किसान भाइयों, आजकल तापमान 40 डिग्री के पार चला गया है। खेत सूखने लगे हैं, पौधे मुरझा रहे हैं और आपकी मेहनत इस झुलसती गर्मी में पिघलती नजर आ रही है। आज हम जानेंगे कि इतनी भीषण गर्मी में कैसे अपनी फसल को सुरक्षित रखा जा सकता है और पैदावार को बरकरार रखा जा सकता है।
गर्मी में फसलें क्यों होती हैं तनावग्रस्त?
गर्मी के मौसम में फसलें भी इंसानों की तरह स्ट्रेस में आ जाती हैं। अगर समय पर सही कदम नहीं उठाए जाएं, तो फसलों का न केवल उत्पादन घटता है, बल्कि जमीन की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। पौधों में सबसे पहला लक्षण पत्तियों के मुरझाने, मुड़ने या ऊपर की ओर चढ़ने के रूप में दिखता है। टमाटर और मिर्च जैसी फसलों में फूल झड़ने लगते हैं, जबकि खीरा, लौकी और तरबूज जैसी बेल वाली फसलें दोपहर में झुकने लगती हैं।
खरबूजे जैसी फसलों में अधिक पानी देने से जड़ें सड़ने लगती हैं। असल में गर्मियों में पौधों की पत्तियों से पानी तेजी से उड़ता है जिसे ट्रांस्पिरेशन कहते हैं। अगर जड़ों से समय पर पानी नहीं पहुंचता तो पौधे मुरझाने लगते हैं।
सिंचाई के सही तरीके
गर्मी में सिंचाई एक संतुलन साधने का काम है। पानी कम देने पर पौधे सूखने लगते हैं और ज्यादा देने पर जड़ें सड़ सकती हैं। इसलिए:
सिंचाई सुबह या शाम के समय करें, दोपहर में हरगिज नहीं।
ड्रिप इरीगेशन का उपयोग करें और धीमी गति से पानी दें।
मिट्टी की नमी बनाए रखने के लिए मल्चिंग का इस्तेमाल करें।
गर्मी में फसल बचाने वाले प्रमुख न्यूट्रिएंट्स
गर्मी में पौधों को सही पोषक तत्व देना बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं कौन-कौन से न्यूट्रिएंट्स आपकी फसल को गर्मी से बचा सकते हैं।
पोटैशियम का महत्व
पोटैशियम फसलों की पत्तियों में मौजूद स्टोमेटा को नियंत्रित करता है, जिससे जरूरत से ज्यादा पानी का वाष्पीकरण नहीं होता। इसके लिए एनपीके 0-52-34 फर्टिलाइजर का उपयोग करें। यह फास्फोरस और पोटैशियम की अच्छी मात्रा प्रदान करता है, जिससे ग्रोथ बेहतर होती है और स्ट्रेस भी कम होता है।
कैल्शियम का योगदान
कैल्शियम पौधे की कोशिकाओं को मजबूत बनाता है ताकि वे झुलसने से बच सकें। इसके लिए कैल्शियम क्लोराइड या कैल्शियम नाइट्रेट का 1% घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करें। ध्यान रखें कि इसे फास्फोरस वाले खाद के साथ मिक्स न करें।
मैग्नीशियम की भूमिका
मैग्नीशियम पौधों के फोटोसिंथेसिस को सक्रिय रखता है, जिससे पौधे अपनी ऊर्जा का उत्पादन जारी रख पाते हैं। इसके लिए 1% मैग्नीशियम सल्फेट घोल बनाकर छिड़काव करें, खासकर तब जब पत्तियां पीली पड़ने लगें।
जिंक का असर
जिंक फसल में हीट शॉक प्रोटीन बनाने में मदद करता है, जो पौधे को गर्मी से बचाता है और उसे स्ट्रेस से उबरने में सहायता करता है। जिंक सल्फेट का 0.5% घोल बनाकर छिड़काव करें।
सीवीड एक्सट्रैक्ट का उपयोग
सीवीड एक्सट्रैक्ट पौधों के लिए एक बेहतरीन बायोस्टिमुलेंट है जो न केवल स्ट्रेस कम करता है बल्कि पौधे की फ्लावरिंग को भी बढ़ाता है। हफ्ते में एक बार इसे किसी खाद या दवा के साथ मिलाकर फसलों पर छिड़काव करें।
सही तरीके से स्प्रे और डोज का निर्धारण
एनपीके 0-52-34 को बोरोन के साथ मिलाकर हर 10 दिन में एक बार फसलों पर छिड़काव करें।
मैग्नीशियम सल्फेट और जिंक सल्फेट का मिश्रण बनाकर 15 दिन में एक बार स्प्रे करें।
कैल्शियम का स्प्रे फूल और फल आने के समय करें।
सीवीड बायोस्टिमुलेंट का उपयोग पौधे के मुरझाने या ज्यादा स्ट्रेस दिखने पर करें।
निष्कर्ष
किसान भाइयों, गर्मी हर साल आएगी और हर बार फसलों को इस भीषण मौसम से बचाना जरूरी होगा। अगर आप इन उपायों को समय रहते अपनाते हैं तो निश्चित रूप से आपकी फसलें स्वस्थ रहेंगी और पैदावार भी बढ़ेगी। आशा करती हूं कि आज की जानकारी आपको पसंद आई होगी। इसे अपने अन्य किसान मित्रों के साथ भी जरूर शेयर करें ताकि वे भी इस गर्मी में अपनी फसलों को बचा सकें।

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