किसान भाइयों, आज हम आपको एक ऐसे किसान की कहानी बताने जा रहे हैं, जिसने पारंपरिक खेती छोड़कर आधुनिक पद्धति अपनाई और अब लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं। बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के किसान राजेश कुमार ने पपीते की खेती कर अपनी किस्मत बदल दी। उन्होंने यह साबित कर दिया कि अगर सही प्लानिंग और मेहनत हो, तो खेती से भी करोड़ों की कमाई संभव है।
किसान भाइयों, राजेश कुमार पहले भारतीय सेना में थे, लेकिन रिटायरमेंट के बाद उन्होंने खेती करने का फैसला किया। उन्होंने पारंपरिक फसलों की जगह पपीते की उन्नत खेती शुरू की और आज उनकी गिनती सफल किसानों में होती है।
रिटायरमेंट के बाद खेती का फैसला, 6 साल पहले शुरू की थी पपीते की खेती
राजेश कुमार पूर्वी चंपारण जिले के पीपराकोठी प्रखंड के सूर्यपुर पंचायत के पडौलिया गांव के रहने वाले हैं। किसान भाइयों, उनकी बचपन से ही खेती में रुचि थी, लेकिन फौज की नौकरी के कारण वे इस दिशा में आगे नहीं बढ़ पाए। रिटायरमेंट के बाद उन्होंने अपने इस सपने को पूरा करने की ठानी और पपीते की खेती शुरू की।
पहले उनकी फैमिली परंपरागत खेती करती थी, लेकिन राजेश कुमार ने नई तकनीकों को अपनाकर खेती को फायदे का सौदा बना दिया। उन्होंने जिला उद्यान विभाग से संपर्क किया और ताइवान की रेड लेडी 786 किस्म के पपीते के पौधे मंगवाए। इसके साथ ही उन्होंने खेत में ड्रिप इरिगेशन सिस्टम (टपक सिंचाई) भी लगवाया, जिससे कम पानी में बेहतर उत्पादन मिल सके।
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कम लागत, ज्यादा मुनाफा – 50 हजार की लागत में 10-15 लाख रुपये की कमाई!
किसान साथियों, आप सोच रहे होंगे कि पपीते की खेती में कितना खर्च आता है और कितना मुनाफा हो सकता है? राजेश कुमार का कहना है कि एक एकड़ में पपीते की खेती करने में करीब 50 हजार रुपये का खर्च आता है। लेकिन अच्छी देखभाल और सही तकनीक से एक एकड़ में 10 से 15 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है।
पपीते की खेती में सबसे खास बात यह है कि यह एक बार लगाने के बाद 2-3 साल तक उत्पादन देती है। इसके अलावा, पपीते की डिमांड मार्केट में बहुत ज्यादा है, जिससे किसानों को उनकी उपज का अच्छा दाम मिलता है।
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इस साल भी लगाए 600 से ज्यादा पपीते के पौधे
राजेश कुमार हर साल फरवरी-मार्च के महीने में पपीते के नए पौधे लगाते हैं। इस साल भी उन्होंने एक एकड़ खेत में 900 पौधे लगाए हैं। किसान भाइयों, पपीते के पौधों को तैयार होने में करीब 3-4 महीने का समय लगता है और 6-7 महीने में यह फल देने लगता है।
पपीते की खासियत यह है कि यह पेड़ पर ही पकता है, इसमें किसी भी केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता, जिससे इसका स्वाद भी बेहतरीन होता है और बाजार में इसकी भारी मांग रहती है।

अन्य फसलों की भी कर रहे हैं खेती, बना रहे किसानों को आत्मनिर्भर
राजेश कुमार सिर्फ पपीते की खेती तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे अपने खेत में अदरक, बकला (एक प्रकार की दलहनी फसल) और गेंदा फूल की भी खेती करते हैं। इन फसलों से भी उन्हें अच्छा-खासा मुनाफा होता है।
किसान भाइयों, खास बात यह है कि अब राजेश कुमार खुद पपीते की नर्सरी भी तैयार करने लगे हैं। वे अपने अनुभव से दूसरे किसानों को भी पपीते की खेती के गुर सिखाते हैं, ताकि और किसान इस उन्नत खेती को अपनाकर आत्मनिर्भर बन सकें।
पपीते की खेती क्यों है फायदेमंद?
किसान साथियों, पपीते की खेती पारंपरिक खेती के मुकाबले बहुत अधिक मुनाफा देती है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि कम लागत में ज्यादा उत्पादन होता है, इसमें पानी की खपत भी कम होती है और यह जल्दी तैयार होने वाली फसल है।
अगर आप भी पारंपरिक खेती से हटकर कुछ नया करना चाहते हैं, तो पपीते की खेती आपके लिए बेहतरीन विकल्प हो सकती है। बस सही जानकारी और तकनीक का इस्तेमाल करके आप भी लाखों की कमाई कर सकते हैं।
किसान भाइयों, अब आपकी बारी!
अगर आप भी खेती से ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं और पारंपरिक खेती से हटकर नई तकनीकों को अपनाने के लिए तैयार हैं, तो पपीते की खेती जरूर आजमाएं। राजेश कुमार जैसे सफल किसानों से सीखकर और नई तकनीकों को अपनाकर आप भी खेती से अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकते हैं।
तो किसान भाइयों, आगे बढ़ें, नई तकनीकों को अपनाएं और खेती को फायदे का सौदा बनाएं

किसान भाई इस ब्लॉग के माध्यम से हम सभी किसान भाइयो को खेती से जुडी अपडेट देते है साथ ही खेती से जुडी योजना एवं कृषि बिजनेस आइडियाज के बारे में भी बताते है