मखाने की खेती कब और कैसे करें (सम्पूर्ण जानकारी) 2024 | Makhana ki Kheti

By Purushottam Bisen

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मखाने की खेती कब और कैसे करें (सम्पूर्ण जानकारी) 2024 | Makhana ki Kheti
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किसान साथियों वैसे तो हम लोग सदियों से परम्परागत खेती करते आ रहे है लेकिन अच्छी आमदनी और मुनाफा के लिए हमें कुछ नयी फसल का चुनाव करना चाहिए उसके साथ साथ अन्य फसलो की intercropping भी करके देखना चाहिए दोस्तों आज हम आपको मखाने की खेती के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे वैसे तो मखाने की खेती पुरे विश्व में सबसे ज्यादा भारत में ही होती है मखाने की खेती से कितना मुनाफा होता है यह भी जानेंगे और भी अन्य बाते जिससे आपको जानना जरुरी है

मखाने की खेती कैसे शुरु करें

मखाने की खेती: मखाने की खेती की सुरुआत बिहार के दरभंगा जिले से हुयी लेकिन अब इसका विस्तार छेत्र बड चूका है और यह पश्चिम बंगाल तक फ़ैल गया है जहाँ देश के कुल मखाना उत्पादन का 85-90% मखना उत्पादन मिथिलांचल से होता है

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इसकी खेती से होने वाले मुनाफे को देखते हुए बड़ी जोत वाले किसान अपनी जमीन को मखाने की खेती के लिए लीज पर भी दे रहे है और बेकार पड़ी जमीन से भी यह किसानो को अच्छी आमदनी मिल रही है वैसे भारत के अलावा दुसरे देश जैसे चीन , जापान, कोरिया, और रूस में भी मखाने की खेती होती है लेकिन मिथलांचल के मखाने की बात ही अलग है

मखाने की खेती कब करें

12 महीने में कभी आप इसकी खेती कर सकते है इसकी फसल अवधि 4 से 5 महीने की होती है लेकिन हमने ज्यादातर देखा है की इसकी नर्सरी नवंबर महीने में डाली जाती है और  फरवरी और मार्च महीने में में इसकी कटाई की जाती है

मखाने की खेती कब और कैसे करें (सम्पूर्ण जानकारी) 2024 | Makhana ki Kheti

मखाना एक पानी घास से पैदा होता है जिसे कुरूपा अखरोट के नाम से जाना जाता है कुरूपा घास बिहार के उथले पानी वाले तालाबो में बड़ते वाली घास है जिसके बीज सफ़ेद और छोटे होते है

मखाने की खेती दिसम्बर से जुलाई तक होती है लेकिन अब कृषि की नयी तकनीको और उन्नत किस्मो के बीजो की बदोलत किसान साल में दो फसले ले रहे है यह एक नकदी फसल है जो 5 महीने में तैयार हो जाती है

मखाने की खेती के लिए कम और उथले पानी वाले तलब और खेत उपयुक्त माने जाते है ज्यादा पानी वाले तालाबो में मखाने की खेती सफल नहीं होती बुवाई के लिए दिसम्बर से जनुअरी महीने के बीच का समय उत्तम माना जाता है

बीज की मात्रा

प्रति हेक्टेयर छेत्र के लिए 80 किलो ग्राम बीज की जरुरत होती है आप चाहे तो पौधे तैयार करके भी खेत या तलब में मखाना पौधा लगा सकते है

खाद एवं रसायन

इसकी खास बात यह है की यह फसल किसी बनावती खाद की आदि नहीं होती इसकी खेती में उर्वरक या रसायन का इस्तेमाल नहीं होता यह फसल अपने लिए जैविक खाद खुद तैयार करती है खेती में सड़ी गली फुल पत्तियों और वनस्पति से इसे खाद मिल जाती है और उसी से एक सस्व्स्थ पौष्टिक फल उत्पन्न करती है

अप्रैल के महीने में पौधों पर नील ,जमुनी और गुलाब रंग के फुल खिलते लगते है जिन्हें नीलकमल कहाँ जाता है ये फुल पौधों पर 3-4 दिन तक तैरते रहते है फिर पानी में चले जाते है

मखाने की खेती से मुनाफा

किसानो को अपनी फसल के लिए बाज़ार बिलकुल नहीं तलासना पड़ता बल्कि खरीददार खुद उनके घर पहुचकर उनका मखना उत्पदान खरीद लेते है मखाने की खेती के लिए विभिन्न सहरो में उसके केंद्र भी खोले गए है जिनमे किसानो को वाजिब किम्मत मिल रही है और खरीद एजेंसी भी किसानो को वक्त पर भुगतान कर रही है

बैंक भी अब मखाना उत्पादको को कर्ज दे रहा है इसमें कोई सक नहीं है की ये फसल किसान की आमदनी बढाने में सक्षम है और इसी को बढ़ाते हुए सरकार भी मखाने की खेती को प्रोत्साहित कर रही है

मखाने का पेड़ कैसा होता है

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