Phoolon Ki Kheti: मनुष्य जाती को प्रकृति के द्वारा दिया गया एक सर्वश्रेस्ट उपहार है फुल सब्द सुनते ही रंग बिरंगी आक्रतिया आँखों के सामने उभरने लगती है फूलो को देखते ही आँखों को एकदम सुकून मिलता है और फुल की सुगंध से मन प्रसन्न हो जाता है
इसके साथ फूलो की खेती किसान भाइयो की आमदनी को बढाने का एक बड़ा स्त्रोत है जैसे आप जानते है मार्केट में फूलो की डिमांड हमेशा बनी रहती है और बहुत से किसान भाई इस फूलो की खेती (Phoolon Ki Kheti) से महीने के लाखो रूपए कमा रहे है
Phoolon Ki Kheti: किसानों की होगी इन 5 फूलो की खेती से बंपर कमाई
सवाल आता है की कौनसे फूलो की खेती करें और किस तरह से करें तो आज हम आपको इस आर्टिकल में 5 येसे फूलो की खेती के बारे में जानकारी देंगे जिनकी खेती भारत के अधिकतर राज्यों में होती है जिनका मार्केट में काफी अच्छी डिमांड है और जिनका भाव भी हमें सबसे अधिक देखने को मिलता है इसके साथ किस तरह से फूलो की खेती साल भर कर सकते है
गुलाब फुल की खेती
गुलाब का फुल शादियों में तैव्हारो में किसी को उपहार देने में हर जगह पर उपयोग में आता है इसके साथ गुलाब के फुल से गुलाब जल, इत्र, गुलकंद, पारिजात और भी अनेक सामग्री बनाये जाते है इस कारण मार्केट में गुलाब की अच्छी खासी डिमांड है और यही की गुलाब के फुल को पहले स्थान पर लिया है
गुलाब की खेती लगभग पुरे भारत में कर सकते है गुलाब की भारत में 100 से भी ज्यादा अलग अलग किस्मे है आप अपने एरिया के अनुकूल किसी भी उन्नत किस्मो का चुनाव करते है उस किस्म के पौधे को पास के किसी नर्सरी से खरीद सकते है पौधे खरीदते समय ध्यान रहे की पौधे कम से कम 3 महीने पुराने होने चाहिए खेत में पौधा रोपण करते समय एक लाइन से दुसरे लाइन के बीच की दुरी 5 फीट रखना चाहिए व एक पौधे से दुसरे पौधे की दुरी 3 फीट रखना चाहिए
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गुलाब के पौधों का रोपण ओक्टुबर , नवम्बर ,फरवरी एवं मार्च इन 4 महीने में कर सकते है और अगर बारिश के समय में आपके खेत में जल भराव नहीं होता हो तो बारिश के समय में भी गुलाब की खेती कर सकते है
पौधा रोपण करने से 3 महीने बाद से ही उत्पादन मिलने लगता है लेकिन ये बहुत कम होता है लेकिन पौधा रोपण के 1 साल बाद से आप गुलाब के पौधे से full capacity के हिसाब से उत्पादन मिलने लगता है
गुलाब के फूलो का भाव शादियों के समय और फेस्टिवल के समय 200 रूपए किलो से लेकर 500 रूपए किलो तक बड़ी आसानी से मिल जाता है
गेंदा फुल की खेती
गेंदे के फुल की उत्पत्ति साउथ अमेरिका में हुयी रंग आकर के अनुसार गेंदे की मुख्यतः 2 किस्मे है अफ्रीकी गेंदा और फ्रेंच गेंदा
गेंदे की खेती करने के लिए आप सबसे पहले इसकी नर्सरी तैयार करें गेंदा की नर्सरी आप साल में 2 बार लगा सकते है गर्मी और बरसात के सीजन में
बरसात के सीजन में गेंदे की नर्सरी लगाने के सबसे उपयुक्त समय 15 जून से जुलाई का महिना होता है व गर्मियों के सीजन के लिए आप 15 जनुअरी से फरवरी महीने के बीच में लगा सकते है
गेंदे की नर्सरी 25 से 30 दिनों में ट्रांसप्लांट के लिए तैयार हो जाती है इसका ट्रांसप्लांट बेड बनाकर कर सकते है
गेंदे पौधों का ट्रांसप्लांट करने के 55 से 60 दिनों के बाद हमें गेंदे की फसल से फूलो का उत्पादन मिलने लगता है जिन 5 राज्यों में गेंदे की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है वे इस प्रकार है – Maharashtra, karnatak, gujarat, andhra pradesh, tamilnadu, or madhya pradesh
गेंदे का सबसे अच्छा भाव हमें गणेश चतुर्थी से लेकर दिवाली के बीच में मिलता है
Transvaal daisy (जरबेरा) फुल की खेती
जरबेरा एक महत्त्वपूर्ण कंदवर्गीय फुल है जो की सूरज मुखी परिवार का ही एक सदस्य है इसलिए इसे विदेशी सूरज मुखी और छोटा सूरज मुखी के नाम से भी जाना जाता है
जरबेरा फुल की खासियत यह है की तोड़ने के बाद भी इसकी ताजगी लम्बे समय के लिए बनी रहती है हम इसे लगभग 10 दिनों तक स्टोर करके रख सकते है इस कारण जरबेरा फुल का उपयोग पार्टियों में सम्हारो में और बूके के रूप में किया जाता है इसलिए जरबेरा की मार्केट में अच्छी खासी डिमांड रहती है
वैसे जरबेरा फुल की खेती पाली हाउस में ही देखने को मिलती है पर वैज्ञानिको ने कुछ किस्मे येसी बनायीं जिनकी खेती आप ठण्ड के सीजन में ओपन फील्ड पर भी कर सकते है
जिन किसान भाइयो के पास पाली हाउस सिस्टम नहीं है तो गवर्नमेंट आपको 50% से लेकर 80% तक पाली हाउस बनाने के लिए सब्सिडी देती है आप अपने एरिया अधिकारी से पूछकर पाली हाउस में मिलने वाली सब्सिडी का लाभ उठा सकते है और कुछ एरिया में पाली हाउस बनाकर जरबेरा फुल की खेती कर सकते है
चमेली फूल की खेती
चमेली के फुल की खेती भारत में ओक्टुबर से फरवरी के बीच में की जाती है यानी की ठण्ड के सीजन में, जिन राज्यों में चमेली के फुल की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है वे इस प्रकार है uttar pradesh, madhya pradesh, rajasthan, haryana, bihar or west bangal
चमेली के फूलो का उपयोग इत्र बनाने में, परफ्यूम बनाने में, तेल बनाने में, माला में, कजरा बनाने में किया जाता है इस कारण इसकी फुल की मार्केट में बहुत ज्यादा मांग बनी रहती है
सूरजमुखी फूल की खेती
सूरजमुखी वैसे तो तिलहनी कुल की फसल है और इसकी खेती भारत में तीनो सीजन में होती है खरीब, रबी, और जायद पर भारत के अधिकतर राज्यों में खरीब और जायद के सीजन में सूरजमुखी की खेती होती है
खरीब के सीजन में सूरजमुखी के बीजों की बुवाई जुलाई और अगस्त महीने में कर सकते है व जायद के सीजन के लिए 15 फरवरी के आसपास सूरजमुखी के बीजो की बुवाई कर सकते है जायद का सीजन सूरजमुखी की खेती के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है इसलिए हमने इसे फूलो की केटेगरी में लिया है क्योकि ज्यादातर किसान अपने खेतो को जायद के सीजन में खाली छोड़ देते है
सूरजमुखी के बीजो से हमें तेल प्राप्त होता है जिसका उपयोग खाने के काम में लिया जाता है इसके साथ सूरजमुखी के फुल से भी गुलाब जल तैयार किया जाता है
निष्कर्स
हम किस तरह से पुरे साल फूलो की खेती करके फूलो की फसल से उत्पादन ले सकते है तो आप बारिश के सीजन में गेंदे की फसल लगाये और ठण्ड के सीजन में चमेली और गुलाब के फूलो को लगा सकते है और जायद के सीजन में सूरजमुखी की खेती कर अच्छी आमदनी ले सकते है साथ साथ अगर आपके पास पाली हाउस है तो इन फूलो की खेती पाली हाउस में कभी भी कर सकते है और जरबेरा के फुल भी आप लगा सकते है
दोस्तों इस आर्टिकल में दी गयी जानकारी आपको कैसी लगी कमेंट में जरुर बताये धन्यवाद्
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