Rice Export Registration: केंद्र की मोदी सरकार ने भारतीय चावल को दुनिया में नई पहचान दिलाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि अब गैर-बासमती चावल के निर्यात पर रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया है, ₹8 प्रति टन मामूली शुल्क के साथ। इस कदम का उद्देश्य सिर्फ निर्यातकों को फायदा पहुंचाना ही नहीं, बल्कि भारत के चावल को इंडियन ब्रांड के रूप में वैश्विक स्तर पर स्थापित करना है। लेख में हम रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया, फंड का उपयोग और इस योजना से होने वाले लाभ की पूरी जानकारी देंगे।
क्यों जरूरी है रजिस्ट्रेशन?
भारत से निर्यात किए जाने वाले गैर-बासमती चावल का अब रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य है निगरानी और पारदर्शिता बढ़ाना। एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (APEDA) अब यह जान सकेगी कि कौन सा चावल किस निर्यातक के जरिए किस देश में भेजा जा रहा है।
इससे भविष्य में किसी भी विवाद, धोखाधड़ी या डिफॉल्ट की स्थिति में पूरा रिकॉर्ड मौजूद रहेगा। यही नहीं, निर्यातकों को यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि उनका चावल हमेशा भारतीय पहचान के साथ ही बिके।
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₹8 प्रति टन शुल्क और राइस ट्रेड डेवलपमेंट फंड
रजिस्ट्रेशन शुल्क सिर्फ ₹8 प्रति टन रखा गया है। यह राशि राइस ट्रेड डेवलपमेंट फंड में जाएगी। इस फंड का इस्तेमाल भारत के चावल को अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ावा देने, उसकी ब्रांडिंग करने और नई मार्केट खोजने के लिए किया जाएगा।
आईआरईएफ के अध्यक्ष प्रेम गर्ग ने कहा कि इस सिस्टम से भारत के चावल व्यापार की पारदर्शिता और विश्वसनीयता दोनों बढ़ेंगी। रजिस्ट्रेशन के बाद हर निर्यात का रिकॉर्ड APEDA के पास रहेगा, जिससे किसी भी समस्या का समाधान तेजी से किया जा सकेगा।
निर्यातकों और किसानों को मिलेगा फायदा
राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष मुकेश जैन के मुताबिक सभी निर्यातक संघों ने इस फैसले का समर्थन किया है। यह नई व्यवस्था छोटे और बड़े निर्यातकों दोनों के लिए समान रूप से लाभकारी है।
इसके अलावा, भारत के किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी क्योंकि अब उनका चावल सही ब्रांड और पहचान के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में बिकेगा।
India has made registration with APEDA mandatory for all non-basmati rice exports. The step is aimed at tracking shipments, curbing mis-declaration, and ensuring food security, while keeping an eye on export demand.
— Kom.Dt (@BharatKomDt) September 25, 2025
➡️ India Imposes APEDA Registration for Non-Basmati Rice… pic.twitter.com/dkfDIxZWCr
ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया
निर्यातक को अब ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य है। प्रक्रिया सरल है और कम शुल्क पर पूरी हो जाती है। रजिस्ट्रेशन के बाद, प्रत्येक खेप का रिकॉर्ड APEDA के पास रहेगा, जिससे भविष्य में किसी विवाद या डिफॉल्ट की स्थिति में यह रिकॉर्ड काम आएंगे।
APEDA की ओर से निर्यातकों के लिए जागरूकता सेमिनार भी आयोजित किए जाएंगे ताकि सभी निर्यातक नियमों को सही तरीके से समझ सकें।
भारतीय चावल की वैश्विक पहचान
इस कदम से भारतीय चावल अब दुनिया भर में अपनी पहचान के साथ बिकेगा। हर खेप का रिकॉर्ड होगा, जिससे ब्रांड की विश्वसनीयता और भरोसा दोनों बढ़ेंगे। सरकार के इस कदम से चावल निर्यात नीति पारदर्शी और भरोसेमंद बनेगी।
इसके अलावा, निर्यातकों और किसानों दोनों को नए बाजार खोजने और गुणवत्ता सुधारने में मदद मिलेगी। छोटे और बड़े निर्यातक समान रूप से इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।
FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
प्रश्न 1: गैर-बासमती चावल निर्यात के लिए रजिस्ट्रेशन क्यों जरूरी है?
उत्तर: निगरानी और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए। APEDA को पता होगा कि कौन सा चावल किस देश में किस निर्यातक के माध्यम से जा रहा है।
प्रश्न 2: रजिस्ट्रेशन शुल्क कितना है?
उत्तर: ₹8 प्रति टन।
प्रश्न 3: रजिस्ट्रेशन शुल्क का उपयोग किसके लिए होगा?
उत्तर: राइस ट्रेड डेवलपमेंट फंड में जाएगा, जिसका इस्तेमाल भारत के चावल की ब्रांडिंग, प्रमोशन और नई मार्केट खोजने में किया जाएगा।
प्रश्न 4: इस नए सिस्टम से किसे फायदा होगा?
उत्तर: निर्यातकों को अपनी खेप के रिकॉर्ड सुरक्षित करने में, भारतीय चावल की वैश्विक पहचान बनाने में और किसानों की आमदनी बढ़ाने में।
प्रश्न 5: रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया कैसे पूरी होगी?
उत्तर: ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना होगा, और APEDA के रिकॉर्ड के साथ सभी निर्यातकों का डेटा सुरक्षित रहेगा।
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