काली सरसों की बुवाई का टाइम | Kali Sarson ki Buvai ka Samay

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किसान साथियों अगर आप भी काली सरसों की खेती करते है तो काली सरसों की बुवाई का टाइम का पता होना बहुत जरुरी होता है क्योकि सही समय पर फसल की बुवाई करने से हमारी फसल स्वस्थ रहती है और उत्पादन भी अच्छा देखने को मिलता है

काली सरसों की बुवाई का टाइम

काली सरसों की बुवाई का सही समय भारत में सितंबर के अंतिम सप्ताह से अक्टूबर के महीने तक तक सकते है। इस समय तापमान 15-20 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है, जो सरसों के अंकुरण के लिए अच्छा होता है।

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यदि बुवाई बहुत जल्दी हो जाती है, तो अंकुरण के दौरान ठंड के कारण नुकसान हो सकता है। यदि बुवाई बहुत देर से की जाती है, तो पौधों को फूलने और पकने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाता है।

काली सरसों की बुवाई के लिए मिट्टी में नमी का होना जरुरी होता है। यदि मिट्टी सूखी हो, तो बुवाई से पहले खेत में सिंचाई करनी चाहिए।

काली सरसों की बुवाई की विधि इस प्रकार है

  1. खेत को अच्छी तरह से तैयार कर लेना चाहिए।
  2. बीज को 5-6 सेंटीमीटर की गहराई पर बुवाई करना चाहिए।
  3. बुवाई के बाद खेत में हल्की सिंचाई करना चाहिए।

काली सरसों की बुवाई के बाद कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए:

सिंचाई: सरसों की फसल को अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है। बुवाई के बाद खेत में हल्की सिंचाई करें। पौधों के बढ़ने के दौरान समय समय से सिंचाई करें।

खरपतवार नियंत्रण: सरसों की फसल में खरपतवारों का प्रकोप हो सकता है। बुवाई के 25-30 दिनों के बाद खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए निराई-गुड़ाई करें।

खाद और उर्वरक: सरसों की फसल से अच्छी उपज के लिए उचित मात्रा में खाद और उर्वरक की आवश्यकता होती है। बुवाई के समय खेत में 10-12 टन गोबर की खाद मिलाएं। बुवाई के बाद 20-25 दिनों के बाद यूरिया और फास्फोरस की मात्रा दें।

रोग और कीट नियंत्रण: सरसों की फसल को कई रोगों और कीटों का प्रकोप हो सकता है। रोग और कीटों से बचाव के लिए समय-समय पर छिड़काव करें।

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