Gehu ke Rog Aur Unka ilaj: भारत के हर किसान भाई के लिए गेहूं की फसल केवल एक फसल नहीं, बल्कि मेहनत और उम्मीद का प्रतीक होती है। लेकिन कई बार यही फसल रोगों, कीटों और फंगस के हमले से कमजोर पड़ जाती है। इस लेख में हम गेहूं की बुवाई से लेकर कटाई तक आने वाले सभी प्रमुख रोगों, कीटों और फफूंद की पहचान, उनके कारण, रोकथाम और रासायनिक नियंत्रण की ए टू ज़ेड जानकारी देंगे, ताकि आपकी मेहनत बेकार न जाए और पैदावार दोगुनी हो सके।
गेहूं की बुवाई के समय लगने वाले प्रमुख रोग और कीट
गेहूं की फसल की आधी लड़ाई बुवाई के समय ही जीत ली जाती है। बीज उपचार इस लड़ाई का सबसे बड़ा हथियार है। दीमक (टर्माइट) जैसे कीट पौधों की जड़ों को खाकर उन्हें सुखा देते हैं। पहचान में पौधे की जड़ कटी हुई मिलती है और पौधा पीला पड़ जाता है। रोकथाम के लिए खेत में कच्ची गोबर की खाद न डालें और अच्छी सड़ी हुई खाद का ही प्रयोग करें।
रासायनिक नियंत्रण के लिए प्रति किलो बीज को फिप्रोनिल 5% एससी (2 मिली) या इमिडाक्लोपिड 17.8% एसएल (1-2 मिली) से उपचारित करें। अगर बीज उपचार संभव न हो, तो पहली सिंचाई के साथ क्लोरपाइरिफोस का उपयोग करें।

लूज स्मट (कंडुआ) – बीज जनित रोग
यह रोग बाली निकलते समय दिखाई देता है, जब दानों की जगह काला पाउडर दिखने लगता है। यह हवा से फैलकर स्वस्थ पौधों को संक्रमित करता है। रोकथाम के लिए हमेशा प्रमाणित और स्वस्थ बीज का प्रयोग करें।
बीज उपचार के लिए टेबुकोनाजोल 2% DS (1 ग्राम/किलो बीज) या कार्बोक्सिन + थिरम (2.5-3 ग्राम/किलो बीज) का उपयोग करें।
करनाल बंट – मिट्टी और बीज जनित रोग
इसमें दाने सड़ी हुई मछली जैसी गंध देने लगते हैं और आंशिक रूप से काले हो जाते हैं। यह मिट्टी और बीज दोनों से फैलता है। रोकथाम के लिए रोग-प्रतिरोधी किस्में बोएं और बीज को थिरम 75% WSP (2.5 ग्राम/किलो बीज) से उपचारित करें।
फसल की वृद्धि अवस्था में लगने वाले रोग और कीट
जब गेहूं की फसल 25 से 60 दिन की होती है, तब यह खरपतवार, रसचूसक कीटों और फफूंद का शिकार बनती है। खरपतवार पौधों के पोषक तत्वों के सबसे बड़े दुश्मन हैं। चौड़ी पत्ती वाले (बथुआ, सेंजी) और संकरी पत्ती वाले (गुल्ली डंडा, फलारिस माइनर) खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए दो 4D एमीन साल्ट 58% SL और सल्फोसल्फ्यूरोन + मेटसल्फ्यूरोन का प्रयोग करें।
माहू (चेपा) – रसचूसक कीट
यह छोटे हरे या काले कीट होते हैं जो पौधों का रस चूसते हैं। इससे पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं और काली फफूंद (सूटी मोल्ड) लग जाती है। रोकथाम के लिए प्रारंभिक अवस्था में लेडी बर्ड बीटल जैसे प्राकृतिक कीटों को संरक्षण दें। अधिक प्रकोप होने पर इमिडाक्लोपिड 17.8% एसएल (100 मिली/एकड़) या थियामेथोक्साम 25% डब्ल्यूजी (40-50 ग्राम/एकड़) का छिड़काव करें।

पाउडरी मिल्ड्यू (चूर्णिल आसिता)
इस रोग में पत्तियों पर सफेद या ग्रे रंग का पाउडर जैसा जमाव दिखता है, जैसे किसी ने आटा छिड़क दिया हो। यह घनी फसल और नमी वाले मौसम में अधिक फैलता है। नियंत्रण के लिए सल्फर 80% WDG (2 ग्राम/लीटर) या प्रोपिकोनाजोल 25% EC (1 मिली/लीटर) का छिड़काव करें।
बाली निकलने के समय के खतरनाक रोग
यह फसल की सबसे संवेदनशील अवस्था होती है। इस समय लगने वाले रोग पैदावार को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं।
1. पीला रथुआ (Yellow Rust)
यह गेहूं का सबसे खतरनाक रोग है। पत्तियों पर पीली धारियां बनती हैं और छूने पर हल्दी जैसा पाउडर निकलता है। नियंत्रण के लिए प्रोपिकोनाजोल 25% EC (1 मिली/लीटर) या टेबुकोनाजोल 25.9% EC (1 मिली/लीटर) का छिड़काव करें।
2. भूरा रथुआ (Brown Rust)
इसमें पत्तियों पर नारंगी-भूरे धब्बे बनते हैं। यह अधिक तापमान पर फैलता है। नियंत्रण के लिए प्रोपिकोनाजोल या टेबुकोनाजोल + ट्राईफ्लॉक्सीस्ट्रोबिन का प्रयोग करें।
3. काला रथुआ (Black Rust)
यह तनों पर गहरे भूरे या काले धब्बे बनाता है। यह सबसे विनाशकारी रोग है क्योंकि तने को कमजोर कर देता है। उपचार वही फफूंदनाशक हैं जो अन्य रथुआ रोगों में उपयोग किए जाते हैं।
फॉल्स स्मट और अल्टरनेरिया लीफ ब्लाइट
फॉल्स स्मट में बाली के दानों की जगह फंगस का गोला बन जाता है। अधिक नमी वाले मौसम में कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (2 ग्राम/लीटर) या प्रोपिकोनाजोल (1 मिली/लीटर) का छिड़काव करें। अल्टरनेरिया लीफ ब्लाइट में पत्तियों पर गोल निशान बनते हैं। नियंत्रण के लिए मैनकोजेब 75% WP (2.5 ग्राम/लीटर) या जिनेब का उपयोग करें।
किसान भाइयों के लिए ज़रूरी संदेश
रोगों से लड़ाई का सबसे बड़ा हथियार है रोकथाम। हमेशा रोग-प्रतिरोधी किस्में बोएं, बीज उपचार करें, संतुलित पोषण दें और लक्षण दिखते ही स्प्रे करें। देर करने से नुकसान बढ़ता है। गेहूं की सुरक्षा ही आपकी मेहनत का फल है, इसलिए सही समय पर सही कदम उठाएं।
FAQs
Q1. गेहूं की फसल में सबसे खतरनाक रोग कौन सा है?
पीला रथुआ या येलो रस्ट गेहूं की फसल का सबसे विनाशकारी रोग है।
Q2. बीज उपचार कब और कैसे करें?
बुवाई से पहले प्रति किलो बीज को अनुशंसित दवा से सूखा उपचार करें।
Q3. क्या अधिक यूरिया के प्रयोग से रोग बढ़ सकते हैं?
हाँ, अधिक नाइट्रोजन या यूरिया फफूंद रोगों को बढ़ावा देती है।
Q4. रथुआ रोग के लिए कौन सी दवा सबसे प्रभावी है?
प्रोपिकोनाजोल और टेबुकोनाजोल का स्प्रे सर्वोत्तम परिणाम देता है।
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