Terrace Farming Meaning in Hindi: सीढ़ीदार खेती भारत में सदियों से की जा रही है। यह पद्धति विशेष रूप से हिमालय और पश्चिमी घाटों के पहाड़ी क्षेत्रों में लोकप्रिय है। सीढ़ीदार खेती में पहाड़ों की ढलानों पर सीढ़ीनुमा खेत बनाए जाते हैं। इस पद्धति में खेतों को एक सीढ़ी से दूसरी सीढ़ी तक ले जाने वाली नालियों के माध्यम से जोड़ा जाता है। नालियों के माध्यम से पानी एक सीढ़ी से दूसरी सीढ़ी तक बहता है और इस तरह मिट्टी का कटाव रुकता है और पानी का संरक्षण होता है।
Terrace Farming Meaning in Hindi (क्या है सीढ़ीदार खेती)
सीढ़ीदार खेत ,पर्वतीय या पहाड़ी प्रदेशो की ढलवा भूमि पर कृषि के उद्देश्य से विकसित छेत्रो को कहते है इन प्रदेशो में मैदानी इलाको के अभाव में पहाड़ों की ढलानों पर सीढियों के आकार के छोटे छोटे खेत विकसित किये जाते है जो मृदा अपरदन और बारिश के पानी को बहने से रोकने में सहायक होते है
Terrace खेती का आमतौर पर वियतनाम ,फिलिपिन्स और इंडोनेसिया जैसे चावल उगाने वाले देशो द्वारा किया जाता है
सीढ़ीदार खेती में उगाये जाने वाली फसले क्या है
सीढ़ीदार खेती का उपयोग करके उगाये जाने वाली कुछ फसले कुछ इस प्रकार है –
धान, अनाज ,फल ,सब्जियां ,फुल ,औषधि पौधे ,सुगन्धित पौधे ,मसाले आदि
सीढ़ीदार खेती के उद्देश्य
सीढ़ीदार खेती को प्रभावी ढंग से नियोजित किया गया है ताकि चर छेत्र में कृषि योग्य भूमि छेत्र को अधिकतम किया जा सके और मिटटी के कटाव ओया पानी के नुकसान कम किया जा सके
सीढ़ीदार खेती के महत्त्व
मुख्य लाभ ,निश्चित रूप से मिटटी और पानी का संरक्षण है, मिटटी के सतह के पार बड़ने वाले जल की मात्रा और वेग दोनों को कम करते है ,जो मिटटी के कटाव को कम करता है
सीढ़ीदार खेती के कई लाभ हैं। यह मिट्टी के कटाव को रोकता है, पानी का संरक्षण करता है और उपज बढ़ाने में मदद करता है। यह पद्धति भूस्खलन को भी रोकने में मदद करती है।

सीढ़ीदार खेती का इतिहास
सीढ़ीदार खेती का इतिहास हजारों साल पुराना है। सीढ़ीदार खेती का अविष्कार इन्कलोको ने किया था जो अमेरिकी पहाड़ो में रहते थे, वैसे बताया जाता है की सीढ़ीदार खेती के सबसे पुराने प्रमाण चीन में पाए गए हैं, जो लगभग 7,000 साल पुराने हैं।
भारत में, सीढ़ीदार खेती का इतिहास लगभग 5,000 साल पुराना है। यह पद्धति हिमालय और पश्चिमी घाटों के पहाड़ी क्षेत्रों में विशेष रूप से लोकप्रिय है।
terrace farming in india
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