भारत एक ऐसा देश है जहाँ कुदरत ने अपना आशीर्वाद दिल खोलकर दिया है और किसान ने कुदरत की वरदान का भरपूर मान रखा है यहाँ सर्दी भी है गर्मी भी और बरसात भी है और हर मौसम के अनुरूप किसान के पास अपना काल्लेंदर होता है भारत में पुरे वर्ष को फसलो के मुताबित 3 भागो में बाटा गया है जिसमे खरीब रबी और जायद ये तीनो ही सब्द अरबी भाषा के है जिनमे खरीब का अर्थ होता है पतझड़ या सरद , रबी का अर्थ होता है बसंत और जायद का अर्थ होता है अतिरिक्त
रबी खरीफ और जायद की फसलें क्या होती है
भारत में, फसलों को तीन मौसमों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है: रबी, खरीफ और जायद।रबी की फसलें सर्दियों में बोई जाती हैं और गर्मियों में काटी जाती हैं। इन फसलों को उगाने के लिए ठंडे और शुष्क मौसम की आवश्यकता होती है। खरीफ की फसलें मानसून के मौसम में बोई जाती हैं और शरद ऋतु में काटी जाती हैं। इन फसलों को उगाने के लिए गर्म और आर्द्र मौसम की आवश्यकता होती है। जायद की फसलें रबी और खरीफ के बीच के मौसम में बोई जाती हैं। इन फसलों को उगाने के लिए गर्म और शुष्क मौसम की आवश्यकता होती है।
खरीब फसलो की बुवाई /रोपाई का समय
खरीब फसलो की बुवाई /रोपाई बरसात के समय की जाती है यानी जून जुलाई के महीने में की जाती है और फसल तैयार अक्टूबर और नवम्बर महीने में होती है
खरीब की मुख्य फसले
- चावल
- मक्का
- ज्वार
- बाजरा
- अरहर
- मूंग
- उड़द
- कपास
- जूट
- मूंगफली
- सोयाबीन
रबी फसलो की बुवाई का समय
रबी फसलो की बुवाई का समय अक्टूबर-नवम्बर महिना होता है और फसल तैयार मार्च -अप्रैल में होती है
रबी की मुख्य फसले
- गेहूं
- जौ
- सरसों
- मटर
- चना
- अलसी
- आलू
- राई
- तम्बाकू
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जायद में साब्जियाँ व बेलवाली फसलो का समय
जायद में साब्जियाँ व बेलवाली फसले जो कम समय में तैयार होती है और 2 मुख्या फसले के बीच इन्हें लगाकर किसान अतिरिक्त फसल लेता है इसलिए इन्हें कहा जाता है जायद फसले जिनका समय मार्च से मई के बीच रहता है
यानी जिन फसलो की कटाई सरद के आनमन पर होती है वो खरीब की फसले, जिनकी कटाई बसंत की सुरुआत में होती है उन्हें रबी फसले कहा जाता है और दोनों मुख्य फसले के बीच कम अवधि में तैयार होने वाली अतिरिक्त जायद फसले कहलाती है
जायद की मुख्य फसले
- भिंडी
- तोरई
- करेला
- लौकी
- खीरा
- ककड़ी
- टमाटर
- मिर्च
- बैंगन
तरबूज ,खरबूज ,कद्दू और घीया इसके अलावा आजकल मुंग और मक्का जैसी फसलो खेती भी जायद में हो रही है
रबी, खरीफ और जायद फसलों में अंतर
विशेषता | रबी की फसलें | खरीफ की फसलें | जायद की फसलें |
---|---|---|---|
बोने का समय | अक्टूबर-नवंबर | जून-जुलाई | मार्च-अप्रैल |
कटाई का समय | अप्रैल-जून | सितंबर-अक्टूबर | जुलाई-सितंबर |
मौसम की आवश्यकता | ठंडा और शुष्क | गर्म और आर्द्र | गर्म और शुष्क |
पानी की आवश्यकता | कम | अधिक | कम |
प्रमुख फसलें | गेहूं, जौ, सरसों, मटर, चना | चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा, अरहर, मूंग, उड़द, कपास, जूट, मूंगफली, सोयाबीन | भिंडी, तोरई, करेला, लौकी, खीरा, ककड़ी, टमाटर, मिर्च, बैंगन |
निष्कर्ष :
इस तरह किसान भारत की जलवायु में वर्ष भर बदलते मौसम के मुताबित फसल तैयार करता है और प्रकर्ति के आशीर्वाद का भरपूर लाभ लेता है और इस परिपूर्ण ज्ञान के बाल पर इस स्वरोजगार से अपना पेट भरने के साथ साथ आवाम भर के भोजन का बंदोबस भी करता है
जब से किसान ने हर फसल की जलवायु की जरुरत को समझा है तब से कृत्रिम वातावरण में वो जलवायु तैयार कर संरक्षित खेती को भी विस्तार दे रहा है और किसान संरक्षित खेती के माध्यम से भी अच्छी फसल उत्पादन ले रहा है संरक्षित खेती में पाली हाउस में वातावरण को नियंत्रित करके यानी तापमान और नमी आदि को नियंत्रित करके किसान बेमौसम खेती करने में भी अब माहिर हो चले है इसलिए यह कभी मत सोचियेगा की खेती करने के लिए ज्ञान की जरुरत नहीं होती क्योकि किसान एक येसा ज्ञानवां है जो प्रकृति की अनकहीं बातों को समझने की समझ रखता है इसलिए किसान अनदाता और धरती पूत्र कहलाता है
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किसान भाई इस ब्लॉग के माध्यम से हम सभी किसान भाइयो को खेती से जुडी अपडेट देते है साथ ही खेती से जुडी योजना एवं कृषि बिजनेस आइडियाज के बारे में भी बताते है