सरसों एक तिलहनी फसल है सरसों की खेती एक सिमित सिंचाई वाली फसल मानी जाती है इसे वैज्ञानिक तरीके से बुवाई करने पर अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है
सरसों की खेती कैसे करे
भारत में सरसों की खेती बहुत ही बहुमूल्य खेती मानी जाती है और सदियों से सरसों की खेती की जाती है और सरसों हमारे जीवन में बहुत उपयोगी है और सरसों खाने के साथ साथ विभिन्न उपचारों में बहुत उपयोगी है तो अब जानते है सरसों की खेती करने के स्टेप by स्टेप तरीके के बारे में –
खेत की तैयारी:
सरसों की खेती के लिए हमें मिटटी पलटने वाले हल से मिटटी को पलट देना चाहिए उसके बाद दो से तीन जुताई करके रोटावेटर से मिटटी को भुरभुरी एवं समतल कर लेना चाहिए मिटटी को पलटने से वायु का संचरण अच्छा होता है एवं खरपतवार भी नस्ट हो जाते है
बुवाई का उचित समय:
सरसों की बुवाई के लिए 15 सितम्बर से अक्टुम्बर के अन्तिम सप्ताह तक उचित समय माना जाता है इवस समय में बुवाई करने से उत्पादन काफी अच्छा होता है एवं कीट लगने की संभावनाए कम रहती है
बीज की दर एवं बीज उपचार:
2.5-3 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ की दर से बुवाई करना चाहिए बीज को अंकुरित होते समय बीमारी से बचाने के लिए उपचारित करना आवश्यक है इस लिए फफुन्द्नाशक 3-5 ग्राम थीरम या कार्बेन्डाजिम एवं कीटनाशक के रूप में इमिडाक्लोप्राइड या थिओमेथोक्साम 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करना चाहिए
बुवाई की विधि:
सरसों की अधिकांश बुवाई छिड़काव विधि से करते है यदि कतार से कतार बुवाई करते है तो उत्पादन अधिक होता है एवं कतार विधि में बीज की मात्र भी कम लगती है देशी बीज की बुवाई छिड़काव विधि से कर सकते है लेकिन हाइब्रिड बीज को कतार से कतार बुवाई करने पर उत्पादन अधिक होता है
खाद एवं उर्वरक नियंत्रण:
मिटटी को पलटने के बाद जुताई से पहले 2-3 ट्राली गोबर की सड़ी खाद डालना चाहिए प्रति एकड़ की दर से 30-35 किलोग्राम डी. ऐ.पी., 15-20 किलोग्राम पोटाश, 7-10 किलोग्राम सल्फर, या एस.एस.पी. 100-150 किलोग्राम, 20-25 किलोग्राम यूरिया, बुवाई के पहले खेत में मिला देना चाहिए एवं यूरिया का दूसरा छिड़काव बुवाई से 25-30 दिन में कर देना चाहिए
खरपतवार नियंत्रण:
सरसों में खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के 2से 3 दिन में पेंडामेथालिन दवा का उपयोग कर सकते है
निष्कर्ष –
ध्यान रहे की यदि हम सरसो कि फसल मे फुल आने की अवस्था में बोरान का स्प्रे कर देते है तो निश्चित रूप से उतपादन मे वृद्धि होगी क्यों कि यह बोरान फल्ली बनाने मे सहायक होता है सरसो का तेल खाने के अलावा दवा के रूप मे ऊपयोग मे लाया जाता है वर्तमान समय में सरसो का अच्छा उत्पादन हो रहा है
सरसों की खेती से जुड़े सवाल (FAQ) :
Q : सरसों की ज्यादा पैदावार के लिए क्या करें?
Ans : वैसे तो सरसों की फसल में पहली सिंचाई 25 से 30 दिन के भीतर करनी चाहिए तथा दूसरी सिंचाई फलियाें में दाने भरने की अवस्था में करना चाहिए, यदि जाड़े (ठंडी) में बारिश हो जाती है, तो दूसरी सिंचाई न भी करें तो भी अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है।
Q : 1 एकड़ में सरसों कितनी होती है?
Ans : एक एकड़ में 12 से 15 क्विंटल सरसों प्राप्त की जा सकती है जो चार से पांच हजार रुपए प्रति क्विंटल बिकती है।
Q : 1 बीघा में कितने कुंटल सरसों निकलती है?
Ans : 1 बीघा में लगभग 8 क्विंटल सरसों की पैदावार की जा सकती है आप किस तरह से खेती की देख रेख करते है हलाकि ये आकड़ा कम ज्यादा हो सकता है |
Q : सरसों में कितनी बार पानी देना चाहिए?
Ans : पहली सिंचाई 28-35 दिनों बाद फूल आने से पहले करें तथा आवश्यकतानुसार दूसरी सिंचाई 70-80 दिनों बाद फलियां बनते समय करनी चाहिए।
Q : सरसों बोने का सही टाइम कौन सा है?
Ans : सरसों की बुवाई 05 अक्टूबर से 25 अक्टुबर तक कर देनी चाहिए।
Q : सरसों में यूरिया कब देना चाहिए?
Ans : रोपाई के 21 तथा 42 दिन बाद 38 किलो यूरिया डालना चाहिए।
Q : सरसों में कौन सी खाद डालनी चाहिए?
Ans : बुआई के समय खेत में 100 किग्रा सिंगल super faspet, 35 किग्रा यूरिया और 25 किग्रा म्यूरेट आफ पोटाश का इस्तेमाल करें।
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