दवा को अच्छी तरह से छान लेना चाहिए ताकि स्प्रे करने में आसानी होंगी ! ध्यान रहे की गौ मुत्र साफ़ रहना चाहिए एवं जिस पात्र में दवा बनाना चाहते है उसे भी अच्छी तरह से साफ़ कर लेना चाहिए
प्रयोग की विधि नर्सरी के लिए :
खरीफ के लिए धान की नर्सरी में जब अंकुरण आ जाये उसके दो दिन के बाद 250-300 मिलीलीटर प्रति टैंक स्प्रे, दूसरा स्प्रे 10-12 दिन में करना चाहिए जिससे की नर्सरी में किसी प्रकार की बिमारी नहीं आएँगी
रबी के लिए धान की नर्सरी में अंकुरण आने के 2 दिन के बाद 250-300 मिलीलीटर प्रति टैंक, दूसरा स्प्रे 300-400 मिलीलीटर 8-10 दिन के भीतर यदि जरुरत पड़े तो तीसरा स्प्रे 400-500 मिलीलीटर की दर से स्प्रे कर सकते है रबी के लिए नर्सरी का समय दिसंबर-जनवरी होता है और इस समय ठंड अधिक होती है और यह फार्मूला बहुत सटीक है इस दवा के प्रयोग से नर्सरी में हरियाली बनी रहती है
रोपाई के बाद दवा डालने की विधि एवं मात्रा:
रोपाई के 10- 12 दिन के भीतर 600-700 मिलीलीटर प्रति टेंक की दर से स्प्रे करना चाहिए, दूसरा स्प्रे रोपाई 30-35 दिन में 800मिलीलीटर से 1 लीटर प्रति टैंक की दर से स्प्रे करना चाहिए एवं फुल आने की अवस्था से 5-6 दिन पहले 1 -1.5 लीटर के मध्य प्रति टैंक की दर से स्प्रे कर देना चाहिए क्यों की वर्त्तमान समय में अधिकाँश धान की बाली निकलते समय तनाछेदक की वजह से सफ़ेद बाली निकलती है एवं माहु का भी प्रकोप देखने को मिलता है जिसके कारण फसल उत्पादन पर भी असर दिखाई देता है
धान की अधिक पैदावार के उपाय
धान की खेती pdf
dhaan ka vaigyanik naam
धान में कल्ले बढ़ाने की दवा
dhaan ki fasal kab boi jaati hai
निष्कर्ष:
इस जैविक दवा के प्रयोग से धान की फसल में किसी प्रकार के कीट एवं रोग नहीं लगते है इसके प्रयोग से मिटटी पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है और मिटटी की उर्वरा शक्ति लम्बे समय तक बनी रहती है एवं किसान की आर्थिक रूप से बचत होती है जैविक दवा के प्रयोग के बाद यदि फसल को पशु खा लेते है तो किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता है जैविक तरीके से की गई फसल के अनाज को खाने से मनुष्य को किसी भी प्रकार का नुकसान देखने को नहीं मिलता है
किसान को हमेशा ध्यान रखना चाहिए की जब धान के पौधे फुल आने की अवस्था में हो तब दवा का एक स्प्रे करना ही चाहिए क्यों की किसान मेहनत काफी करता है लेकिन फुल आने की अवस्था पर ध्यान नहीं देता जिसका उसे नुकसान उठाना पड़ सकता है इस जैविक दवा में गौ मूत्र होने के कारण इसमें नाइट्रोजन पाया जाता है जिससे फसल में नाइट्रोजन की पुरती की जा सकती है
धान की खेती से जुड़े सवाल एवं उनके जवाब (FAQ) :
Q : धान की खेती कौन से महीने में की जाती है?
Ans : दोस्तों वैसे तो मई से जून महीने से ही देशभर के किसान धान की खेती शुरू करने लगते हैं और धान की कटाई सितम्बर महीने के आसपास की जाती है |
Q : धान की फसल कब लगाना चाहिए?
Ans : धान की फसल 20 मई से 30 जून तक लगाना चाहिए |
Q : धान की फसल कितने दिन में तैयार हो जाती है?
Ans : धान की फसल अलग अलग धान वेरिएटी की समय सीमा होती है लेकिन जनरल तौर पर यह फसल 120 से लेकर 138 दिनों में तैयार हो जाती है |
Q : एक एकड़ में कितना धान पैदा होता है?
Ans : एक अच्छी उन्नत खेती के जरिए किसान प्रति एकड़ करीब 35-40 कुंतल धान की उपज ले सकते हैं।
Q : एक बीघा में कितना धन होता है?
Ans : अगर मौसम सही रहा और प्रॉपर दवाई और उर्वरक खाद दिया जाए तो एक बीघा में 20 से 25 क्विंटल धान की उपज ले सकते है
Q : धान में कितनी बार खाद डालना चाहिए?
Ans : अगर धान की अच्छी उपज लेना है तो आख़िरी जुताई के समय 100 से 150 कुंटल पर हेक्टेयर गोबर की सड़ी खाद खेत में डालना चाहिए?
Q : सबसे मोटा धान कौन सा है?
Ans : सबसे मोटा धान आरआर – 167 (बंदना) RR – 167 (Bandana) है |
Q : सबसे अधिक पैदावार वाली धान कौन सा है?
Ans : अधिक पैदावार वाली धान वैसे तो बहुत सारी किस्मे है जिनमे -जया धान, बासमती-370, डीआरआर 310, मकराम (Makram) हाइब्रिड, पीएचबी -71, एनडीआर- 359,
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