बरसाती भिंडी की अगेती खेती: सिर्फ 15-17 हजार की लागत में एक एकड़ से कमाएं 3.5-4 लाख रुपये

By Purushottam Bisen

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बरसाती भिंडी की अगेती खेती

एक एकड़ में भिंडी की खेती से लाखों की कमाई का राज

अगर आप इस बार केवल एक एकड़ खेत में बरसाती भिंडी की अगेती खेती करते हैं, तो मानकर चलिए कि आप अपनी फसल से न सिर्फ बेहतर उत्पादन ले सकते हैं, बल्कि मंडी में जबरदस्त भाव पाकर ₹3.5 से ₹4 लाख तक की कमाई भी कर सकते हैं। ऐसा कैसे संभव है? इस लेख में हम आपको पूरी जानकारी विस्तार से देंगे। कृपया इसे पूरा पढ़ें और अपने किसान साथियों के साथ जरूर साझा करें।

क्यों मिलेगी अच्छी कमाई?

अगर आप मई महीने के अंत यानी 20 से 25 मई तक भिंडी की बुवाई कर लेते हैं, तो 45-50 दिनों में पहली तोड़ाई शुरू हो जाएगी। यानी जून के आखिरी हफ्ते या जुलाई के पहले सप्ताह में आपकी फसल तैयार होगी। उस समय बाजार में भिंडी की सप्लाई कम रहती है क्योंकि पहले की फसल समाप्त हो चुकी होती है। बरसाती भिंडी की बुवाई ज्यादातर जून-जुलाई में होती है, इसलिए आपकी अगेती फसल को ऊंचे दाम मिलते हैं। इसके अलावा, भिंडी की फसल मानसून की पहली बारिश का साइड इफेक्ट नहीं झेलती, जिससे उत्पादन अच्छा होता है और किसान को जबरदस्त मुनाफा मिलता है।

खेत का चयन और तैयारी

मई-जून में भिंडी की अगेती बुवाई के लिए ऐसे खेत का चयन करें जहां जलभराव न हो। मिट्टी का पीएच मान 6-7 के बीच होना चाहिए। पहले खेत से पुरानी फसल के अवशेष हटा लें। उसके बाद 1-2 बार गहरी जुताई करें। यदि उपलब्ध हो, तो 3-4 ट्रॉली सड़ी हुई गोबर की खाद प्रति एकड़ में डालें। इसके बाद रोटावेटर से खेत में मिट्टी को भुरभुरी बनाएं और सिंचाई करें। जब मिट्टी जुताई योग्य हो जाए, तब प्रति एकड़ 60-70 किलो डीएपी और 15 किलो पोटाश डालें और अच्छी तरह मिला लें।

बीज का चयन और किस्में

हाइब्रिड किस्मों का चयन करें क्योंकि ये देसी किस्मों की तुलना में अधिक उत्पादन देती हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बेहतर होती है। आप एडवांटा की ‘राधिका’, ननहेंस की ‘सिंघम’ और नामधारी की ‘एनएस 862’ जैसी किस्में लगा सकते हैं। अपने क्षेत्र के प्रचलित हाइब्रिड किस्मों की सलाह स्थानीय कृषि विशेषज्ञ से भी ले सकते हैं।

बुवाई की विधि

आप भिंडी की बुवाई समतल क्यारियों या मेड़ विधि से कर सकते हैं। हालांकि, बरसात में मेड़ विधि ज्यादा सफल रहती है। मेड़ से मेड़ की दूरी 2-2.5 फीट और पौधे से पौधे की दूरी 6-7 इंच रखें। इस विधि में प्रति एकड़ 1.5-2 किलो बीज की आवश्यकता होती है, जबकि समतल क्यारियों में 3-3.5 किलो बीज लग सकता है।

खरपतवार नियंत्रण

बुवाई के 48 घंटे के भीतर 1 लीटर पेंडामेथिलीन को 150-200 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करें। इससे शुरुआती खरपतवार नियंत्रित रहेंगे। खेत में नमी की स्थिति के अनुसार बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करें, ताकि बीज 8-10 दिनों में अंकुरित हो सकें।

शुरुआती देखभाल और पोषण प्रबंधन

जब पौधे 15-20 दिन के हों, तब 1000 पीपीएम नीम ऑयल का 15 लीटर पानी में 75 मि.ली. मिलाकर स्प्रे करें। इससे रस चूसक कीटों का नियंत्रण होगा। 20-22 दिन की फसल में एनपीके 19:19:19 का 750 ग्राम मात्रा में 150-200 लीटर पानी में घोल बनाकर स्प्रे करें। इससे फसल की ग्रोथ बेहतर होती है।

30-35 दिन की अवस्था में पुनः एनपीके 19:19:19 का छिड़काव करें। 40-42 दिन की अवस्था में फूल और फल लगने लगते हैं, तब एनपीके 0:52:34 का 750 ग्राम 150-200 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। इससे फल अधिक और मजबूत बनेंगे।

उत्पादन और संभावित आमदनी

यदि आप सही तकनीक से खेती करें, तो एक एकड़ से 60-70 क्विंटल भिंडी का उत्पादन संभव है। उस समय मंडी में 60-70 रुपये प्रति किलो का थोक भाव मिल सकता है, जिससे आप ₹3.5-4 लाख तक कमा सकते हैं।

कीट और रोग नियंत्रण

भिंडी में रस चूसक कीट और लीफ कर्ल वायरस बड़ी समस्या होते हैं। इसके लिए पेगास या अन्य अनुशंसित कीटनाशकों का समय-समय पर छिड़काव करें। इससे फसल सुरक्षित रहेगी और उत्पादन प्रभावित नहीं होगा।

निष्कर्ष

बरसाती भिंडी की अगेती खेती कम लागत में अत्यधिक मुनाफा देने वाली खेती है। सही समय पर बुवाई, खेत की तैयारी, उन्नत किस्मों का चयन और उचित देखभाल से आप आसानी से लाखों रुपये कमा सकते हैं। यदि आपको इस विषय पर और जानकारी चाहिए, तो कमेंट में लिखकर पूछ सकते हैं।

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