मूंग की खेती मुख्य रूप से राजस्थान में की जाती थी, लेकिन अब इसकी मांग और उपयोगिता बढ़ने के बाद मध्यप्रदेश, गुजरात, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में भी तेजी से ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती की जा रही है। मूंग 60 से 70 दिन की अल्पावधि फसल है और खरीफ, रबी तथा जायद तीनों सीजन में इसकी बुवाई की जा सकती है। रबी की फसलों की कटाई के बाद जब खेत खाली पड़े रहते हैं, तब किसान भाई आसानी से grishmkalin mung ki kheti करके अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं, क्योंकि इस फसल में लागत कम और लाभ अधिक मिलता है।
लागत और कमाई
ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती में फसल 55 से 60 दिन में तैयार हो जाती है। उन्नत किस्मों और वैज्ञानिक तरीकों से खेती करने पर 12 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है, जबकि सामान्य विधि में 7 से 8 क्विंटल पैदावार मिलती है। एक हेक्टेयर खेती पर लगभग 18 से 20 हजार रुपये तक खर्च आता है और बाजार में मूंग का भाव भी स्थिर रहता है, जिससे किसान को अच्छा मुनाफा मिलता है।
बुवाई का समय
मूंग की फसल उच्च तापमान सहन कर सकती है, और 25 से 40 डिग्री तापमान इसकी बढ़वार के लिए आदर्श माना जाता है। खरीफ में बुवाई जुलाई में होती है, जबकि ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती मार्च के पहले सप्ताह से लेकर अप्रैल के दूसरे सप्ताह तक सफलतापूर्वक की जा सकती है। इस समय हल्की वर्षा और गर्माहट मूंग के लिए अनुकूल रहती है।
खेत की तैयारी
बुवाई से पहले खेत की मिट्टी को पलटने वाले हल से अच्छी तरह जोतना चाहिए, जिससे रबी की फसलों के अवशेष मिट्टी में मिल जाएं और खरपतवार नष्ट हो जाए। इसके बाद खेत को समतल करके पाटा लगाएं या रोटावेटर चलाकर मिट्टी को भुरभुरा बनाएं, ताकि बीज समान रूप से बोए जा सकें।

बीज की मात्रा
खरीफ सीजन में मूंग का बीज 12 से 15 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है, जबकि जायद सीजन में 20 से 25 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। grishmkalin mung ki kheti के लिए उचित बीज मात्रा ही उत्पादन को प्रभावित करती है।
उन्नत किस्में
मूंग की बेहतर पैदावार के लिए किसानों को हाईब्रिड और उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए, जो प्रतिकूल मौसम का सामना करने में सक्षम हों। पूसा विशाल, जवाहर मूंग-3 और पंत मूंग-3 उपयुक्त किस्में मानी जाती हैं, जिनसे उच्च उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
सिंचाई
ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती में पहली सिंचाई मिट्टी के प्रकार के अनुसार बुवाई के 20 से 25 दिन बाद करनी चाहिए। इसके बाद प्रत्येक 10 से 15 दिन के अंतराल पर हल्की सिंचाई करें, ताकि पौधों की बढ़वार और फूल आने की अवस्था प्रभावित न हो।
FAQs: ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती / grishmkalin mung ki kheti
1. ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती कब करनी चाहिए?
मार्च के पहले सप्ताह से अप्रैल के दूसरे सप्ताह तक बुवाई करना सर्वोत्तम माना जाता है।
2. ग्रीष्मकालीन मूंग का उत्पादन कितना मिलता है?
उन्नत खेती में 12 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार मिल सकती है।
3. कौन-सी किस्में ग्रीष्मकालीन मूंग के लिए बेहतर हैं?
4. किस मौसम में मूंग की खेती सबसे फायदेमंद होती है?
ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती तेजी से लोकप्रिय हो रही है क्योंकि इसमें लागत कम और मुनाफा अधिक मिलता है।
5. बीज की कितनी मात्रा आवश्यक है?
जायद सीजन में 20 से 25 किलो और खरीफ में 12 से 15 किलो बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है
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